जयपुर. राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के दौर में खुले अंग्रेजी मध्य के स्कूल कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं. लिहाजा, जिन स्कूलों ने मापदंड पूरे नहीं किए हैं, उन पर सरकार कैंची चलाने के मूड में है. सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों से इन स्कूलों को फिर से हिंदी माध्यम में तब्दील करने के लिए प्रस्ताव भी मांगे हैं.
दरअसल, राजस्थान में करीब 2070 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालित हैं. इन स्कूलों को 14 जून 2019 और 8 अगस्त 2022 में शासन स्तर पर जारी दिशा निर्देशों के आधार पर हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम में कन्वर्ट कर दिया गया था. इनमें से जो स्कूल अभी तक इंग्लिश मीडियम स्कूलों के मानदंडों की पूर्ति नहीं कर पाए हैं, ऐसे स्कूलों को दोबारा हिंदी मीडियम स्कूलों में कन्वर्ट करने का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारियों से मांगा गया है. शिक्षा विभाग का दायित्व संभालने के साथ ही प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पूर्वर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'केवल भवन पर नाम लिख देने से वो विद्यालय नहीं हो जाता, जब तक उसमें पढ़ाने वाले अच्छे शिक्षक ना हो'.
इस बयान के जरिए मदन दिलावर ने कांग्रेस सरकार के शासनकाल में खोले गए महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर सवाल उठाते हुए इनका रिव्यू करने की बात कही थी और अब शिक्षा विभाग ने नए सत्र से पहले प्रदेश में संचालित सभी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की स्थिति जानने के लिए एक सर्वेक्षण करा रहा है. साथ ही सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को ऐसे महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों का प्रस्ताव मांगा है, जिन्हें मापदंडों पर खरा नहीं उतरने के चलते दोबारा हिंदी मीडियम स्कूलों में तब्दील किया जाना है.
जिला शिक्षा अधिकारियों से मांगे गए प्रस्ताव में स्कूल से जुड़ी हुई जानकारी मांगी गई है, जिसमें विद्यालय का भवन है या नहीं, स्कूल में खेल का मैदान, पदनाम के अनुसार कार्यरत शिक्षकों की संख्या, कक्षावार नामांकन जैसी डिटेल मांगते हुए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
इस प्रारूप में जिला शिक्षा अधिकारी प्रमाणित करेगा कि संबंधित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल मानदंडों पर खरा उतरता है या नहीं और इसे दोबारा हिंदी मीडियम स्कूल में कन्वर्ट किया जाना चाहिए या नहीं ? इस संबंध में जयपुर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि सरकार की मंशा छात्रहित और जनहित की है. यदि स्थानीय अभिभावक अपने बच्चे को हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं और छात्र भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं तो शिक्षा के अधिकार के तहत उन स्कूलों को दोबारा हिंदी मीडियम स्कूलों में कन्वर्ट का प्रस्ताव मांगा गया है.