जयपुर. राज्य में भीषण गर्मी के बीच बिजली संकट को लेकर अब भजनलाल सरकार एक्टिव मोड में काम कर रही है. ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर मंगलवार रात को जयपुर डिस्कॉम के बनीपार्क पावर हाउस स्थित केंद्रीकृत कॉल सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे, जहां खुद कॉल अटेंड कर मंत्री ने लोगों की शिकायतें सुनी और निस्तारण के निर्देश दिए. उन्होंने डिस्कॉम अधिकारियों को निर्देश दिए कि आमजन की बिजली संबंधी शिकायतों का संवेदनशीलता के साथ तत्परता से निस्तारण किया जाए. उन्होंने कहा कि बिजली संबंधी शिकायतों को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए. उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान संबंधी शिकायत प्राप्त होते ही फॉल्ट रेक्टीफिकेशन टीम (एफआरटी) जल्द से जल्द उपभोक्ता तक पहुंचें और बाधित विद्युत आपूर्ति को यथाशीघ्र बहाल करना पहली प्राथमिकता हो. उन्होंने कॉल सेंटर की कार्यप्रणाली को भी बारीकी से समझा.
सब डिवीजन में 330 एफआरटी मुस्तैद : कॉल सेंटर प्रभारी अधीक्षण अभियंता एके त्यागी ने ऊर्जा मंत्री को बताया कि जयपुर डिस्कॉम में कॉल सेंटर पर दर्ज शिकायतों के तुरंत समाधान के लिए सब-डिवीजन स्तर पर 330 एफआरटी टीमें मय वाहन संचालित हैं. बिजली आपूर्ति में व्यवधान व अन्य तकनीकी शिकायतें टोल फ्री आईवीआरएस नंबर 18001806507, टेलिफोन नंबर 0141-2203000, आईवीआरएस 1912 पर दर्ज करवाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि कॉल सेंटर पर 19 मई से 27 मई तक प्राप्त 1 लाख 48 हजार 840 शिकायतों का समाधान कर दिया गया है.
कांग्रेस सरकार से मिला जर्जर बिजली तंत्र : ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने बयान जारी कर कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार से भाजपा सरकार को जर्जर बिजली तंत्र विरासत में मिला है. हर दिन 147 लाख यूनिट बिजली कांग्रेस सरकार के बैंकिंग समझौते के कारण अन्य राज्यों को लौटानी पड़ रही है. जिसका खामियाजा भीषण गर्मी में प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, यह बैंकिंग समझौता नहीं होता तो आज प्रदेश के लोगों को पूरी बिजली मिल रही होती. जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बिजली उत्पादन बढ़ाने और वितरण के ढांचे को मजबूत बनाने पर कोई ध्यान नहीं दिया. फिर भी हम हरसंभव प्रयास कर निर्बाध बिजली आपूर्ति का प्रयास कर रहे हैं.
1 लाख 39 हजार करोड़ से अधिक का ऋण भार : मंत्री नागर ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय एक्सचेंज से महंगी दरों पर बिजली खरीदी गई. उनके आर्थिक कुप्रबंधन के कारण राज्य के डिस्कॉम्स 88 हजार 700 करोड़ रुपए के ऋण के साथ दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए और समस्त बिजली कंपनियों पर 1 लाख 39 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण भार आ गया. समय पर ऋण ना चुका पाने के कारण बिजली कंपनियों पर 300 करोड़ रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई. जबकि वर्ष 2013 से 2018 की तत्कालीन भाजपा सरकार ने उदय योजना के माध्यम से बिजली कंपनियों के 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज अपने ऊपर लेकर उन्हें ऋणभार से मुक्ति दिलाई थी.
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हमने 32 हजार मेगावाट के एमओयू किए : मंत्री नागर ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के बिजली तंत्र को सुदृढ़ करने की सोच के साथ आगे बढ़ रही है. हमारी सरकार ने आते ही 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाओं सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश के लिए राज्य के 3 विद्युत निगमों एवं 6 केन्द्रीय उपक्रमों के बीच एमओयू किए. इससे आने वाले समय में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राजस्थान आत्मनिर्भर बनेगा.