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हाथ को मिलेगा जनता का साथ या फिर बागी खिलाएंगे कमल, लोकसभा के रण से ज्यादा छह सीटों के उपचुनाव की चर्चा - HIMACHAL BY ELECTION

इस समय लोकसभा चुनाव से अधिक हिमाचल की छह सीटों पर हो रहे उपचुनाव की चर्चा है. गणित ऐसा है कि छह सीटें वेकेंट होने के बाद अब विधानसभा की स्ट्रेंथ 62 सीटों की रह गई है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को जनता एक बार फिर सदन में पहुंचाएगी. अभी कांग्रेस के पास 34 एमएलए हैं और भाजपा की 25 सीटें हैं. तीन निर्दलीयों के इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास बहुमत है. ईटीवी भारत

HIMACHAL BY POLLS ELECTION
डिजाइन फोटो (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 19, 2024, 7:09 PM IST

Updated : May 19, 2024, 9:33 PM IST

शिमला: अच्छे-खासे बहुमत से हिमाचल की सत्ता में वापिसी करने वाली कांग्रेस सरकार को राज्यसभा चुनाव में ऐसा झटका लगा कि पहाड़ी प्रदेश का सारा सियासी परिदृश्य बदल गया. इस समय लोकसभा चुनाव से अधिक हिमाचल की छह सीटों पर हो रहे उपचुनाव की चर्चा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का पहला लक्ष्य विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करना है. गणित ऐसा है कि छह सीटें वेकेंट होने के बाद अब विधानसभा की स्ट्रेंथ 62 सीटों की रह गई है.

अभी कांग्रेस के पास 34 एमएलए हैं और भाजपा की 25 सीटें हैं. तीन निर्दलीयों के इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास बहुमत है. अब यदि भाजपा सभी छह सीटों पर जीत हासिल कर ले तो उसकी सदस्य संख्या 31 होगी. फिर कांग्रेस के 34 व भाजपा के 31 सदस्य होंगे. इसी के साथ जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि कांग्रेस ने अपने दो विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारा है.

शिमला से विनोद सुल्तानपुरी व मंडी से विक्रमादित्य सिंह. यदि दोनों ही चुनाव जीत जाते हैं तो आने वाले समय में दो और उपचुनाव होंगे. वहीं, तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे भी भविष्य में स्वीकार हो जाते हैं तो तीन उपचुनाव और होंगे. इस तरह एक खिचड़ी सी पकी है, जिसमें भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने हिसाब से सियासी तडक़ा लगाने के लिए जरूरी सामान इकट्ठा करके तैयार हैं.

कांग्रेस सरकार हाल-फिलहाल सुरक्षित

उपचुनाव में यदि कांग्रेस सभी सीटों पर हार जाती है तो भी उसकी सरकार को खतरा नहीं है. इधर, तीन जून को निर्दलीय विधायकों के मामले में सुनवाई है. ऐसे आसार हैं कि उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जाएगा. फिर विधानसभा की स्ट्रेंथ 65 रह जाएगी. सभी छह सीटें जीतने के बाद भी भाजपा की सदस्य संख्या 31 ही रहेगी और कांग्रेस की 34 होगी. यहां भी कांग्रेस को कोई खतरा नहीं है. यदि कांग्रेस एक या एक से अधिक सीटों पर उपचुनाव जीतती है तो फिर सरकार और मजबूत हो जाएगी.

पहली बार सत्ता के शिखर पर पहुंच सीएम सुखविंदर सिंह राज्यसभा चुनाव में मिली अपमानजनक हार को भुलाकर धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. वे बागियों को निशाने पर रखे हुए हैं. कांग्रेस के जिन सदस्यों ने हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, वे खास तौर पर सीएम के निशाने पर हैं. वे बागियों को बिका हुआ बता रहे हैं. सीएम हर चुनावी मंच से कह रहे हैं कि बीजेपी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया और उनकी सरकार को कोई खतरा है नहीं. बीजेपी ने विधायकों को खरीदकर लोकतंत्र की हत्या की है और उनकी सरकार को गिराने का गलत तरीके से प्रयास किया है. वहीं, बीजेपी भी विधानसभा उपचुनावों में अपने लिए रास्ता ढूंढ रही है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित बीजेपी के कई नेता कह चुके हैं कि प्रदेश सरकार का जाना तय है. अब दोनों में किसका दावा सही होगा ये 4 जून को आने वाले नतीजों में पता चलेगा. खैर, यहां विधानसभा की छह सीटों पर समीकरण क्या हैं, उनकी पड़ताल की जा रही है.

सुजानपुर सीट पर क्या समीकरण

सुजानपुर सीट पर लड़ाई पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के दो करीबियों के बीच है. यहां से कांग्रेस को अलविदा बोलकर बीजेपी में शामिल हुए राजेंद्र राणा और बीजेपी छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए कैप्टन रणजीत राणा के बीच मुकाबला है. वर्ष 2022 के बीच भी यहां मुकाबला राजेंद्र राणा व रणजीत राणा के बीच ही था, लेकिन इस बार उक्त दोनों नेताओं की पार्टियां अलग अलग हैं. सुजानपुर सीट पर 2012 से राजेंद्र राणा जीत दर्ज करते आ रहे हैं. वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. यहां से उन्होंने अपनी पत्नी को उपचुनाव में मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी के नरेंद्र ठाकुर ने उन्हें मात दे दी थी. इसके बाद 2017 और 2022 में भी राजेंद्र राणा ने यहां से जीत हासिल की थी. साल 2017 में तो उन्होंने बीजेपी की तरफ से सीएम फेस और अपने राजनीतिक गुरू प्रेम कुमार धूमल को पटखनी दे दी थी. उसके बाद राजेंद्र राणा का नाम देश भर में चर्चित हो गया था.

HIMACHAL BY POLLS ELECTION
राजेंद्र राणा और कैप्टन रंजीत राणा के बीच कड़ा मुकाबला (ETV Bharat GFX)

पिछले चुनाव में यानी 2022 राजेंद्र राणा ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के कैप्टन रणजीत राणा को मामूली अंतर से हराया था. इस सीट पर राजपूत वोटर्स का प्रभाव है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने राजपूत उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है. पिछला चुनाव भले ही राजेंद्र राणा जीत गए हों, लेकिन उनके लिए ये चुनाव बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला है. कारण ये है कि सीएम सुखविंदर सिंह हमीरपुर जिला से ही हैं और वे प्रचार में डटे हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. अलबत्ता राजेंद्र राणा का निजी रसूख और भाजपा कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर उनकी आस जरूर है. इसके साथ ही राणा कांग्रेस में जाने से पहले बीजेपी के ही कार्यकर्ता थे.

बड़सर सीट

बड़सर सीट पर मुकाबला कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए आईडी लखनपाल और सुभाष चंद ढटवालिया के बीच है. बीजेपी प्रत्याशी इंद्र दत्त लखनपाल ने वर्ष 2012, 2017, 2022 में कांग्रेस की टिकट पर बड़सर से जीत हासिल की थी. इस बार लखनपाल ने हाथ का साथ छोडक़र बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष चंद जिला कांग्रेस के कोषाध्यक्ष हैं. इसके अलावा वो बड़सर वार्ड से जिला परिषद सदस्य, कलवाड पंचायत से प्रधान और बिझड़ी वार्ड से सदस्य भी रह चुके हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि पार्टी से हटकर लखनपाल का यहां अपना एक वोट बैंक हैं. उन्हें काफी मिलसार नेता माना जाता है. ऐसे में उनके दलबदल के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष चंद के लिए ये चुनाव आसान नहीं होने वाला है. सुभाष पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं.

himachal by poll election
बड़सर में लखनपाल के सामने ढटवालिया (ETV Bharat GFX)

करीब 42 साल बाद इस सीट पर ब्राह्मण बनाम राजपूत के बीच चुनावी टक्कर होगी. कांग्रेस के बड़ी बात ये है कि उनके प्रत्याशी सुभाष ढटवालिया उस क्षेत्र से आते हैं, जिसे तप्पा ढटवाल कहा जाता है. इस इलाके में 23 पंचायतें हैं, यहां मतदाताओं की संख्या 35 से 40 हजार के आसपास है. ये इलाका हर चुनाव में बड़सर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी को जिताने या हराने में पूरा योगदान रहता है, लेकिन यहां से किसी पार्टी ने कभी कोई प्रत्याशी नहीं दिया था.

धर्मशाला में तिकोने मुकाबले में फंसे सुधीर

धर्मशाला सीट का चुनाव रोचक हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आजाद उम्मीदवार राकेश चौधरी के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. दो बार अपना किस्मत आजमा चुके राकेश चौधरी इससे पहले भी 2019 के उपचुनाव में बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़े थे और कांग्रेस प्रत्याशी से अधिक वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे थे. 2022 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़े, लेकिन सुधीर शर्मा से हार गए. बीजेपी ने इस बार कांग्रेस से बागी हुए सुधीर शर्मा को टिकट दिया है. टिकट ना मिलने से राकेश चौधरी एक बार फिर निर्दलीय मैदान में हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र जग्गी धर्मशाला के पूर्व मेयर रहे हैं. जग्गी कभी सुधीर शर्मा के साथ साथ होते थे, लेकिन अब दोनों आमने सामने हैं. राकेश चौधरी के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से जग्गी और सुधीर शर्मा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. सुधीर शर्मा के पास धर्मशाला सीट पर पिता की विरासत का बल है.

himachal by poll election
धर्मशाला में मुकाबला त्रिकोणीय (ETV Bharat GFX)

कुटलैहड़ सीट पर मुकेश अग्निहोत्री की परीक्षा

कुटलैहड़ सीट लगभग तीन दशक तक बीजेपी के कब्जे में थी. 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी देविंद्र भुट्टो ने यहां से बीजेपी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर को हराया था, लेकिन कांग्रेस से बगावत कर वो बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद उनकी राह पहले ही आसान नहीं थी, वहीं कांग्रेस से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी विवेक शर्मा को टिकट की घोषणा के बाद उनकी राह और भी मुश्किल हो गई है.

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कुटलैहड़ में देवेंद्र भुट्टो और विवेक शर्मा आमने-सामने (ETV Bharat GFX)

लाहौल स्पीति पर भी तिकोना मुकाबला

वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रवि ठाकुर ने लाहौल-स्पीति सीट पर 1,616 वोटों जीती थी. अब बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक रवि ठाकुर चुनावी मैदान में हैं. महिला वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस ने जिला परिषद लाहौल-स्पीति की अध्यक्ष अनुराधा राणा को उम्मीदवार बनाया है. यहां दोनों दलों के समीकरण निर्दलीय उम्मीदवार रामलाल मारकंडा ने बिगाड़ दिए हैं. रामलाल मारंकडा तीन बार विधायक रह चुके हैं और जयराम सरकार में मंत्री पद पर भी रहे थे. टिकट ना मिलने से नाराज निर्दलीय मैदान में उतरे डॉ. रामलाल मारकंडा ने दोनों पार्टियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. मारकंडा का लाहौल स्पीति में अपना अलग वोट बैंक है. इसके साथ ही वो कांग्रेस के वोट बैंक में भी सेंधमारी कर सकते हैं. यहां वोटर्स की संख्या कम है और ऊपर से मुकाबला तिकोना हो गया है. ऐसे में जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा. यानी मुकाबला कड़ा होगा और जीत-हार का अंतर भी मामूली ही रहेगा.

HIMACHAL BY POLLS ELECTION
लाहौल स्पीति में त्रिकोणीय मुकाबला (ETV Bharat GFX)

गगरेट

ऊना जिले के तहत आने वाली गगरेट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस ने राकेश कालिया और चैतन्य शर्मा के बीच है. चैतन्य शर्मा 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन कांग्रेस से बगावत बीजेपी में शामिल हो गए. वहीं, 2022 में टिकट ना मिलने पर राकेश कालिया बीजेपी में शामिल हो गए. चैतन्य शर्मा के बीजेपी में शामिल होते ही राकेश कालिया ने फिर घर वापसी करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया. 2 बार चिंतपूर्णी और एक बार गगरेट से विधायक राकेश कालिया तीन बार जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. इस बार गगरेट में उनकी लड़ाई युवा चेहरे से है. यहां पर 5 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन सीधी टक्कर बीजेपी-कांग्रेस में ही है.

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गगरेट में चैतन्य से सामने कालिया (ETV Bharat GFX)

क्या जनता धो देगी दाग

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को जनता एक बार फिर सदन में पहुंचाएगी. ये एक बड़ा सवाल है. सीएम सुक्खू और कांग्रेस इसे जनता से धोखा करार दे रहे हैं और गद्दारी का आरोप बीजेपी उम्मीदवारों पर लगा रहे हैं. वहीं, बागी नेता प्रदेश सरकार पर उनके क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. अब जनता किसके आरोपों को सच और किसके आरोपों को झूठ मानती है. इसका नतीजा 4 जून को सामने आ जाएगा.

वहीं, बीजेपी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उन्होंने दूसरे दल से आए नेताओं को पार्टी से टिकट दिया है. इससे उन्हें अपने नेताओं और संगठन के कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि छह सीटों पर उपचुनाव में न केवल सीएम व डिप्टी सीएम की साख दांव पर है, बल्कि भाजपा के भी उस दावे की परीक्षा है जिसमें वो सरकार गिरने की बात कह रही है. कांग्रेस के लिए हमीरपुर व ऊना की सीटों पर स्थिति सत्ता में होने के कारण मजबूत है, लेकिन उसकी लड़ाई नई परिस्थितियों में भाजपा के मजबूत कैडर व बागियों के पर्सनल समर्थकों की संयुक्त ताकत से है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ये मुद्दे क्या बीजेपी के वोट बैंक को डालेंगे डेंट, जानिए कौन-कौन सी हैं अड़चने ? - LOK SABHA ELECTION 2024

शिमला: अच्छे-खासे बहुमत से हिमाचल की सत्ता में वापिसी करने वाली कांग्रेस सरकार को राज्यसभा चुनाव में ऐसा झटका लगा कि पहाड़ी प्रदेश का सारा सियासी परिदृश्य बदल गया. इस समय लोकसभा चुनाव से अधिक हिमाचल की छह सीटों पर हो रहे उपचुनाव की चर्चा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का पहला लक्ष्य विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करना है. गणित ऐसा है कि छह सीटें वेकेंट होने के बाद अब विधानसभा की स्ट्रेंथ 62 सीटों की रह गई है.

अभी कांग्रेस के पास 34 एमएलए हैं और भाजपा की 25 सीटें हैं. तीन निर्दलीयों के इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास बहुमत है. अब यदि भाजपा सभी छह सीटों पर जीत हासिल कर ले तो उसकी सदस्य संख्या 31 होगी. फिर कांग्रेस के 34 व भाजपा के 31 सदस्य होंगे. इसी के साथ जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि कांग्रेस ने अपने दो विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारा है.

शिमला से विनोद सुल्तानपुरी व मंडी से विक्रमादित्य सिंह. यदि दोनों ही चुनाव जीत जाते हैं तो आने वाले समय में दो और उपचुनाव होंगे. वहीं, तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे भी भविष्य में स्वीकार हो जाते हैं तो तीन उपचुनाव और होंगे. इस तरह एक खिचड़ी सी पकी है, जिसमें भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने हिसाब से सियासी तडक़ा लगाने के लिए जरूरी सामान इकट्ठा करके तैयार हैं.

कांग्रेस सरकार हाल-फिलहाल सुरक्षित

उपचुनाव में यदि कांग्रेस सभी सीटों पर हार जाती है तो भी उसकी सरकार को खतरा नहीं है. इधर, तीन जून को निर्दलीय विधायकों के मामले में सुनवाई है. ऐसे आसार हैं कि उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जाएगा. फिर विधानसभा की स्ट्रेंथ 65 रह जाएगी. सभी छह सीटें जीतने के बाद भी भाजपा की सदस्य संख्या 31 ही रहेगी और कांग्रेस की 34 होगी. यहां भी कांग्रेस को कोई खतरा नहीं है. यदि कांग्रेस एक या एक से अधिक सीटों पर उपचुनाव जीतती है तो फिर सरकार और मजबूत हो जाएगी.

पहली बार सत्ता के शिखर पर पहुंच सीएम सुखविंदर सिंह राज्यसभा चुनाव में मिली अपमानजनक हार को भुलाकर धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. वे बागियों को निशाने पर रखे हुए हैं. कांग्रेस के जिन सदस्यों ने हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, वे खास तौर पर सीएम के निशाने पर हैं. वे बागियों को बिका हुआ बता रहे हैं. सीएम हर चुनावी मंच से कह रहे हैं कि बीजेपी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया और उनकी सरकार को कोई खतरा है नहीं. बीजेपी ने विधायकों को खरीदकर लोकतंत्र की हत्या की है और उनकी सरकार को गिराने का गलत तरीके से प्रयास किया है. वहीं, बीजेपी भी विधानसभा उपचुनावों में अपने लिए रास्ता ढूंढ रही है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित बीजेपी के कई नेता कह चुके हैं कि प्रदेश सरकार का जाना तय है. अब दोनों में किसका दावा सही होगा ये 4 जून को आने वाले नतीजों में पता चलेगा. खैर, यहां विधानसभा की छह सीटों पर समीकरण क्या हैं, उनकी पड़ताल की जा रही है.

सुजानपुर सीट पर क्या समीकरण

सुजानपुर सीट पर लड़ाई पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के दो करीबियों के बीच है. यहां से कांग्रेस को अलविदा बोलकर बीजेपी में शामिल हुए राजेंद्र राणा और बीजेपी छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए कैप्टन रणजीत राणा के बीच मुकाबला है. वर्ष 2022 के बीच भी यहां मुकाबला राजेंद्र राणा व रणजीत राणा के बीच ही था, लेकिन इस बार उक्त दोनों नेताओं की पार्टियां अलग अलग हैं. सुजानपुर सीट पर 2012 से राजेंद्र राणा जीत दर्ज करते आ रहे हैं. वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. यहां से उन्होंने अपनी पत्नी को उपचुनाव में मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी के नरेंद्र ठाकुर ने उन्हें मात दे दी थी. इसके बाद 2017 और 2022 में भी राजेंद्र राणा ने यहां से जीत हासिल की थी. साल 2017 में तो उन्होंने बीजेपी की तरफ से सीएम फेस और अपने राजनीतिक गुरू प्रेम कुमार धूमल को पटखनी दे दी थी. उसके बाद राजेंद्र राणा का नाम देश भर में चर्चित हो गया था.

HIMACHAL BY POLLS ELECTION
राजेंद्र राणा और कैप्टन रंजीत राणा के बीच कड़ा मुकाबला (ETV Bharat GFX)

पिछले चुनाव में यानी 2022 राजेंद्र राणा ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के कैप्टन रणजीत राणा को मामूली अंतर से हराया था. इस सीट पर राजपूत वोटर्स का प्रभाव है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने राजपूत उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है. पिछला चुनाव भले ही राजेंद्र राणा जीत गए हों, लेकिन उनके लिए ये चुनाव बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला है. कारण ये है कि सीएम सुखविंदर सिंह हमीरपुर जिला से ही हैं और वे प्रचार में डटे हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. अलबत्ता राजेंद्र राणा का निजी रसूख और भाजपा कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर उनकी आस जरूर है. इसके साथ ही राणा कांग्रेस में जाने से पहले बीजेपी के ही कार्यकर्ता थे.

बड़सर सीट

बड़सर सीट पर मुकाबला कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए आईडी लखनपाल और सुभाष चंद ढटवालिया के बीच है. बीजेपी प्रत्याशी इंद्र दत्त लखनपाल ने वर्ष 2012, 2017, 2022 में कांग्रेस की टिकट पर बड़सर से जीत हासिल की थी. इस बार लखनपाल ने हाथ का साथ छोडक़र बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष चंद जिला कांग्रेस के कोषाध्यक्ष हैं. इसके अलावा वो बड़सर वार्ड से जिला परिषद सदस्य, कलवाड पंचायत से प्रधान और बिझड़ी वार्ड से सदस्य भी रह चुके हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि पार्टी से हटकर लखनपाल का यहां अपना एक वोट बैंक हैं. उन्हें काफी मिलसार नेता माना जाता है. ऐसे में उनके दलबदल के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष चंद के लिए ये चुनाव आसान नहीं होने वाला है. सुभाष पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं.

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बड़सर में लखनपाल के सामने ढटवालिया (ETV Bharat GFX)

करीब 42 साल बाद इस सीट पर ब्राह्मण बनाम राजपूत के बीच चुनावी टक्कर होगी. कांग्रेस के बड़ी बात ये है कि उनके प्रत्याशी सुभाष ढटवालिया उस क्षेत्र से आते हैं, जिसे तप्पा ढटवाल कहा जाता है. इस इलाके में 23 पंचायतें हैं, यहां मतदाताओं की संख्या 35 से 40 हजार के आसपास है. ये इलाका हर चुनाव में बड़सर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी को जिताने या हराने में पूरा योगदान रहता है, लेकिन यहां से किसी पार्टी ने कभी कोई प्रत्याशी नहीं दिया था.

धर्मशाला में तिकोने मुकाबले में फंसे सुधीर

धर्मशाला सीट का चुनाव रोचक हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आजाद उम्मीदवार राकेश चौधरी के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. दो बार अपना किस्मत आजमा चुके राकेश चौधरी इससे पहले भी 2019 के उपचुनाव में बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़े थे और कांग्रेस प्रत्याशी से अधिक वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे थे. 2022 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़े, लेकिन सुधीर शर्मा से हार गए. बीजेपी ने इस बार कांग्रेस से बागी हुए सुधीर शर्मा को टिकट दिया है. टिकट ना मिलने से राकेश चौधरी एक बार फिर निर्दलीय मैदान में हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र जग्गी धर्मशाला के पूर्व मेयर रहे हैं. जग्गी कभी सुधीर शर्मा के साथ साथ होते थे, लेकिन अब दोनों आमने सामने हैं. राकेश चौधरी के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से जग्गी और सुधीर शर्मा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. सुधीर शर्मा के पास धर्मशाला सीट पर पिता की विरासत का बल है.

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धर्मशाला में मुकाबला त्रिकोणीय (ETV Bharat GFX)

कुटलैहड़ सीट पर मुकेश अग्निहोत्री की परीक्षा

कुटलैहड़ सीट लगभग तीन दशक तक बीजेपी के कब्जे में थी. 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी देविंद्र भुट्टो ने यहां से बीजेपी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर को हराया था, लेकिन कांग्रेस से बगावत कर वो बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद उनकी राह पहले ही आसान नहीं थी, वहीं कांग्रेस से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी विवेक शर्मा को टिकट की घोषणा के बाद उनकी राह और भी मुश्किल हो गई है.

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कुटलैहड़ में देवेंद्र भुट्टो और विवेक शर्मा आमने-सामने (ETV Bharat GFX)

लाहौल स्पीति पर भी तिकोना मुकाबला

वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रवि ठाकुर ने लाहौल-स्पीति सीट पर 1,616 वोटों जीती थी. अब बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक रवि ठाकुर चुनावी मैदान में हैं. महिला वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस ने जिला परिषद लाहौल-स्पीति की अध्यक्ष अनुराधा राणा को उम्मीदवार बनाया है. यहां दोनों दलों के समीकरण निर्दलीय उम्मीदवार रामलाल मारकंडा ने बिगाड़ दिए हैं. रामलाल मारंकडा तीन बार विधायक रह चुके हैं और जयराम सरकार में मंत्री पद पर भी रहे थे. टिकट ना मिलने से नाराज निर्दलीय मैदान में उतरे डॉ. रामलाल मारकंडा ने दोनों पार्टियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. मारकंडा का लाहौल स्पीति में अपना अलग वोट बैंक है. इसके साथ ही वो कांग्रेस के वोट बैंक में भी सेंधमारी कर सकते हैं. यहां वोटर्स की संख्या कम है और ऊपर से मुकाबला तिकोना हो गया है. ऐसे में जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा. यानी मुकाबला कड़ा होगा और जीत-हार का अंतर भी मामूली ही रहेगा.

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लाहौल स्पीति में त्रिकोणीय मुकाबला (ETV Bharat GFX)

गगरेट

ऊना जिले के तहत आने वाली गगरेट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस ने राकेश कालिया और चैतन्य शर्मा के बीच है. चैतन्य शर्मा 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन कांग्रेस से बगावत बीजेपी में शामिल हो गए. वहीं, 2022 में टिकट ना मिलने पर राकेश कालिया बीजेपी में शामिल हो गए. चैतन्य शर्मा के बीजेपी में शामिल होते ही राकेश कालिया ने फिर घर वापसी करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया. 2 बार चिंतपूर्णी और एक बार गगरेट से विधायक राकेश कालिया तीन बार जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. इस बार गगरेट में उनकी लड़ाई युवा चेहरे से है. यहां पर 5 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन सीधी टक्कर बीजेपी-कांग्रेस में ही है.

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गगरेट में चैतन्य से सामने कालिया (ETV Bharat GFX)

क्या जनता धो देगी दाग

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को जनता एक बार फिर सदन में पहुंचाएगी. ये एक बड़ा सवाल है. सीएम सुक्खू और कांग्रेस इसे जनता से धोखा करार दे रहे हैं और गद्दारी का आरोप बीजेपी उम्मीदवारों पर लगा रहे हैं. वहीं, बागी नेता प्रदेश सरकार पर उनके क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. अब जनता किसके आरोपों को सच और किसके आरोपों को झूठ मानती है. इसका नतीजा 4 जून को सामने आ जाएगा.

वहीं, बीजेपी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उन्होंने दूसरे दल से आए नेताओं को पार्टी से टिकट दिया है. इससे उन्हें अपने नेताओं और संगठन के कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि छह सीटों पर उपचुनाव में न केवल सीएम व डिप्टी सीएम की साख दांव पर है, बल्कि भाजपा के भी उस दावे की परीक्षा है जिसमें वो सरकार गिरने की बात कह रही है. कांग्रेस के लिए हमीरपुर व ऊना की सीटों पर स्थिति सत्ता में होने के कारण मजबूत है, लेकिन उसकी लड़ाई नई परिस्थितियों में भाजपा के मजबूत कैडर व बागियों के पर्सनल समर्थकों की संयुक्त ताकत से है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ये मुद्दे क्या बीजेपी के वोट बैंक को डालेंगे डेंट, जानिए कौन-कौन सी हैं अड़चने ? - LOK SABHA ELECTION 2024

Last Updated : May 19, 2024, 9:33 PM IST
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