जयपुर. दीपावली पर पटाखों से प्रदूषण ज्यादा बढ़ने की संभावना रहती है. ऐसे में 24 घंटे शहर की आबोहवा की जांच होगी जिससे वायु प्रदूषण के घटकों का पता चलेगा. राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से विशेष तैयारिया की गई है. दीपावाली पर्व के मद्देनजर भीड़भाड़ से लेकर औदयोगिक जगहों पर ध्वनि और वायु प्रदूषण की गुणवत्ता की जांच के लिए स्पेशल टीमें फील्ड में रहेगी. प्रदूषण स्तर को संतुलित रखने के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से प्रयास किया जा रहा है.
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव एन नटराजन के मुताबिक दिवाली पर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक और ध्वनि प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के निर्देश अनुसार अनुसार राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने विशेष जांच अभियान शुरु किया है. जयपुर में तीन आवासीय जगहों मानसरोवर, चांदपोल और सिविल लाइन में अलग- अलग पैरामीटर्स की जांच की जा रही है. ताकि शहर की आबोहवा को खराब करने वाले घटक सामने आ सके. भविष्य में प्रदूषण बढ़ने के कारकों की निगरानी रखने के साथ ही सख्ती की जाएगी. ताकि प्रदूषण का स्तर संतुलित रह सके.
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के मुताबिक थर्ड पार्टी एजेंसी से अत्याधुनिक तरीके से जयपुर के अलावा कोटा, जोधपुर, उदयपुर, भिवाड़ी में विशेष जांच करवाई जा रही है. दिवाली त्योहार पर विशेषकर सात नवंबर तक हवा और ध्वनि की गुणवत्ता की जांच में रोजाना तीन-तीन शिफ्टों में हर घंटे निगरानी होगी. आंकड़े एकत्रित करने के साथ-साथ सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से जागरूकता के लिए अभियान चलाने को भी कहा है.
इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा-ऑप्टिकल एमिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी (ICP-OES) एक विश्लेषणात्मक तकनीक जांच से धूल के कण, सल्फर डॉइ आक्साइड, नाइड्रोजन डाई आक्साइड सहित 2.5 माइक्रोन, 10 माइक्रोन अन्य पैरामीटर की जांच की जा रही. इसमें पटाखों को जलाने के दौरान धातु के कण कितने प्रतिशत हैं. इससे उत्सर्जित धुंआ किस तरह से शहर में फैला है. फील्ड से सैंपल कलेक्शन एकत्रित कर लैब में जांच करवाई जाएगी. इसके अलावा सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को एक अध्ययन रिपोर्ट भी भेजी है, इसमें स्वास्थ्य पर पटाखों के गंभीर असर का जिक्र है.
वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ने के कारण : सर्दी का सीजन शुरू होने की शुरुआत के साथ ही राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के बड़े शहरों की हवा दूषित हो रही है. इसकी मुख्य वजह पर्व के तहत ज्यादा वाहनों की आवाजाही, हवा में मौजूद धूल के कण समेत अन्य प्रमुख कारण है. चारदीवारी सहित शहर के अलग-अलग जगहों पर बारिश के दौरान टूटी सड़क से भी वाहनों के ज्यादा आवाजाही से धूल उड़ रही है.
जयपुर में प्रदूषण की स्थिति खराब : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों के मुताबिक बीते दिनों में मानसरोवर, आदर्शनगर, शास्त्रीनगर, मुरलीपुरा, सीतापुरा, पुलिस कमिशनरेट सहित अन्य जगहों पर भिवाड़ी के बराबर हवा जहरीली होती जा रही है. श्वास रोगियों को भी खांसी सहित जी घबराने की शिकायत हो रही है. कई जगहों का प्रदूषण स्तर 220 से लेकर 400 एक्यूआई तक दर्ज किया गया. सबसे ज्यादा अधिकतम प्रदूषण का स्तर मुरलीपुरा-सीकर रोड का 397, मानसरोवर का 314, सीतापुरा-रीको का 334 एक्यूआई दर्ज किया गया. हवा का यह स्तर बेहद खराब श्रेणी में माना जा रहा है. वहीं आगामी दिनों के लिए यह स्तर 30 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान जताया जा रहा है. ऐसे में शहरवासियों को पर्व के दौरान विशेष ऐहतियात बरतने की जरूरत है.
वरिष्ठ अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र सिंह के मुताबिक पर्व पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. कम धुएं वाले और ग्रीन पटाखे काम में लें. घर से बाहर और पटाखे जलाते समय मास्क जरूर लगाए. धूल के कण, वाहनों के धुएं से हवा में नमी की मात्रा बढ़ने से छोटे कण एक जगह जमीनी सतह पर जम जाते हैं. यह कण वायुमंडल में नहीं जा पाते. मौसम में बदलाव शुरू हो चुका है. जल्दी के बजाय सूर्योदय के बाद घूमने जाए. अस्थमा, सीओपीडी से ग्रसित मरीज जिनके फेफड़े कमजोर हैं और बुजुर्गों को ध्यान रखने की जरूरत है. अस्थमा के 7000 मरीजों से सवाल की स्टडी भी करवाई गई है. इसमें मरीजों से पूछा की पटाखे चलाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है जिससे अस्थमा एलर्जी की तकलीफ ना हो। मरीजों ने कहा कि पटाखे मास्क लगाकर, हवा की दिशा देखकर और कम धुएं वाले पटाखे जलांए. ज्यादातर मरीजों ने पटाखे न जलाने के भी जवाब दिए.