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रानीश्वर प्रखंड के बीडीओ को कोर्ट ने सुनाई चार साल की सजा, रिश्वत लेने के मामले में पाए गए दोषी - Ranishwar block BDO

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 27, 2024, 7:18 AM IST

दुमका के रानीश्वर प्रखंड के बीडीओ को कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई. जमीन संबंधी एक विवाद में रिश्वत लेने के मामले में बीडीओ दोषी पाए गए थे. जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया.

Imprisonment to Ranishwar BDO
रानीश्वर बीडीओ (ईटीवी भारत)

दुमका : जिले के रानीश्वर प्रखंड के वर्तमान बीडीओ शिवाजी भगत को अदालत ने चार साल की सजा सुनाई है. दुमका की विशेष अदालत ने जमीन से जुड़े एक मामले में यह फैसला सुनाया है. जमीन से जुड़े एक मामले में जांच रिपोर्ट देने के एवज में तीस हजार रुपये रिश्वत लेने से जुड़े 14 साल पुराने मामले में बीडीओ को दोषी पाया गया है. इस मामले में अदालत ने उन्हें चार साल सश्रम कारावास और एक लाख बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

चार दिन पहले 22 जुलाई को शिवाजी भगत को अदालत ने दोषी करार दिया था और सजा की तारीख 26 जुलाई तय की थी. जिसके तहत शुक्रवार को केंद्रीय कारा दुमका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी हुई. यह मामला जामताड़ा जिले के नाला क्षेत्र का था.

क्या है पूरा मामला

दुमका के द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सह निगरानी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत में निगरानी थाना कांड संख्या 10/2010 में सजा के बिंदु पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. 22 जुलाई को अदालत ने आरोपी बीडीओ को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. सरकार की ओर से लोक अभियोजक चंपा कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से सोमा गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोषी करार दिए गए आरोपी शिवाजी भगत को सजा सुनाई.

जामताड़ा जिले के नाला के तत्कालीन बीडीओ सह अंचलाधिकारी (सीओ) शिवाजी भगत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13(2) के तहत चार वर्ष सश्रम कारावास और 1,20,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई. जुर्माना नहीं देने पर उन्हें 9 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. अभियोजन सहयोगी के रूप में तैनात पुलिस अवर निरीक्षक शंभू प्रसाद सिंह की पहल पर सरकार की ओर से अदालत में दस गवाह प्रस्तुत किए गए थे.

लोक अभियोजक ने दी जानकारी

दुमका की लोक अभियोजक चंपा कुमारी से मिली जानकारी के अनुसार जामताड़ा जिले के नाला प्रखंड क्षेत्र निवासी तारकनाथ मंडल की शिकायत पर पूर्व नाला अंचल अधिकारी शिवाजी भगत के खिलाफ एक अप्रैल 2010 को निगरानी थाने में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जाल बिछाया और एक जमीन विवाद को लेकर उसके पक्ष में जांच रिपोर्ट देने के एवज में सूचक से तीस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.

सूचक तारकनाथ मंडल ने एसीबी को दिए अपने आवेदन में कहा था कि उसका पड़ोसी बेवजह विवाद पैदा कर उसकी पुश्तैनी जमीन पर घर बनाने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. उस समय पदस्थापित अंचल अधिकारी शिवाजी भगत ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दी थी. इस पर सूचक ने एसडीएम से शिकायत की थी. एसडीएम ने तत्कालीन सीओ शिवाजी भगत को उक्त जमीन संबंधी मामले में दोबारा जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन उक्त अधिकारी इसके एवज में तीस हजार रुपये रिश्वत की मांग कर सूचक को परेशान कर रहे थे.

इससे तंग आकर सूचक ने एसीबी से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी. इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एसीबी की टीम ने शिवाजी भगत को सूचक से तीस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था. इसमें शिवाजी भगत सात माह जेल में भी रहा था और बाद में जमानत पर रिहा हुआ था.

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दुमका : जिले के रानीश्वर प्रखंड के वर्तमान बीडीओ शिवाजी भगत को अदालत ने चार साल की सजा सुनाई है. दुमका की विशेष अदालत ने जमीन से जुड़े एक मामले में यह फैसला सुनाया है. जमीन से जुड़े एक मामले में जांच रिपोर्ट देने के एवज में तीस हजार रुपये रिश्वत लेने से जुड़े 14 साल पुराने मामले में बीडीओ को दोषी पाया गया है. इस मामले में अदालत ने उन्हें चार साल सश्रम कारावास और एक लाख बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

चार दिन पहले 22 जुलाई को शिवाजी भगत को अदालत ने दोषी करार दिया था और सजा की तारीख 26 जुलाई तय की थी. जिसके तहत शुक्रवार को केंद्रीय कारा दुमका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी हुई. यह मामला जामताड़ा जिले के नाला क्षेत्र का था.

क्या है पूरा मामला

दुमका के द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सह निगरानी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत में निगरानी थाना कांड संख्या 10/2010 में सजा के बिंदु पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. 22 जुलाई को अदालत ने आरोपी बीडीओ को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. सरकार की ओर से लोक अभियोजक चंपा कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से सोमा गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोषी करार दिए गए आरोपी शिवाजी भगत को सजा सुनाई.

जामताड़ा जिले के नाला के तत्कालीन बीडीओ सह अंचलाधिकारी (सीओ) शिवाजी भगत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13(2) के तहत चार वर्ष सश्रम कारावास और 1,20,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई. जुर्माना नहीं देने पर उन्हें 9 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. अभियोजन सहयोगी के रूप में तैनात पुलिस अवर निरीक्षक शंभू प्रसाद सिंह की पहल पर सरकार की ओर से अदालत में दस गवाह प्रस्तुत किए गए थे.

लोक अभियोजक ने दी जानकारी

दुमका की लोक अभियोजक चंपा कुमारी से मिली जानकारी के अनुसार जामताड़ा जिले के नाला प्रखंड क्षेत्र निवासी तारकनाथ मंडल की शिकायत पर पूर्व नाला अंचल अधिकारी शिवाजी भगत के खिलाफ एक अप्रैल 2010 को निगरानी थाने में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जाल बिछाया और एक जमीन विवाद को लेकर उसके पक्ष में जांच रिपोर्ट देने के एवज में सूचक से तीस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.

सूचक तारकनाथ मंडल ने एसीबी को दिए अपने आवेदन में कहा था कि उसका पड़ोसी बेवजह विवाद पैदा कर उसकी पुश्तैनी जमीन पर घर बनाने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. उस समय पदस्थापित अंचल अधिकारी शिवाजी भगत ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दी थी. इस पर सूचक ने एसडीएम से शिकायत की थी. एसडीएम ने तत्कालीन सीओ शिवाजी भगत को उक्त जमीन संबंधी मामले में दोबारा जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन उक्त अधिकारी इसके एवज में तीस हजार रुपये रिश्वत की मांग कर सूचक को परेशान कर रहे थे.

इससे तंग आकर सूचक ने एसीबी से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी. इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एसीबी की टीम ने शिवाजी भगत को सूचक से तीस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था. इसमें शिवाजी भगत सात माह जेल में भी रहा था और बाद में जमानत पर रिहा हुआ था.

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