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दिसंबर में टमाटर तोड़ रहा किसानों की कमर, सब्जी नहीं बनेगी चटर पटर - TOMATO CROP FARMERS

टमाटर एक बार फिर अपना रंग दिखा सकता है.क्योंकि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्र में टमाटर की फसल खराब हो रही है.

Insects infest tomato crop farmers
दिसंबर में टमाटर तोड़ रहा किसानों की कमर (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 6, 2024, 4:46 PM IST

Updated : Dec 6, 2024, 9:18 PM IST

दुर्ग : दिसंबर के महीने में अक्सर सब्जियों के दाम नीचे आते हैं.क्योंकि इस मौसम में सब्जियां खूब आती है.लेकिन इस बार मौसम के कारण कई सब्जियों की फसल पर असर पड़ा है.उनमे से एक फसल टमाटर भी है.दु्र्ग जिले के धमधा में टमाटर की बंपर खेती होती है. यहां के किसान टमाटर उत्पादन के लिए मशहूर हैं.लेकिन इस साल किसानों के चेहरे मायूस है.क्योंकि ज्यादातर फसल खराब हो चुकी है.जो फसल हुई भी है वो इतनी ज्यादा नहीं कि मुनाफा कमाया जा सके.किसानों का कहना है कि इस बार खेत में जो फसल लगी उसमें फल अच्छे किस्म के नहीं आए.जिन खेतों में फल आए भी उनमें मौसम के कारण कीड़े लग गए.लिहाजा प्रति एकड़ के खेत में 4 से 5 कैरेट टमाटर ही निकल रहा है.

किसानों को नहीं होगा फायदा : धमधा के किसान बबलू का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में जो फसल लगाई थी,वो ठीक नहीं हुई है. दवाईयां छिड़कने के बाद भी फसलों में कीड़े लगे.जिसके कारण उत्पादन कम हुआ है. पिछले साल बंपर उत्पादन हुआ था.इसलिए टमाटर को सड़क में फेंकना पड़ा था.लेकिन इस बार उत्पादन में भारी कमी देखी जा रही है.पहले हम अपने खेतों में लगी फसल को स्थानीय बाजार में बेचने के अलावा बाहर के राज्यों में भी भेजा करते थे.लेकिन इस बार फसल अच्छी ना होने के कारण जो भी गाड़ियां यहां पहुंच रही है,वो खाली ही लौट रही है.

दुर्ग के टमाटर किसान परेशान (ETV BHARAT)

किसान बबलू ने कहा कि पिछले साल टमाटर का रेट कम था लेकिन उत्पादन ज्यादा था और लागत भी काम था लेकिन इस बार उत्पादन में लागत हद से ज्यादा आ चुका है टमाटर के खेत में कीड़े लग चुके हैं इस बार टमाटर के अलग-अलग वैरायटी लगाए गए हैं जैसे परी सोना एग्री फ्लाइट 50 इस बार लगाया गया है लेकिन सभी में कीड़े पड़ चुके हैं. इन पर दवाई भी असर नहीं कर रहा है.

टमाटर की खेती में हर महीना एक लाख रुपए का दवाई छिड़क रहे हैं. लेकिन पौधे में कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है. इसीलिए इस बार टमाटर का रेट 50-55 रुपए से ज्यादा बाजारों में बिक रहा है. नहीं तो इस समय एक-दो रुपए है किलो टमाटर बाजारों में बिका करता था. इस बार फसल अच्छी नहीं हुई है.जो फसल खेतों में लगी थी उनमें कीड़े लग गए हैं.हमने कई बार दवाईयों का छिड़काव भी किया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फसल में जो फल आए वो बहुत छोटे हैं.इन्हें बढ़ने के लिए छोड़ने पर खराब हो जा रहे हैं.इसलिए इनकी पहले ही तोड़ाई कर ली जा रही है- बबलू,किसान

दवाईयों का भी नहीं हुआ असर : किसान सुरेश कुमार पटेल की माने तो उन्होंने 10 एकड़ के खेत में टमाटर की फसल लगाई थी.लेकिन अब सिर्फ 30 फीसदी ही फसल बची है.बाकी फसल कीड़ों की भेंट चढ़ गई. सुरेश के मुताबिक फर्टिलाइजर कंपनियों से उन्होंने कीड़ों को रोकने के लिए दवा लेकर छिड़काव किया था.लेकिन फसल नहीं बच सकी.

दवा छिड़कने के बाद भी फसल नहीं बची है. पिछले साल किसान सड़क पर अपनी फसल को फेंककर भी खुश थे.लेकिन इस बार तो उत्पादन ही नहीं हुआ.इसलिए किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा- सुरेश पटेल,किसान

वहीं किसान केदार पटेल की माने तो उन्हें इस बार फसल से मुनाफा नहीं होगा.क्योंकि जितनी भी फसल तैयार हुई है,उससे लागत भी निकालनी मुश्किल है. किसानों की माने तो फसल खराब होने के बाद भी कृषि विभाग से जुड़ा कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं आया.सिर्फ एक ने नहीं बल्कि दूसरे किसानों ने भी एक ही जगह से बीज लिए थे.लेकिन सभी किसानों की फसल खराब हुई है.जिसका असर बाजार पर पड़ेगा.टमाटर का उत्पादन कम होने से मार्केट में आने वाले दिनों में टमाटर के रेट बढ़ेंगे. किसानों को टमाटर की खेती में इस बार काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. पौधे से एक दो बार टमाटर तोड़ा गया है. उसके बाद टमाटर का पेड़ पूरा सूख चुका है. जितना लागत लगाया गया है उतना भी नहीं निकल पा रहा है.

टमाटर का रकबा हुआ आधा : आपको बता दें कि दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र के अकोली, अछोली, हीरेतरा, जाताधर्रा, रहा, पेंड्री, बरहापुर, घोठा, धरमपुरा, रक्शा, कुटहा, राजपुर, पातरजोरी, पथरी कला, पथरी खुर्द, कुलु, सोडोंगरी, अगार, नंदेली, महसूलगोंदी जैसे कई गांव में 150-200 एकड़ में टमाटर की खेती होती है. इस साल रकबा घटकर आधा रह गया है.

हरी सब्जियों के दाम में तेजी, छत्तीसगढ़ से टमाटर की दिल्ली, मुंबई और पश्चिम बंगाल हो रही सप्लाई
टमाटर के बाद आलू भी हुआ महंगा, हरी सब्जियों के दाम भी तेज
बारिश में टमाटर हुआ और भी लाल , कई शहरों में सेंचुरी मारकर हुआ लाल - Tomato prices

दुर्ग : दिसंबर के महीने में अक्सर सब्जियों के दाम नीचे आते हैं.क्योंकि इस मौसम में सब्जियां खूब आती है.लेकिन इस बार मौसम के कारण कई सब्जियों की फसल पर असर पड़ा है.उनमे से एक फसल टमाटर भी है.दु्र्ग जिले के धमधा में टमाटर की बंपर खेती होती है. यहां के किसान टमाटर उत्पादन के लिए मशहूर हैं.लेकिन इस साल किसानों के चेहरे मायूस है.क्योंकि ज्यादातर फसल खराब हो चुकी है.जो फसल हुई भी है वो इतनी ज्यादा नहीं कि मुनाफा कमाया जा सके.किसानों का कहना है कि इस बार खेत में जो फसल लगी उसमें फल अच्छे किस्म के नहीं आए.जिन खेतों में फल आए भी उनमें मौसम के कारण कीड़े लग गए.लिहाजा प्रति एकड़ के खेत में 4 से 5 कैरेट टमाटर ही निकल रहा है.

किसानों को नहीं होगा फायदा : धमधा के किसान बबलू का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में जो फसल लगाई थी,वो ठीक नहीं हुई है. दवाईयां छिड़कने के बाद भी फसलों में कीड़े लगे.जिसके कारण उत्पादन कम हुआ है. पिछले साल बंपर उत्पादन हुआ था.इसलिए टमाटर को सड़क में फेंकना पड़ा था.लेकिन इस बार उत्पादन में भारी कमी देखी जा रही है.पहले हम अपने खेतों में लगी फसल को स्थानीय बाजार में बेचने के अलावा बाहर के राज्यों में भी भेजा करते थे.लेकिन इस बार फसल अच्छी ना होने के कारण जो भी गाड़ियां यहां पहुंच रही है,वो खाली ही लौट रही है.

दुर्ग के टमाटर किसान परेशान (ETV BHARAT)

किसान बबलू ने कहा कि पिछले साल टमाटर का रेट कम था लेकिन उत्पादन ज्यादा था और लागत भी काम था लेकिन इस बार उत्पादन में लागत हद से ज्यादा आ चुका है टमाटर के खेत में कीड़े लग चुके हैं इस बार टमाटर के अलग-अलग वैरायटी लगाए गए हैं जैसे परी सोना एग्री फ्लाइट 50 इस बार लगाया गया है लेकिन सभी में कीड़े पड़ चुके हैं. इन पर दवाई भी असर नहीं कर रहा है.

टमाटर की खेती में हर महीना एक लाख रुपए का दवाई छिड़क रहे हैं. लेकिन पौधे में कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है. इसीलिए इस बार टमाटर का रेट 50-55 रुपए से ज्यादा बाजारों में बिक रहा है. नहीं तो इस समय एक-दो रुपए है किलो टमाटर बाजारों में बिका करता था. इस बार फसल अच्छी नहीं हुई है.जो फसल खेतों में लगी थी उनमें कीड़े लग गए हैं.हमने कई बार दवाईयों का छिड़काव भी किया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फसल में जो फल आए वो बहुत छोटे हैं.इन्हें बढ़ने के लिए छोड़ने पर खराब हो जा रहे हैं.इसलिए इनकी पहले ही तोड़ाई कर ली जा रही है- बबलू,किसान

दवाईयों का भी नहीं हुआ असर : किसान सुरेश कुमार पटेल की माने तो उन्होंने 10 एकड़ के खेत में टमाटर की फसल लगाई थी.लेकिन अब सिर्फ 30 फीसदी ही फसल बची है.बाकी फसल कीड़ों की भेंट चढ़ गई. सुरेश के मुताबिक फर्टिलाइजर कंपनियों से उन्होंने कीड़ों को रोकने के लिए दवा लेकर छिड़काव किया था.लेकिन फसल नहीं बच सकी.

दवा छिड़कने के बाद भी फसल नहीं बची है. पिछले साल किसान सड़क पर अपनी फसल को फेंककर भी खुश थे.लेकिन इस बार तो उत्पादन ही नहीं हुआ.इसलिए किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा- सुरेश पटेल,किसान

वहीं किसान केदार पटेल की माने तो उन्हें इस बार फसल से मुनाफा नहीं होगा.क्योंकि जितनी भी फसल तैयार हुई है,उससे लागत भी निकालनी मुश्किल है. किसानों की माने तो फसल खराब होने के बाद भी कृषि विभाग से जुड़ा कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं आया.सिर्फ एक ने नहीं बल्कि दूसरे किसानों ने भी एक ही जगह से बीज लिए थे.लेकिन सभी किसानों की फसल खराब हुई है.जिसका असर बाजार पर पड़ेगा.टमाटर का उत्पादन कम होने से मार्केट में आने वाले दिनों में टमाटर के रेट बढ़ेंगे. किसानों को टमाटर की खेती में इस बार काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. पौधे से एक दो बार टमाटर तोड़ा गया है. उसके बाद टमाटर का पेड़ पूरा सूख चुका है. जितना लागत लगाया गया है उतना भी नहीं निकल पा रहा है.

टमाटर का रकबा हुआ आधा : आपको बता दें कि दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र के अकोली, अछोली, हीरेतरा, जाताधर्रा, रहा, पेंड्री, बरहापुर, घोठा, धरमपुरा, रक्शा, कुटहा, राजपुर, पातरजोरी, पथरी कला, पथरी खुर्द, कुलु, सोडोंगरी, अगार, नंदेली, महसूलगोंदी जैसे कई गांव में 150-200 एकड़ में टमाटर की खेती होती है. इस साल रकबा घटकर आधा रह गया है.

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Last Updated : Dec 6, 2024, 9:18 PM IST
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