जयपुर: आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले के बहुचर्चित मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. देशभर में 15 हजार करोड़ रुपये चिटफंड घोटाले में ईडी ने 135.06 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम (Provisionally) रूप से कुर्क किया है. जबकि इस मामले में ईडी अब तक करीब 2,210 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क कर चुकी है.
ईडी की ओर से मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जारी बयान में कहा गया है कि ईडी, जयपुर ने मैसर्स आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अन्य के मामले में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 09.12.2024 को 135.06 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है. इस मामले में अब तक कुल कुर्की 2210 करोड़ रुपये (लगभग) है.
ईडी, जयपुर ने मेसर्स आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अन्य के मामले में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 09.12.2024 को 135.06 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है। इस मामले में अब तक कुल कुर्की 2210 करोड़ रुपये (लगभग) है।
— ED (@dir_ed) December 10, 2024
दो भाइयों ने रखी थी सोसायटी की नींव : दरअसल, राजस्थान के सिरोही जिले में टैक्सी ड्राइवर और ऑडियो कैसेट रिकॉर्डिंग का काम करने वाले दो भाई मुकेश मोदी और राहुल मोदी ने साल 1999 में आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की नींव रखी और अहमदाबाद में इसका कार्यालय खोला. इसके बाद लोगों से उनकी पसीने की कमाई इस सोसायटी में निवेश करवाने का सिलसिला शुरू हुआ जो 31 अगस्त 2016 तक जारी रहा. इस बीच सोसायटी की 806 शाखाएं खोली गई और ठगी के कारोबार को गुजरात और राजस्थान से 28 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाया गया. इनमें सबसे ज्यादा 309 शाखाएं राजस्थान में थी.
निवेशकों की कमाई को ऐसे डुबोया : आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में निवेशकों ने हजारों करोड़ रुपये जमा करवाए थे. यह रकम उन कंपनियों को ऊंची ब्याज दरों पर लोन के रूप में दी गई. जो कंपनी संचालक के रिश्तेदारों और परिजनों के नाम पर थी. इस पूरी साजिश में 45 फर्जी कंपनियों की मिलीभगत अभी तक एसओजी की जांच में सामने आई है. बाद में इन कंपनियों को कंगाल बताकर सोसायटी संचालक और उसके परिजनों ने इस्तीफा दे दिया और अपने कर्मचारियों को कंगाल फर्मों का डायरेक्टर बना दिया.
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कंपनियों के रुपये से देशभर में खरीदी प्रॉपर्टी : आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में जमा निवेशकों की रकम को पहले फर्जी कंपनियों को ऊंची दरों पर लोन के रूप में दिया गया और बाद में उसी रकम से संचालक और उसके परिजनों व रिश्तेदारों के नाम पर देशभर में महंगी प्रॉपर्टी खरीदी गई. पहले इस मामले की एसओजी ने जांच की तो एक के बाद एक घोटाले की परतें खुली. बाद में बात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक पहुंची तो ईडी की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई.
3 साल में 3 लोगों ने उठाया 270 करोड़ का कमीशन : इस पूरे मामले में किस तरह बड़े पैमाने पर धांधली की गई. इसका एक नमूना यह है कि सोसायटी के संचालक मुकेश मोदी ने एक कंसल्टेंट फर्म बनाई और अपने साथ पत्नी और दामाद को भी इसमें शामिल किया. इन तीनों ने बिना कोई काम किए तीन साल में करीब 270 करोड़ रुपये बतौर कमीशन लिए और यह रकम अपनी आलिशान लाइफ स्टाइल पर खर्च किए. जिन निवेशकों ने अपनी मेहनत और पसीने की कमाई सोसायटी में निवेश की थी. वे राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इस पूरे मामले को लेकर इस घोटाले से जुड़े 16 लोग जेल जा चुके हैं.