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कवर्धा पधारे गजराज, परिवार के साथ ग्रामीण कर रहे रतजगा - ELEPHANTS IN KAWARDHA

शावक, दो मादा हाथी और एक नर हाथी कबीरधाम पहुंचे हैं. खेतों में लगी काफी फसल को बर्बाद कर दिया है.

ELEPHANTS GROUP IN KAWARDHA
कवर्धा में हाथी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 19, 2024, 12:27 PM IST

कवर्धा: सालभर बाद जंगली हाथियों का दल कबीरधाम जिले के वनांचल ग्राम चेंद्रा दादर, तिंगड्डा गांव पहुंचा है. जिन इलाकों में हाथियों का दल मौजूद हैं, वह बैगा आदिवासी बाहुल्य इलाका है. हाथियों के धमक से इलाके के ग्रामीण दहशत में हैं. रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं. ताकि हाथियों का दल हमला करें तो कोई जनहानि ना हो. इधर वन विभाग भी हाथियों पर नजर बनाए हुए हैं. वन विभाग के कर्मचारी हाथियों के एक एक मूवमेंट की सूचना उच्च अधिकारियों को दे रहे हैं.

हाथी मध्य प्रदेश से कवर्धा पहुंचे: हाथियों के झुंड में एक नर हाथी दो मादा और एक शावक है. जो पिछले एक महीने से कबीरधाम जिला से लगे मध्यप्रदेश के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत चमकी के जंगल में डेरा जमाए हुए थे. सोमवार को मध्यप्रदेश वन विभाग की तरफ से हाथियों को खदेड़ा गया तो हाथियों का दल छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में दाखिल हो गया.

मध्य प्रदेश से कवर्धा पहुंचा हाथियों का दल (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोदो, कुटकी, ज्वार की फसल हाथियों ने की बर्बाद: हाथियों का दल फिलहाल चेंद्रा दादर, तिगड्डा गांव में मौजूद हैं. कबीरधाम में दाखिल होने के दौरान हाथियों का दल जिस रास्ते से पहुंचा उस रास्ते में पड़ने वाले खेत में लगी कोदो, कुटकी, ज्वार की फसल को रौंद दिया है. भोजन की तलाश में हाथी जिले के अंदर आगे बढ़ रहे हैं. हाथियों का दल भुट्टा, गन्ना की फसल तक पहुंचा गया तो उनको खदेड़ना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि गन्ना हाथियों का पसंदीदा भोजन है. जिले में गन्ना उत्पादन ज्यादा मात्रा में होता है.

हाथियों का दल कबीरधाम जिले के मध्यप्रदेश की सीमा से लगे गांव में दाखिल हो गया है. वन विभाग की टीम हाथियों पर निगरानी कर रही है. आसपास के गांव में मुनादी कराकर गांव वालों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है: शशि कुमार, वन मंडल अधिकारी

एक साल बाद पहुंचे हाथी: हाथियों का दल कबीरधाम में समय समय पर आता रहता है. लगभग महीना भर रुकने के बाद हाथी वापस अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व या कान्हा नेशनल पार्क चले जाते हैं. पिछली बार हाथी नवंबर 2023 में पहुंचे थे. लगभग 2 महीने तक हाथियों ने कई गांवों में उत्पात मचाया. फसल बर्बाद करने के साथ ही कई ग्रामीणों के घर भी तोड़े.

बैकुंठपुर में 11 हाथियों के झुंड ने मचाया कोहराम
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कवर्धा: सालभर बाद जंगली हाथियों का दल कबीरधाम जिले के वनांचल ग्राम चेंद्रा दादर, तिंगड्डा गांव पहुंचा है. जिन इलाकों में हाथियों का दल मौजूद हैं, वह बैगा आदिवासी बाहुल्य इलाका है. हाथियों के धमक से इलाके के ग्रामीण दहशत में हैं. रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं. ताकि हाथियों का दल हमला करें तो कोई जनहानि ना हो. इधर वन विभाग भी हाथियों पर नजर बनाए हुए हैं. वन विभाग के कर्मचारी हाथियों के एक एक मूवमेंट की सूचना उच्च अधिकारियों को दे रहे हैं.

हाथी मध्य प्रदेश से कवर्धा पहुंचे: हाथियों के झुंड में एक नर हाथी दो मादा और एक शावक है. जो पिछले एक महीने से कबीरधाम जिला से लगे मध्यप्रदेश के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत चमकी के जंगल में डेरा जमाए हुए थे. सोमवार को मध्यप्रदेश वन विभाग की तरफ से हाथियों को खदेड़ा गया तो हाथियों का दल छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में दाखिल हो गया.

मध्य प्रदेश से कवर्धा पहुंचा हाथियों का दल (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोदो, कुटकी, ज्वार की फसल हाथियों ने की बर्बाद: हाथियों का दल फिलहाल चेंद्रा दादर, तिगड्डा गांव में मौजूद हैं. कबीरधाम में दाखिल होने के दौरान हाथियों का दल जिस रास्ते से पहुंचा उस रास्ते में पड़ने वाले खेत में लगी कोदो, कुटकी, ज्वार की फसल को रौंद दिया है. भोजन की तलाश में हाथी जिले के अंदर आगे बढ़ रहे हैं. हाथियों का दल भुट्टा, गन्ना की फसल तक पहुंचा गया तो उनको खदेड़ना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि गन्ना हाथियों का पसंदीदा भोजन है. जिले में गन्ना उत्पादन ज्यादा मात्रा में होता है.

हाथियों का दल कबीरधाम जिले के मध्यप्रदेश की सीमा से लगे गांव में दाखिल हो गया है. वन विभाग की टीम हाथियों पर निगरानी कर रही है. आसपास के गांव में मुनादी कराकर गांव वालों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है: शशि कुमार, वन मंडल अधिकारी

एक साल बाद पहुंचे हाथी: हाथियों का दल कबीरधाम में समय समय पर आता रहता है. लगभग महीना भर रुकने के बाद हाथी वापस अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व या कान्हा नेशनल पार्क चले जाते हैं. पिछली बार हाथी नवंबर 2023 में पहुंचे थे. लगभग 2 महीने तक हाथियों ने कई गांवों में उत्पात मचाया. फसल बर्बाद करने के साथ ही कई ग्रामीणों के घर भी तोड़े.

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