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छपरा में बंगाली समाज की महिलाओं का 'सिंदूर खेला', नम आंखों से मां दुर्गा को दी विदाई

सारण में दशहरा के बाद मां दुर्गा को विदाई दी गयी. बंगाली रीति रिवाज महिलाओं ने सिंदूर खेला और खोईछा देकर मां को विदा किया.

छपरा में मां दुर्गा की विदाई
छपरा में मां दुर्गा की विदाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 13, 2024, 3:28 PM IST

सारणः पूरे देश में धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाई गयी. बिहार के छपरा में बंगाली रीति रिवाज से पूजा अर्चना की गयी. दशहरा के बाद कालीबाड़ी में माता की विदाई की गई. माता का पूजन और हवन किया गया उसके बाद पुष्पांजलि का कार्यक्रम किया. बंगाली रीति रिवाज के अनुसार माता की विदाई की गई. बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग महिला के द्वारा माता को सिंदूर लगाकर और खोईचा देकर माता को विदा किया.

सिंदूर खेला के बाद मां की विदाईः बंगाली समाज की मान्यता के अनुसार बुजुर्ग महिला ने अन्य महिलाओं को सिंदूर लगाया. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला का आयोजन किया. इस दौरान बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा एक विशेष प्रकार का आवाज निकाली जाती है, जिसे प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जाता है. माता की विदाई और सिंदूर खेला के समय बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा उलू ध्वनि निकालते हुए मां को विदा किया.

छपरा में मां दुर्गा की विदाई (ETV Bharat)

103 साल से हो रही पूजाः गौरतलब है कि छपरा कालीबाड़ी बिहार के प्राचीन काली बाड़ी में से एक है. यहां पर 103 साल से माता की प्रतिमा की स्थापना होती है. बंगाली रीति रिवाज के अनुसार विधिवत ढंग से पूजा होती है और प्रत्येक साल ढाक और ढोल की थाप पर विशेष आरती का आयोजन किया जाता है. इसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग उमड़ते हैं.

बेटी की तरह मां की विदाईः बंगाली समाज की महिलाओं ने कहा कि बंगाली समाज में मां दुर्गा बेटी की समान है. मां नवरात्र में अपने मायके आती है. सभी लोग धूमधाम से मां का आह्वान और मां की पूजा करते हैं. आज ऐसा लग रहा जैसे सच में घर से एक बेटी की विदाई हो रही है.

यह भी पढ़ेंःसमस्तीपुर में भक्तों की खुद रक्षा करते हैं घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत, मां दुर्गा के साथ होती है पूजा

सारणः पूरे देश में धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाई गयी. बिहार के छपरा में बंगाली रीति रिवाज से पूजा अर्चना की गयी. दशहरा के बाद कालीबाड़ी में माता की विदाई की गई. माता का पूजन और हवन किया गया उसके बाद पुष्पांजलि का कार्यक्रम किया. बंगाली रीति रिवाज के अनुसार माता की विदाई की गई. बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग महिला के द्वारा माता को सिंदूर लगाकर और खोईचा देकर माता को विदा किया.

सिंदूर खेला के बाद मां की विदाईः बंगाली समाज की मान्यता के अनुसार बुजुर्ग महिला ने अन्य महिलाओं को सिंदूर लगाया. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला का आयोजन किया. इस दौरान बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा एक विशेष प्रकार का आवाज निकाली जाती है, जिसे प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जाता है. माता की विदाई और सिंदूर खेला के समय बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा उलू ध्वनि निकालते हुए मां को विदा किया.

छपरा में मां दुर्गा की विदाई (ETV Bharat)

103 साल से हो रही पूजाः गौरतलब है कि छपरा कालीबाड़ी बिहार के प्राचीन काली बाड़ी में से एक है. यहां पर 103 साल से माता की प्रतिमा की स्थापना होती है. बंगाली रीति रिवाज के अनुसार विधिवत ढंग से पूजा होती है और प्रत्येक साल ढाक और ढोल की थाप पर विशेष आरती का आयोजन किया जाता है. इसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग उमड़ते हैं.

बेटी की तरह मां की विदाईः बंगाली समाज की महिलाओं ने कहा कि बंगाली समाज में मां दुर्गा बेटी की समान है. मां नवरात्र में अपने मायके आती है. सभी लोग धूमधाम से मां का आह्वान और मां की पूजा करते हैं. आज ऐसा लग रहा जैसे सच में घर से एक बेटी की विदाई हो रही है.

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