नई दिल्ली: दिल्ली में वर्ष 2025 के अंत तक 2180 मोहल्ला बसें चलाए जाने का लक्ष्य है. इन बसों का चार रूटों पर ट्रायल चल रहा है. जेबीएम कामनी के अधिकारियों का कहना है कि अभी मोहल्ला बसों को बनाने का काम चल रहा है. दो माह में करीब 100 बसें बन जाएंगी. इन्हें कंपनी की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर चलाया जाएगा. बस चलाने के लिए प्रति किलोमीटर के हिसाब से दिल्ली सरकार कंपनी को भुगतान करेगी.
दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से मोहल्ला बस चलाई जाने की योजना है. इसके लिए दिल्ली में 2180 बसें चलाए जाने की योजना है. 100 फीडर बसें विभिन्न लोकेलिटी से मेट्रो स्टेशन तक चल रही हैं. 9 मीटर की 1040 बसें बनाने का ऑर्डर पीएमआई इलेक्ट्रोमैबिलिटी और 1040 बसें जेबीएम कंपनी को बनाने का आर्डर दिया गया है.
दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, दोनों कंपनियों की तरफ से दो-दो बसों को बनाकर दिल्ली के रूटों पर ट्रायल किया जा रहा है. जेबीएम कंपनी द्वारा बनाई गई दो मोहल्ला बसें 15 जुलाई से मजलिस पार्क से बुराड़ी और अक्षरधाम से मयूर विहार फेज 3 तक ट्रायल चल रहा है. इन दोनों बसों को अन्य रूट पर जल्द ट्रायल के लिए लगाया जाएगा. साथ ही पीएमआई इलेक्ट्रोमैबिलिटी कंपनी द्वारा बनाई गई 9 मीटर की दो मोहल्ला बस से कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन से गीतांजलि कॉलोनी और लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन से वसंत विहार मेट्रो स्टेशन तक ट्रायल चल रहा है. मोहल्ला बस का संचालन पूरी तरीके से कब शुरू हो पाएगा, इस पर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत अभी स्पष्ट कुछ कहने से बच रहे हैं.
दो महीने में तैयार होगी मोहल्ला बसें: जेबीएम कंपनी के अधिकारी दुष्यंत शर्मा का कहना है कि अभी दो बसें बनाकर दिल्ली में ट्रायल कर रहे हैं. कंपनी की तरफ से 100 मोहल्ला बस बनाए जाने का काम चल रहा है. दो माह में यह बसें बनकर तैयार हो जाएंगी. इसके बाद इन बसों को दिल्ली के विभिन्न रूटों पर संचालन के लिए उतारा जाएगा.
पीपीपी मॉडल पर होगा मोहल्ला बसों का संचालन: जेबीएम कंपनी के अधिकारी दुष्यंत शर्मा ने बताया कि हमारी कंपनी बसों का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर कर रही है. 12 साल की अनुबंध के तहत मोहल्ला व अन्य इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. प्रति किलोमीटर संचालन के अनुसार ही दिल्ली सरकार की तरफ से कंपनी को भुगतान किया जाता है. बस में चालक कंपनी की तरफ से होते हैं, जबकि कंडक्टर दिल्ली परिवहन विभाग के होते हैं. बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी कंपनी की है.
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