रांची: रांची में हुए लैंड स्कैम मामले में ईडी ने प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन यानी चार्जशीट फाइल कर दिया है. इसके जरिए ईडी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. ईडी ने 1 जून 2023 को राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के खिलाफ बड़गाई अंचल के सीओ मनोज कुमार द्वारा सदर थाना में दायर एफआईआर नं. 272/23 के हवाले से हुई जांच में जिक्र किया है.
ईडी के मुताबिक सद्दाम हुसैन, अफसर अली, बिपीन कुमार सिंह, प्रियरंजन सहाय, आनंद तिर्की उर्फ अंतु तिर्की, इरशाद अख्तर, कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस के कॉन्ट्रैक्ट कर्मी संजीत कुमार, रजिस्ट्रार ऑफ एस्युरेंस ऑफिस, कोलकाता के डीड सर्चर तापस घोष, मो. इरशाद और मनोज कुमार यादव के खिलाफ दायर चार्जशीट में इस बात का जिक्र किया है कि कैसे संगठित तरीके से कागजात में हेराफेरी कर जमीन की खरीद बिक्री हो रही थी. इस क्रम में व्यापक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई. ईडी का दावा है कि भानु प्रसाद प्रसाद का हेमंत सोरेन के साथ पूरे घालमेल में कनेक्शन था.
भानु ने बड़गाई अंचल की 8.86 एकड़ जमीन दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. उसके मोबाइल से इससे जुड़े कई साक्ष्य मिले हैं. बड़गाई अंचल ऑफिस से एक ब्राउन कलर की फाइल मिली है जिस पर 'सीएम बड़गाई भुईहरी' लिखा हुआ था. इस मामले में 30 मार्च 2023 को हेमंत सोरेन, भानु प्रताप प्रसाद, राजकुमार पाहन, हिलेरियस कच्छप और बिनोद सिंह के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन फाइल किया जा चुका है.
ईडी का दावा है कि जांच के दौरान साल 1940 में बना फर्जी डीड नंबर 3985 का पता चला, जिसे भानु के अन्य सहयोगियों ने तैयार किया था. इस डीड के जरिए बलका पाहन को विक्रेता और असगर हुसैन को क्रेता दिखाया गया था. इस फर्जी डीड के जरिए 6.34 एकड़ जमीन हड़पी गई. इसी जमीन के प्लॉट संख्या 989 के तहत 0.84 एकड़ और प्लॉट संख्या 996 के तहत 0.32 एकड़ जमीन भी हेमंत सोरेन के कब्जे में हैं. ये प्रॉपर्टी 8.86 एकड़ का ही हिस्सा है.
राजकुमार पाहन ने एसएआर कोर्ट में किया था ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन आवेदन
ईडी का दावा है कि 7 अगस्त 2023 को हेमंत सोरेन को पहला समन जारी कर 14 अगस्त 2023 को बुलाया गया था. ठीक इसके बाद 16 अगस्त 2023 को आरोपी राजकुमार पाहन ने संबंधित जमीन पर दावेदारी का आवेदन डीसी ऑफिस में डाल दिया. इसके बाद 9 जनवरी 2024 को एसएआर कोर्ट ने एसएआर केस नंबर 81/23-24 के तहत 29 जनवरी को आदेश जारी कर 1978 से 1989 के बीच हुए सारे जमाबंदी को कैंसिल कर जमीन का मालिक राजकुमार पाहन को बना दिया.
ईडी का कहना है कि इस मामले में जांच के दौरान जब स्पेशल रेगुलेशन ऑफिसर से पूछा गया कि संबंधित जमीन को लेकर कब ऑनलाइन आवेदन हुआ था तो ऑफिसर ने बताया कि यह आवेदन ऑफ लाइन आया था. जबकि साल 2023-24 में जमीन से जुड़े सारे आवेदन ऑन लाइन आए थे. अब सवाल है कि एक ऑफ लाइन आवेदन का निपटारा महज 20 दिन के भीतर कैसे कर दिया गया. जबकि उस साल कुल 103 केस दर्ज हुए थे, जिनमें से राजकुमार पाहन से जुड़े मामले समेत कुल चार केस का निपटारा किया गया. ईडी के मुताबिक सारा खेल यह दिखाने के लिए किया गया कि संबंधित 8.86 एकड़ जमीन राजकुमार पाहन की थी ना कि हेमंत सोरेन की. ईडी के मुताबिक सारा खेल हेमंत सोरेन के इशारे पर किया गया ताकि केस के प्रभावित किया जा सके.
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