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Delhi: DU छात्रसंघ चुनाव की अभी नहीं होगी मतगणना, HC ने उम्मीदवारों को भेजा नोटिस

DUSU चुनावों में भाग लेने वाले कई उम्मीदवारों को दिल्ली उच्च न्यायालय का नोटिस. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

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27 सितंबर को हुआ छात्रसंघ चुनाव. (Etv Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर कहा है कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली पुलिस से सफाई के संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी.

हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनावों में भाग लेने वाले कई उम्मीदवारों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उन्हें कार्यवाही में पक्षकार बनाया गया है. अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि अधिकारी से कहा कि वह कुलपति को सूचित करें कि परिस्थिति प्रशासनिक विफलता के कारण उत्पन्न हुई है, और इसके लिए आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जाने चाहिए.

हाईकोर्ट ने पहले ही चुनावों से संबंधित कई शर्तें लागू की हैं. अदालत ने पोस्टर, होर्डिंग्स, और वृत्तिचित्रों सहित सभी प्रकार की विरूपण सामग्री को हटाने और सार्वजनिक संपत्ति को बहाल करने तक DUSU चुनावों की मतगणना को रोक दिया था. अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक इस मामले में सुधारात्मक कदम नहीं उठाए जाते, तब तक चुनावी प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं होगी.

यह भी पढ़ें- डीयू के कॉलेजों में 3600 सीटों पर दाखिले का एक और मौका, आज ही करें आवेदन

यह याचिका उन उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ उठाई गई थी, जिन्हें सार्वजनिक दीवारों को नुकसान पहुंचाने, उन्हें गंदा करने और नष्ट करने में कथित रूप से शामिल बताया गया. यह मामला हाल में उन घटनाओं के संदर्भ में उठाया गया है, जहां उम्मीदवारों ने चुनावी प्रचार के लिए सार्वजनिक जगहों का दुरुपयोग करते हुए अति-वास्तविक तरीके से सामग्री का प्रयोग किया है.

चुनाव 27 सितंबर को हुआ था. तय कार्यक्रम के अनुसार मतगणना 28 सितंबर को निर्धारित थी. लेकिन हाईकोर्ट ने मतगणना पर रोक लगा दी. इस स्थिति ने सभी पक्षों के लिए चिंता का विषय बना दिया है, क्योंकि विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव का महत्व और संकाय की गतिविधियों पर इसका प्रभाव रहता है. इस मामले में आगे की सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी, जब उम्मीदवारों को अदालत के समक्ष अपने बचाव में स्पष्टीकरण पेश करना होगा. छात्र संगठनों और उम्मीदवारों के लिए यह एक मौके के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करने का समय भी है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर कहा है कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली पुलिस से सफाई के संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी.

हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनावों में भाग लेने वाले कई उम्मीदवारों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उन्हें कार्यवाही में पक्षकार बनाया गया है. अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि अधिकारी से कहा कि वह कुलपति को सूचित करें कि परिस्थिति प्रशासनिक विफलता के कारण उत्पन्न हुई है, और इसके लिए आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जाने चाहिए.

हाईकोर्ट ने पहले ही चुनावों से संबंधित कई शर्तें लागू की हैं. अदालत ने पोस्टर, होर्डिंग्स, और वृत्तिचित्रों सहित सभी प्रकार की विरूपण सामग्री को हटाने और सार्वजनिक संपत्ति को बहाल करने तक DUSU चुनावों की मतगणना को रोक दिया था. अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक इस मामले में सुधारात्मक कदम नहीं उठाए जाते, तब तक चुनावी प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं होगी.

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यह याचिका उन उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ उठाई गई थी, जिन्हें सार्वजनिक दीवारों को नुकसान पहुंचाने, उन्हें गंदा करने और नष्ट करने में कथित रूप से शामिल बताया गया. यह मामला हाल में उन घटनाओं के संदर्भ में उठाया गया है, जहां उम्मीदवारों ने चुनावी प्रचार के लिए सार्वजनिक जगहों का दुरुपयोग करते हुए अति-वास्तविक तरीके से सामग्री का प्रयोग किया है.

चुनाव 27 सितंबर को हुआ था. तय कार्यक्रम के अनुसार मतगणना 28 सितंबर को निर्धारित थी. लेकिन हाईकोर्ट ने मतगणना पर रोक लगा दी. इस स्थिति ने सभी पक्षों के लिए चिंता का विषय बना दिया है, क्योंकि विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव का महत्व और संकाय की गतिविधियों पर इसका प्रभाव रहता है. इस मामले में आगे की सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी, जब उम्मीदवारों को अदालत के समक्ष अपने बचाव में स्पष्टीकरण पेश करना होगा. छात्र संगठनों और उम्मीदवारों के लिए यह एक मौके के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करने का समय भी है.

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