दुमका: झारखंड की उपराजधानी के लोगों का सपना पूरा हुआ, जब दुमका-पटना एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इस मौके पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, दुमका सांसद सुनील सोरेन, दुमका विधायक बसंत सोरेन सहित आसनसोल के डीआरएम चेतना नंद सिंह मौजूद रहे. अपने संबोधन में निशिकांत दुबे ने सीएम हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन की मौजूदगी में कहा कि आज संथाल परगना में रेलवे की कई नई परियोजनाएं इसलिए अटकी पड़ी हैं क्योंकि वर्तमान की झारखंड सरकार का रवैया असहयोगपूर्ण नहीं है.
बसंत सोरेन ने कहा- विकास मामले में दुमका की हुई है उपेक्षा: दुमका पटना एक्सप्रेस ट्रेन के उद्घाटन के मौके पर आए दुमका के झामुमो विधायक बसंत सोरेन ने कहा कि भले ही दुमका राज्य की उपराजधानी है. पर विकास के मामले में हमेशा इसकी उपेक्षा हुई है. ऐसे में हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि दुमका का विकास हो. उन्होंने कहा कि यातायात की सुविधा किसी भी जिले या राज्य के विकास के लिए काफी जरूरी है. हमें आशा कि आज की यह सौगात आगे भी विकास यात्रा के रूप में जारी रहेगी.
निशिकांत दुबे ने राज्य सरकार पर साधा निशाना: बसंत सोरेन के संबोधन के बाद जैसे ही मंच पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे आए उन्होंने बसंत सोरेन के इस बयान का समर्थन किया कि विकास के मामले में दुमका उपेक्षित है. उन्होंने कहा कि दुमका ही नहीं पूरा संथाल परगना का यही हाल है. संथाल क्षेत्र में कई नई रेल परियोजनाएं जिसकी स्वीकृति केंद्र सरकार ने दे दी है, इसके बावजूद वह धरातल पर अगर नहीं उतर पा रही है तो इसकी वजह झारखंड सरकार का असहयोगात्मक रवैया है.
निशिकांत दुबे ने दुमका-नाला-जामताड़ा के अलावा गोड्डा-पाकुड़, गिरिडीह-पारसनाथ नई रेल लाइन परियोजना का उदाहरण देते हुए कहा कि इसकी स्वीकृति रेल मंत्रालय ने दे दी है. लेकिन यह अभी अटकी पड़ी है, क्योंकि झारखंड सरकार इसमें अपना अंशदान नहीं देना चाहती. उन्होंने कहा कि गोड्डा-पाकुड़ जो रेल लाइन बनेगी उसका अधिकांश हिस्सा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. इसके बावजूद काम नहीं हो रहा है. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि जसीडीह रेलवे स्टेशन पर देवघर आने वाले हजारों यात्री प्रतिदिन उतरते हैं, वहां एक और मेन गेट की आवश्यकता है पर वह इसलिए नहीं बन पा रहा है क्योंकि राज्य सरकार वहां रेलवे से एक एकड़ जमीन देने के लिए 57 करोड़ रुपये की डिमांड कर रही है. इतनी महंगी जमीन तो मुंबई और लंदन में भी नहीं है.
ये भी पढ़ें:
सात साल बाद धनबाद-चंद्रपुरा पैसेंजर ट्रेन का परिचालन शुरू, सांसद-विधायक ने दिखाई हरी झंडी