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ट्रांसफर के विरोध में डीटीसी के कर्मचारी इस दिन करेंगे हड़ताल, अधिकारियों पर लगाया ये आरोप - DTC EMPLOYEE STRIKE

डीटीसी कर्मचारी मंगलवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर डीटीसी मुख्यालय पर हड़ताल करेंगे. इससे डीटीसी का काम प्रभावित हो सकता है. पढ़ें खबर..

डीटीसी कर्मचारियों करेंगे हड़ताल
डीटीसी कर्मचारियों करेंगे हड़ताल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 14, 2024, 1:59 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) के हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. मांगें तो पूरी नहीं हुईं और करीब डेढ़ हजार से अधिक कर्मचारियों का तबादला एक से दूसरे डिपो में कर दिया गया. कर्मचारियों का आरोप है कि यूपी के बॉर्डर से उनका तबादला हरियाणा के बॉर्डर पर कर दिया गया है. ऐसे में सुबह नौकरी पर पहुंचना मुश्किल होता है. इसके साथ ही वे अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में कर्मचारी आगामी 16 अक्टूबर को दिल्ली में बड़ी हड़ताल करने जा रहे हैं. अगर ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो डीटीसी बसों में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है.

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसिडेंट ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी में नियमित और संविदा कर्मचारियों के तबादले किए जा रहे हैं. अब तक करीब डेढ़ हजार कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं. उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक के डिपो में काम कर रहे चालक-परिचालक या अन्य कर्मचारियों का हरियाणा के बॉर्डर के पास बस डिपो में तबादला कर दिया गया है. ऐसे में कर्मचारी परेशान हैं. यदि परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट करते हैं तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. अधिक दूरी होने के कारण रोज लंबी दूरी का सफर कर नौकरी पर पहुंचना भी मुश्किल होता है. ऐसे में कर्मचारी नौकरी छोड़ने को बाध्य हो रहे हैं. कहीं न कहीं कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

तबादला रोकने के नाम पर पैसे लेने का आरोप: ललित चौधरी का कहना है कि डीटीसी अधिकारियों की मनमानी चल रही है. बिना कर्मचारियों का हित देखे उनका तबादला कर दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया है की तबादला रोकने के नाम पर कुछ अधिकारी कर्मचारियों से पैसे भी ले रहे हैं.

समान कार्य-समान वेतन समेत अन्य मांगे: उन्होंने कहा कि डीटीसी में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी लंबे समय से नौकरी को नियमित करने की मांग कर रहे हैं. यदि नौकरी नियमित नहीं हो सकती, तो समान कार्य-समान वेतन की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों को मिल रही कई सुविधाएं भी नहीं मिलती है, जबकि वह नियमित कर्मचारियों की तरह ही पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं.

16 अक्टूबर को मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन: आईपी डिपो स्थित दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के मुख्यालय पर 16 अक्टूबर को बड़ी संख्या में डीटीसी के कर्मचारी एकत्र होंगे. ललित चौधरी ने बताया कि सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. इससे डीटीसी का काम प्रभावित हो सकता है. सभी कर्मचारी रोकने समेत अन्य मांगों को पूरा करने की बात रखेंगे. यदि मांगें पूरी नहीं होती हैं तो प्रदर्शन को आंदोलन का रूप देंगे.

ई-बस चालक भी कर सकते हैं हड़ताल: दिल्ली में चल रही 300 इलेक्ट्रिक बसें भी ठप हो सकती हैं. दरअसल फरवरी से लेकर अभी तक इन बसों के चालकों को वेतन नहीं मिला है. समय पर वेतन न मिलने से कई कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं. इन बसों का संचालन ठप होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपए बकाया नहीं दे रही है, जिसकी वजह से बस कंपनियां चालकों को वेतन नहीं दे पा रही हैं. हालांकि संबंध में दिल्ली सरकार की तरफ से कोई पक्ष नहीं रखा गया है.

यह भी पढ़ें- 'नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा', DTC कर्मचारियों का छलका दर्द

यह भी पढ़ें- जलवायु परिवर्तन में सुधार के लिए दिल्ली मेट्रो ने उठाया विशेष कदम, DMRC को मिला कार्बन न्यूट्रल सर्टिफिकेशन

नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) के हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. मांगें तो पूरी नहीं हुईं और करीब डेढ़ हजार से अधिक कर्मचारियों का तबादला एक से दूसरे डिपो में कर दिया गया. कर्मचारियों का आरोप है कि यूपी के बॉर्डर से उनका तबादला हरियाणा के बॉर्डर पर कर दिया गया है. ऐसे में सुबह नौकरी पर पहुंचना मुश्किल होता है. इसके साथ ही वे अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में कर्मचारी आगामी 16 अक्टूबर को दिल्ली में बड़ी हड़ताल करने जा रहे हैं. अगर ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो डीटीसी बसों में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है.

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसिडेंट ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी में नियमित और संविदा कर्मचारियों के तबादले किए जा रहे हैं. अब तक करीब डेढ़ हजार कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं. उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक के डिपो में काम कर रहे चालक-परिचालक या अन्य कर्मचारियों का हरियाणा के बॉर्डर के पास बस डिपो में तबादला कर दिया गया है. ऐसे में कर्मचारी परेशान हैं. यदि परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट करते हैं तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. अधिक दूरी होने के कारण रोज लंबी दूरी का सफर कर नौकरी पर पहुंचना भी मुश्किल होता है. ऐसे में कर्मचारी नौकरी छोड़ने को बाध्य हो रहे हैं. कहीं न कहीं कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

तबादला रोकने के नाम पर पैसे लेने का आरोप: ललित चौधरी का कहना है कि डीटीसी अधिकारियों की मनमानी चल रही है. बिना कर्मचारियों का हित देखे उनका तबादला कर दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया है की तबादला रोकने के नाम पर कुछ अधिकारी कर्मचारियों से पैसे भी ले रहे हैं.

समान कार्य-समान वेतन समेत अन्य मांगे: उन्होंने कहा कि डीटीसी में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी लंबे समय से नौकरी को नियमित करने की मांग कर रहे हैं. यदि नौकरी नियमित नहीं हो सकती, तो समान कार्य-समान वेतन की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों को मिल रही कई सुविधाएं भी नहीं मिलती है, जबकि वह नियमित कर्मचारियों की तरह ही पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं.

16 अक्टूबर को मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन: आईपी डिपो स्थित दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के मुख्यालय पर 16 अक्टूबर को बड़ी संख्या में डीटीसी के कर्मचारी एकत्र होंगे. ललित चौधरी ने बताया कि सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. इससे डीटीसी का काम प्रभावित हो सकता है. सभी कर्मचारी रोकने समेत अन्य मांगों को पूरा करने की बात रखेंगे. यदि मांगें पूरी नहीं होती हैं तो प्रदर्शन को आंदोलन का रूप देंगे.

ई-बस चालक भी कर सकते हैं हड़ताल: दिल्ली में चल रही 300 इलेक्ट्रिक बसें भी ठप हो सकती हैं. दरअसल फरवरी से लेकर अभी तक इन बसों के चालकों को वेतन नहीं मिला है. समय पर वेतन न मिलने से कई कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं. इन बसों का संचालन ठप होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपए बकाया नहीं दे रही है, जिसकी वजह से बस कंपनियां चालकों को वेतन नहीं दे पा रही हैं. हालांकि संबंध में दिल्ली सरकार की तरफ से कोई पक्ष नहीं रखा गया है.

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