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बिजली कंपनियों ने कागजों पर बढ़ा दिया लाखों उपभोक्ताओं का भार, नहीं दुरुस्त किया, बिजली के लिए मचा हाहाकार - POWER CORPORATION

बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग के बनाए कानून का उल्लंघन करते यूपी के लाखों उपभोक्ताओं का भार बढ़ा दिया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 9:01 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने लाखों बीपीएल उपभोक्ताओं का भार विद्युत नियामक आयोग के बनाए कानून का उल्लंघन करते हुए बिना नोटिस दिए ही बढ़ा दिया है. अब इसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ता भुगत रहे हैं. सितंबर 2023 में 2709 मेगावाट और मार्च 2024 में 5003 मेगावाट लगभग 30 से 35 लाख विद्युत उपभोक्ताओं का गलत तरीके से भार बढा दिया. इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है.


उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद सरकार के सामने लाना चाहता है कि बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं का भार बढाने के लिए तो बहुत तेजी से काम करती हैं. लेकिन वह अपने सिस्टम का भार बढाने के लिए तेजी से कम क्यों नहीं करतीं. इसका खामियाजा लंबे समय से उपभोक्ता भुगत रहे हैं. उन्हें अच्छी गुणवत्ता की बिजली नहीं मिल पा रही है. मार्च 2024 के आंकड़ों पर ध्यान दें तो प्रदेश में 132 केवी सब स्टेशन के कुल 473 सब स्टेशन हैं. इनकी कुल क्षमता 65213 एमवीए है. जब उसे किलोवाट में निकाला जाएगा तो वह पांच करोड़ 86 लाख 91 हजार 700 किलो वाट होगा. मार्च 2024 में लगभग तीन करोड़ 45 लाख 93087 विद्युत उपभोक्ता हैं. जिनका कुल स्वीकृत भार लगभग सात करोड़ 38 लाख 35635 किलोवाट है. ऐसे में यह कहना सही होगा कि जब भीषण गर्मी हो रही है और उपभोक्ता अपने स्वीकृत भार का शत प्रतिशत उपभोग कर रहा है तो पावर कारपोरेशन का सिस्टम कांपने लग रहा है. गर्मी में डायवर्सिटी फैक्टर 1 अनुपात 1 हो ही जाएगा. उपभोक्ताओं के लिए गए भार और प्रदेश की बिजली कंपनियों के सिस्टम के भार में लगभग दो करोड़ किलोवाट का अंतर है. ऊपर से इसी सिस्टम पर जब बिजली चोरी का करीब 20 फीसद लोड आता है तो सिस्टम कांपने लगता है. प्रदेश के उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की बिजली नहीं मिल पाती. उन्होंने बताया कि 33 केवी सब स्टेशनों की बात करें तो उसकी क्षमता लगभग 59 हजार से 60 हजार एमवीए के ही बीच है, जो और कम है.



कंपनी सितम्बर 2023 में बढ़ाया गया भार मार्च 2024 में बढ़ाया गया भार
पक्षिमांचल 1136 मेगावाट 1920 मेगावाट
दक्षिणांचल 464 मेगावाट 792 मेगावाट
मध्यांचल 536 मेगावाट 1212 मेगावाट
पूर्वांचल 470 मेगावाट 892 मेगावाट
केस्को 103 मेगावाट 187 मेगावाट
कुल 2709 मेगावाट 5003 मेगावाट

लखनऊः उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने लाखों बीपीएल उपभोक्ताओं का भार विद्युत नियामक आयोग के बनाए कानून का उल्लंघन करते हुए बिना नोटिस दिए ही बढ़ा दिया है. अब इसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ता भुगत रहे हैं. सितंबर 2023 में 2709 मेगावाट और मार्च 2024 में 5003 मेगावाट लगभग 30 से 35 लाख विद्युत उपभोक्ताओं का गलत तरीके से भार बढा दिया. इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है.


उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद सरकार के सामने लाना चाहता है कि बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं का भार बढाने के लिए तो बहुत तेजी से काम करती हैं. लेकिन वह अपने सिस्टम का भार बढाने के लिए तेजी से कम क्यों नहीं करतीं. इसका खामियाजा लंबे समय से उपभोक्ता भुगत रहे हैं. उन्हें अच्छी गुणवत्ता की बिजली नहीं मिल पा रही है. मार्च 2024 के आंकड़ों पर ध्यान दें तो प्रदेश में 132 केवी सब स्टेशन के कुल 473 सब स्टेशन हैं. इनकी कुल क्षमता 65213 एमवीए है. जब उसे किलोवाट में निकाला जाएगा तो वह पांच करोड़ 86 लाख 91 हजार 700 किलो वाट होगा. मार्च 2024 में लगभग तीन करोड़ 45 लाख 93087 विद्युत उपभोक्ता हैं. जिनका कुल स्वीकृत भार लगभग सात करोड़ 38 लाख 35635 किलोवाट है. ऐसे में यह कहना सही होगा कि जब भीषण गर्मी हो रही है और उपभोक्ता अपने स्वीकृत भार का शत प्रतिशत उपभोग कर रहा है तो पावर कारपोरेशन का सिस्टम कांपने लग रहा है. गर्मी में डायवर्सिटी फैक्टर 1 अनुपात 1 हो ही जाएगा. उपभोक्ताओं के लिए गए भार और प्रदेश की बिजली कंपनियों के सिस्टम के भार में लगभग दो करोड़ किलोवाट का अंतर है. ऊपर से इसी सिस्टम पर जब बिजली चोरी का करीब 20 फीसद लोड आता है तो सिस्टम कांपने लगता है. प्रदेश के उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की बिजली नहीं मिल पाती. उन्होंने बताया कि 33 केवी सब स्टेशनों की बात करें तो उसकी क्षमता लगभग 59 हजार से 60 हजार एमवीए के ही बीच है, जो और कम है.



कंपनी सितम्बर 2023 में बढ़ाया गया भार मार्च 2024 में बढ़ाया गया भार
पक्षिमांचल 1136 मेगावाट 1920 मेगावाट
दक्षिणांचल 464 मेगावाट 792 मेगावाट
मध्यांचल 536 मेगावाट 1212 मेगावाट
पूर्वांचल 470 मेगावाट 892 मेगावाट
केस्को 103 मेगावाट 187 मेगावाट
कुल 2709 मेगावाट 5003 मेगावाट

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