जयपुर. राजधानी जयपुर के सेठ आनंदीलाल पोद्दार राजकीय बाधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में शनिवार को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से विशेष योग्यजन विद्यार्थियों के लिए अंग उपकरण वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में शिक्षा व पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं, बल्कि सहारे की जरूरत है. ऐसे में हमें इनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए. सामान्य तौर पर हम ऐसे बच्चों की उपेक्षा करते हैं, लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए. ये चलते फिरते भगवान हैं और हमें इन्हें भगवान मानकर इनकी सेवा करनी चाहिए.
राज्य सरकार दिव्यांग बच्चों की करेगी हर संभव मदद : मंत्री दिलावर ने कहा कि दिव्यांग बच्चे भी असाधारण प्रतिभा के धनी होते हैं. कई बच्चे प्रशासनिक सेवाओं में भी चयनित हुए हैं और बहुत अच्छी तरह से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसलिए माता-पिता को दिव्यांग बच्चों के प्रति हीन भाव नहीं रखना चाहिए. आगे उन्होंने भरोसा दिया कि राज्य सरकार ऐसे बच्चों और उनके परिजनों की सेवा के लिए हर संभव मदद करेगी.
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मंत्री ने दिए ये निर्देश : मंत्री ने कहा कि दिव्यांगजानों को बसों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर अपनी आवश्यक क्रियाओं के लिए सामान्य लोगों को समझने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. सामान्यजन दिव्यांगों की भाषा को समझे इस पर काम करने की जरूरत है. इस मौके पर मंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस दिशा में काम करें और जल्द ही इसके लिए योजना लेकर आए. इस दौरान 193 बच्चों को अंग उपकरण वितरित किए गए. समग्र शिक्षा के अतिरिक्त प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेश कुमार बुनकर ने कहा कि हम सब को दिव्यांगों की मदद के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने चाहिए. विद्यालय के प्रधानाचार्य भरत जोशी ने कहा कि सेठ आनंदीलाल पोद्दार राजकीय बाधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय उत्तर भारत का सबसे बड़ा दिव्यांग स्कूल है, जहां कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं में कुल 670 बच्चें पढ़ते हैं.
घुमंतू जाति के लोगों को शीघ्र मिलेंगे निशुल्क पट्टे : मंत्री दिलावर ने पंचायत राज विभाग के अधिकारियों को प्रदेश की सभी पंचायतों में अभियान चलाकर घुमंतू जाति के लोगों को निशुल्क पट्टे जारी करने के आदेश दिए. मंत्री ने कहा कि जब तक पुनर्वास न हो, तब तक इन लोगो को कही से भी नहीं हटाया जाए. पट्टे देकर इनका पुनर्वास किया जाए.