कोरबा : कोरबा जिले के गांव कुमगरी की महिला किसान रजनी कंवर अपने पति जय कंवर के साथ मिलकर गुलाब की खेती कर रहीं हैं. गुलाब के खूबसूरत खेती की शुरुआत लगभग 1 साल पहले हुई थी. अब गुलाब की पैदावार होने लगी है. फिलहाल आसपास के क्षेत्र में ही रजनी गुलाब की सप्लाई कर रही हैं. अधिक मुनाफे के लिए रजनी और जय इसकी मार्केटिंग की योजना बना रहे हैं. गुलाब के खेत लगभग 65 डिसमिल के क्षेत्र में फैले हुए हैं. इसके लिए उद्यानिकी विभाग की सहायता से खास तौर पर पॉली हाउस तैयार किया गया है. जिसके भीतर ही सैकड़ों गुलाब के पौधे उगाए गए हैं. इन पौधों में अब फूल खिल रहे हैं.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिली मदद : रजनी और जय के तैयार किए गए गुलाब खेतों में हाल ही में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की टीम भी पहुंची थी. गुलाब की खेती को और किस तरह से किया जा सकता है इसका मार्गदर्शन भी टीम ने दिया. इस पूरे परियोजना की कुल लागत 40 लाख रुपए है. किसान के जमीन पर पॉली हाउस तैयार कर 2600 वर्ग मीटर में डच रोज खेती अब सफलतापूर्वक हो रही है. योजनांतर्गत इस प्रोजेक्ट के लिए बैंक ने 30 लाख रुपए का लोन दिया है.जबकि किसान ने 10 लख रुपए अपनी पूंजी से निवेश किया है. प्रोजेक्ट में 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का भी प्रावधान है.
कैसे होती है डच रोज की खेती : डच रोज एक खास किस्म का गुलाब होता है. जो व्यावसायिक उपयोग के लिए उगाया जाता है. इसकी खेती सब्जियों की तरह की जाती है. लेकिन इन्हें सीधे तौर पर सूर्य के प्रकाश की जरूरत नहीं होती. चारों ओर से एक झिल्लीदार पॉलीहाउस बनाया जाता है और उसके भीतर ही डच रोज के पौधों को लगाकर उनकी देखभाल की जाती है. समय-समय पर कीटनाशक और आवश्यक खाद पानी देकर गुलाब को उगाया जाता है. इससे गुलाब का साइज बड़े आकार का मिलता है. जिसकी खुले बाजार में अच्छी खासी कीमत मिलती है.
मार्केटिंग की योजना बना रहे हैं किसान : रजनी कंवर ने गुलाब के इन खेतों को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत की. रजनी ने बताया कि गुलाब के इन खेतों की शुरुआत आज से लगभग 1 वर्ष पूर्व की थी. मेरे पति ने एक स्थान पर गुलाब के खेतों को देखा था और उनके मन में विचार आया कि क्यों न हम अपने खेतों में भी गुलाब की खेती करें. बस वही से हमने शुरुआत की, गुलाब की खेती के बारे में पता किया.
''10 लाख रुपए का निवेश हमने किया है. बैंक से भी लोन लिया, इसके बाद हमने कड़ी मेहनत से इन खेतों को तैयार किया है. यह काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इसकी देखभाल के लिए हमने कुछ कर्मचारियों को भी रखा है. फिलहाल आसपास के इलाकों में हम गुलाब की सप्लाई कर रहे हैं.'' रजनी कंवर, गुलाब खेती करने वाली महिला
रजनी के मुताबिक लोग खुद आकर गुलाब ले जाते हैं. कुछ लोगों को हम पहुंचाकर भी देते हैं. गुलाब फूल की डिमांड सीजन में ज्यादा होती है. शादी के टाइम में डिमांड अच्छी आती है. फिलहाल इनका सीजन ऑफ चल रहा है. लेकिन अब हम अन्य इलाकों में गुलाब सप्लाई के लिए मार्केटिंग की योजना पर काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में हमें इससे अच्छा खासा मुनाफा भी लेंगे.