रांची: झारखंड सहित देश के 10 राज्य ऐसे हैं जहां पिछले चुनाव के दरम्यान मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम था. आंकड़ों के मुताबिक मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर पर करीब 67 फीसदी है जबकि झारखंड इससे थोड़ा पीछे करीब 66.80 फीसदी है जबकि पड़ोसी राज्य बंगाल में 80 फीसद है. यही वजह है कि राष्ट्रीय औसत से पार करने के लिए मतदाताओं की अधिक से अधिक भागीदारी के लिए चुनाव आयोग इन दिनों मिशन मोड में काम कर रहा है. मतदाता जागरूकता अभियान के अलावा आनेवाले समय में कई ऐसे सरकारी गैरसरकारी स्तर पर कार्यक्रम किये जायेंगे जो मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करेगा. इसके अलावा परिवार के साथ वोट गिराने जाने के लिए आयोग इस बार लोगों को प्रेरित करेगा जिससे फेस्टिव माहौल दिखे.
मतदान प्रतिशत
- 2009 लोकसभा चुनाव में मतदान- 50.98%
- 2014 लोकसभा चुनाव में मतदान- 63.82%
- 2019 लोकसभा चुनाव में मतदान- 66.80%
कम मतदान की वजह
- रांची सहित सभी प्रमुख शहरी क्षेत्र में मतदान के प्रति वोटर रहते हैं उदासीन
- मतदाता सूची में गड़बड़ी मतदान प्रतिशत कम होने की बड़ी वजह
- मतदाता पुर्नरीक्षण के दौरान वोटर नहीं दिखाते गंभीरता
- घर से दूर बूथों पर चुनाव के दिन लोग नहीं जाना चाहते
- झारखंड की भौगोलिक कारण और निवास स्थान भी है वजह
- कानून व्यवस्था को लेकर चुनाव के दिन सशंकित रहते हैं मतदाता
वोटर टर्न आउट बढ़ाना है बड़ी चुनौती
झारखंड में वोटर टर्न आउट बढ़ाना बेहद ही चुनौतीपूर्ण काम है. हालांकि आयोग ने शत प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को लेकर राज्यभर में नियुक्त 800 मास्टर ट्रेनर के जरिए निर्वाचन कार्य से जुड़े कर्मियों को प्रशिक्षित किया है. इसके अलावा रांची सहित राज्य के विभिन्न शहरों में मतदान प्रतिशत कम होने की शिकायतों को दूर करने के लिए नगर निगम के सहयोग से मतदान केंद्रों को सुव्यवस्थित बनाने में सहयोग मांगा है जिसके तहत मतदान के दिन बूथों के इर्द-गिर्द पार्किंग एवं अन्य सुविधा मुहैया कराया जाएगा.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार पिछले चुनाव का अनुभव यह बताता है कि शहरी क्षेत्र के मतदाता मतदान के प्रति कई वजह से उदासीन रहते हैं जिसे दूर करने के लिए इस बार कई प्रयास किये जा रहे हैं. बड़े-बड़े हाउसिंग कॉलोनी में मतदान केंद्र बनाने के साथ-साथ चुनाव को पर्व के रूप में मनाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश होगी जिसे लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.
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