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खाने के तेल के दाम पहुंचे सातवें आसमान पर, पाम ऑयल से होगी आपूर्ति, केंद्र की नई रणनीति - edible oil prices hike

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 10:53 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 12:26 PM IST

देश व प्रदेश में इन दिनों छप्पर फाड़ महंगाई है. सब्जियों से लेकर तेल तक के दामों में भयंकर बढ़ोतरी जारी है. तेल की भाव को काबू करने के लिए सरकार ने रणनीति तैयारी है. देश में जल्द ही 1 से 2 मिलियन टन पाम ऑयल का उत्पादन होगा.

INDORE EDIBLE OIL PRICES HIKE
खाने वाले तेलों के बढ़े रेट (Getty Image)

इंदौर। घर घर में खाना बनाने से लेकर व्यंजन तैयार करने के लिए उपयोग में आने वाले तेल के भाव अब सातवें आसमान पर हैं. इतना ही नहीं देश में लगातार बढ़ती तेल की मांग के चलते आपूर्ति पाम तेल के उत्पादन से ही संभव है. यही वजह है कि अब देश में पाम तेल की उत्पादक संस्थाएं और भारत सरकार अब देश में इसके उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही हैं.

तेल की आपूर्ति विदेश के सहारे

बीते कुछ सालों में खानपान की हर चीज महंगी होने के साथ तेल के दाम भी लगभग दोगुने हो चुके हैं. फिलहाल मध्य प्रदेश में मूंगफली तेल ₹150 प्रति लीटर जबकि सोयाबीन 90 से 100 रुपए और पाम आयल 100 से 120 रुपए लीटर तक पहुंच गया है. जो पैकिंग और ब्रांडेड तेल के लिहाज से और ज्यादा महंगा है. दरअसल तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि की वजह भारत में तेल उत्पादक फसलों की कमी और विदेश से तेल की आपूर्ति है. जिसके फलस्वरुप भारत सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपए के राजस्व की आपूर्ति तेल के आयात पर करनी पड़ रही है.

देश में बीते 20 सालों से नहीं बढ़ा तेल उत्पादन

फिलहाल देशभर में तेल की आपूर्ति 25 मिलियन टन है. जिसमें से हर साल 16 मिलियन टन तेल का आयत करना होता है. इसमें भी 9 मिलियन टन पाम आयल इंडोनेशिया मलेशिया और थाईलैंड से इंपोर्ट होता है. जबकि सोयाबीन और सनफ्लावर तेल का आयात अर्जेंटीना ब्राज़ील यूक्रेन से होता है. जहां से हर साल 6 से 7 मिलियन टन तेल इंपोर्ट किया जाता है. इस स्थिति को लेकर चिंताजनक पहलू यह भी है कि भारत में बीते 20 साल से ना तो पाम आयल तैयार करने के लिए फार्म की फसल का उत्पादन बढ़ सका है ना ही जरूरत के मुताबिक मूंगफली सोयाबीन सरसों और अन्य फसलों का उत्पादन ही हो रहा है.

भारत सरकार ने पाम ऑयल के लिए निर्धारित किया बजट

भारत सरकार अब पाम ऑयल के अधिक से अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है. बीते आम बजट में भी भारत सरकार ने 11000 करोड़ रुपए का बजट पाम तेल के उत्पादन के लिए अलग से निर्धारित किया है. इधर एशियाई पाम आयल एलाइंस और द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया जैसे तेल उत्पादक संगठन के साथ मिलकर भारत सरकार ने 2025 26 तक अतिरिक्त रूप से 0.6 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पाम तेल की खेती की योजना तैयार की है.

पाम ऑयल की उपज वनस्पति तेल से ज्यादा

माना जा रहा है कि पाम तेल की खेती में विस्तार से भारत के घरेलू तेल उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है. एक अनुमान के मुताबिक इस स्थिति के चलते अगले साल तक भारत में कच्चे पाम आयल का उत्पादन 1 से 2 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. इसकी वजह यह भी है कि पाम ऑयल 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष सालाना उपज देने वाली फसल है, जो वनस्पति तेल से प्राप्त उपज से ज्यादा है.

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सेहत के लिए फायदेमंद है पाम ऑयल

पाम के तेल को लेकर यह भी भ्रम था कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है, लेकिन देश भर के आहार विशेषज्ञ और चिकित्सकों का मानना है कि पाम आयल अन्य तेलों की तुलना में स्वास्थ्य और पोषण के हिसाब से भी उपयुक्त है. जिसकी फसल पर्यावरण और परिस्थिति के हिसाब से भी अनुकूल है.

इंदौर। घर घर में खाना बनाने से लेकर व्यंजन तैयार करने के लिए उपयोग में आने वाले तेल के भाव अब सातवें आसमान पर हैं. इतना ही नहीं देश में लगातार बढ़ती तेल की मांग के चलते आपूर्ति पाम तेल के उत्पादन से ही संभव है. यही वजह है कि अब देश में पाम तेल की उत्पादक संस्थाएं और भारत सरकार अब देश में इसके उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही हैं.

तेल की आपूर्ति विदेश के सहारे

बीते कुछ सालों में खानपान की हर चीज महंगी होने के साथ तेल के दाम भी लगभग दोगुने हो चुके हैं. फिलहाल मध्य प्रदेश में मूंगफली तेल ₹150 प्रति लीटर जबकि सोयाबीन 90 से 100 रुपए और पाम आयल 100 से 120 रुपए लीटर तक पहुंच गया है. जो पैकिंग और ब्रांडेड तेल के लिहाज से और ज्यादा महंगा है. दरअसल तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि की वजह भारत में तेल उत्पादक फसलों की कमी और विदेश से तेल की आपूर्ति है. जिसके फलस्वरुप भारत सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपए के राजस्व की आपूर्ति तेल के आयात पर करनी पड़ रही है.

देश में बीते 20 सालों से नहीं बढ़ा तेल उत्पादन

फिलहाल देशभर में तेल की आपूर्ति 25 मिलियन टन है. जिसमें से हर साल 16 मिलियन टन तेल का आयत करना होता है. इसमें भी 9 मिलियन टन पाम आयल इंडोनेशिया मलेशिया और थाईलैंड से इंपोर्ट होता है. जबकि सोयाबीन और सनफ्लावर तेल का आयात अर्जेंटीना ब्राज़ील यूक्रेन से होता है. जहां से हर साल 6 से 7 मिलियन टन तेल इंपोर्ट किया जाता है. इस स्थिति को लेकर चिंताजनक पहलू यह भी है कि भारत में बीते 20 साल से ना तो पाम आयल तैयार करने के लिए फार्म की फसल का उत्पादन बढ़ सका है ना ही जरूरत के मुताबिक मूंगफली सोयाबीन सरसों और अन्य फसलों का उत्पादन ही हो रहा है.

भारत सरकार ने पाम ऑयल के लिए निर्धारित किया बजट

भारत सरकार अब पाम ऑयल के अधिक से अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है. बीते आम बजट में भी भारत सरकार ने 11000 करोड़ रुपए का बजट पाम तेल के उत्पादन के लिए अलग से निर्धारित किया है. इधर एशियाई पाम आयल एलाइंस और द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया जैसे तेल उत्पादक संगठन के साथ मिलकर भारत सरकार ने 2025 26 तक अतिरिक्त रूप से 0.6 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पाम तेल की खेती की योजना तैयार की है.

पाम ऑयल की उपज वनस्पति तेल से ज्यादा

माना जा रहा है कि पाम तेल की खेती में विस्तार से भारत के घरेलू तेल उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है. एक अनुमान के मुताबिक इस स्थिति के चलते अगले साल तक भारत में कच्चे पाम आयल का उत्पादन 1 से 2 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. इसकी वजह यह भी है कि पाम ऑयल 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष सालाना उपज देने वाली फसल है, जो वनस्पति तेल से प्राप्त उपज से ज्यादा है.

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सेहत के लिए फायदेमंद है पाम ऑयल

पाम के तेल को लेकर यह भी भ्रम था कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है, लेकिन देश भर के आहार विशेषज्ञ और चिकित्सकों का मानना है कि पाम आयल अन्य तेलों की तुलना में स्वास्थ्य और पोषण के हिसाब से भी उपयुक्त है. जिसकी फसल पर्यावरण और परिस्थिति के हिसाब से भी अनुकूल है.

Last Updated : Jun 29, 2024, 12:26 PM IST
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