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यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 के अनुसार चलती रहेगी मदरसों में पढ़ाई, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम खुश - UP Madrassa Act 2004 - UP MADRASSA ACT 2004

Supreme Court Stays High Court Decision: मौलाना बोले, मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती है, बल्कि सभी विषय की पढ़ाई होती है. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, रइंजीनियर, आईएएस आईपीएस भी बनते हैं. मदरसों के बच्चे हर कंप्टीशन में भाग ले रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 3:09 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सेंटर के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद ने खुशी जताई.

लखनऊ: Supreme Court Stays High Court Decision: यूपी मदरसा एक्ट 2004 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला द‍िया है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के 16000 मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट के आदेश के अनुसार, फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार जावेद ने कहा कि ये पहली जीत है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते है और उन सभी का धन्यवाद करते है, जो मदरसों को बचाने में हमारे साथ थे.

इस्लामिक सेंटर के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. हम सभी की मेहनत रंग लाई, देश में संविधान सबसे पहले है. कोर्ट के फैसले से बच्चों के साथ शिक्षकों के भविष्य का भी खतरा टल गया.

उन्होंने कहा कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती है, बल्कि सभी विषय की पढ़ाई होती है. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, रइंजीनियर, आईएएस आईपीएस भी बनते हैं. मदरसों के बच्चे हर कंप्टीशन में भाग ले रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं.

ऐसे में इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया जाना सही नहीं था. मदरसों के अलावा सरकार कई अन्य समुदाय की संस्थाओं को ग्रांट देती है, जिसमें वो अपनी भाषा और कल्चर पर खर्च करते हैं. संविधान में हम लोगों को धार्मिक और अपने कल्चर को बढ़ाने और मेंटेन करने की आजादी है.

मदरसों के अलावा सरकार दूसरे मजहबी इदारों, पाठशाला, विद्यापीठ में भी ग्रांट देती है. वहीं मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है, इससे ये जाहिर होता है कि संविधान अभी जिंदा है. मदरसों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं, हजारों शिक्षक पढ़ाते हैं. ऐसे में शिक्षा के साथ रोजगार पर जो असर पड़ता, उससे राहत मिल गई है.

आपको बता दें क‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक्ट को असंवैधानिक करार द‍िया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है. ये कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. खुद यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में एक्ट का बचाव किया था.

हाईकोर्ट ने 2004 के एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है. उसके बाद से ही मदरसा बोर्ड और अन्य संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित एक कानून है जो राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. इस कानून के तहत, मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ न्यूनतम मानकों को पूरा करना आवश्यक था.

बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री, और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशानिर्देश प्रदान करता था. यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 के उद्देश्यों में मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, मदरसों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना और मदरसा छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना है.

हालांकि, इस कानून को लेकर कुछ आलोचनाएं भी थीं. जैसे कुछ लोगों का मानना ​​था कि यह कानून मदरसों की स्वायत्तता को कम करता है, कुछ लोगों का मानना ​​था कि यह कानून मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने से रोकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस कानून असवैंधानिक बताते हुए रद कर दिया था.

ये भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; यूपी मदरसा एक्ट रद करने के फैसले पर रोक, राज्य सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सेंटर के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद ने खुशी जताई.

लखनऊ: Supreme Court Stays High Court Decision: यूपी मदरसा एक्ट 2004 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला द‍िया है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के 16000 मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट के आदेश के अनुसार, फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार जावेद ने कहा कि ये पहली जीत है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते है और उन सभी का धन्यवाद करते है, जो मदरसों को बचाने में हमारे साथ थे.

इस्लामिक सेंटर के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. हम सभी की मेहनत रंग लाई, देश में संविधान सबसे पहले है. कोर्ट के फैसले से बच्चों के साथ शिक्षकों के भविष्य का भी खतरा टल गया.

उन्होंने कहा कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती है, बल्कि सभी विषय की पढ़ाई होती है. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, रइंजीनियर, आईएएस आईपीएस भी बनते हैं. मदरसों के बच्चे हर कंप्टीशन में भाग ले रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं.

ऐसे में इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया जाना सही नहीं था. मदरसों के अलावा सरकार कई अन्य समुदाय की संस्थाओं को ग्रांट देती है, जिसमें वो अपनी भाषा और कल्चर पर खर्च करते हैं. संविधान में हम लोगों को धार्मिक और अपने कल्चर को बढ़ाने और मेंटेन करने की आजादी है.

मदरसों के अलावा सरकार दूसरे मजहबी इदारों, पाठशाला, विद्यापीठ में भी ग्रांट देती है. वहीं मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है, इससे ये जाहिर होता है कि संविधान अभी जिंदा है. मदरसों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं, हजारों शिक्षक पढ़ाते हैं. ऐसे में शिक्षा के साथ रोजगार पर जो असर पड़ता, उससे राहत मिल गई है.

आपको बता दें क‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक्ट को असंवैधानिक करार द‍िया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है. ये कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. खुद यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में एक्ट का बचाव किया था.

हाईकोर्ट ने 2004 के एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है. उसके बाद से ही मदरसा बोर्ड और अन्य संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित एक कानून है जो राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. इस कानून के तहत, मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ न्यूनतम मानकों को पूरा करना आवश्यक था.

बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री, और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशानिर्देश प्रदान करता था. यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 के उद्देश्यों में मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, मदरसों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना और मदरसा छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना है.

हालांकि, इस कानून को लेकर कुछ आलोचनाएं भी थीं. जैसे कुछ लोगों का मानना ​​था कि यह कानून मदरसों की स्वायत्तता को कम करता है, कुछ लोगों का मानना ​​था कि यह कानून मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने से रोकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस कानून असवैंधानिक बताते हुए रद कर दिया था.

ये भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; यूपी मदरसा एक्ट रद करने के फैसले पर रोक, राज्य सरकार को नोटिस

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