नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से साल में दो बार दाखिला देने की अधिसूचना पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने ऐतराज जताया है. डूटा ने यूजीसी अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि डीयू तथा इसके कॉलेजों में भौतिक संसाधनों की कमी, शिक्षण तथा गैर-शिक्षण पदों की कमी के चलते इस तरह के बदलाव लागू कर पाना संभव नहीं है.
डूटा अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा कि डीयू तथा इसके कॉलेजों में आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटों की वृद्धि हुई है. लेकिन विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई. डीयू संबद्ध कॉलेजों को अतिरिक्त शैक्षणिक पदों के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है. इसके अलावा, स्नातक स्तर पर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) के चौथे वर्ष के विस्तार की शुरूआत के लिए सभी महाविद्यालयों में अतिरिक्त संसाधनों तथा शिक्षण स्टाफ की आवश्यकता है, जिसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए.
जल्दी भरी जाएं ईडब्ल्यूएस की 25% सीटें: डूटा ने अपने पत्र के माध्यम से यूजीसी अध्यक्ष के समक्ष अपनी मांगे रखते हुए यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में 25 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस सीटों के विस्तार के बदले अतिरिक्त शिक्षण पदों की तत्काल मंजूरी की मांग की है. ये शिक्षण पद कॉलेजों और विश्वविद्यालय विभागों में बनाए गए अतिरिक्त शिक्षण कार्यभार को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं. इसी क्रम में एफवाईयूपी के अंतर्गत अगले शैक्षणिक सत्र से एनईपी कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में कॉलेजों में एफवाईयूपी का चौथा वर्ष शुरू किया जाएगा. इसके लिए पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और अतिरिक्त शिक्षण पदों की आवश्यकता है. इसलिए यूजीसी को जल्द से जल्द अतिरिक्त अनुदान और शिक्षण पदों को मंजूरी देनी चाहिए.
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दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों को भी अपने अधीन ले यूजीसी: डूटा ने अपने पत्र में दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेज के संदर्भ में मांग की है कि यूजीसी विश्वविद्यालय को बिना किसी देरी के इन कॉलेजों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दें. डूटा ने कहा कि उनकी मांग है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित या उसके द्वारा संचालित सभी डीयू कॉलेजों को अपने अधीन कर लिया जाए.
डूटा ने अपने पत्र में भारत सरकार की आरक्षण नीति के समुचित रूप में कार्यान्वयन की मांग भी की है. इससे डीयू और उसके कॉलेजों में शिक्षण पदों को भरते समय, बैकलॉग, पदों के संबंध में डीओपीटी दिशानिर्देश व इस संदर्भ में डीयू और उसके कॉलेजों द्वारा आरक्षण नीति के पालन को डूटा ने आवश्यक बताया है. इसी तरह अपने पत्र में डूटा ने कॉलेजों में प्रोफेसरशिप तथा शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की लंबित मांगों के शीघ्र समाधान की मांग की है.