नई दिल्ली: दिल्ली में अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने व जमीन से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए शुक्रवार को डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया ने ड्रोन सर्वेक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इससे अलग-अलग सरकारी एजेंसियों से संबंधित भूमि की स्थिति में अनिश्चितता की समस्या का समाधान होगा और ऐसी भूमि को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा. भविष्य में अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगाया जाए.
उपराज्यपाल वीके सक्सेना (जो दिल्ली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं) की उपस्थिति में दिल्ली नगर निगम (MCD) और सर्वे ऑफ इंडिया (SOI) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ. इस संबंध में उपराज्यपाल की अध्यक्षता में पहले भी कई समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें विभिन्न सरकारी भूमि की स्थिति के संबंध में पुख्ता जानकारी की कमी का सामना सभी एजेंसियों को करना पड़ा था. अगस्त 2024 में ही इस मुद्दे पर दो बैठकें हो चुकीं, लेकिन स्पष्टता और वास्तविक जमीनी स्थिति की कमी के चलते कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका. कई दफा कोर्ट ने भी इस संबंध में सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाई थी और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकी समाधान अपनाने का निर्देश दिया था.
ड्रोन के जरिए सर्वे का ट्रायल रन पूराः इस महीने राजनिवास में हुई बैठक में उपराज्यपाल को 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में किए गए ट्रायल रन के नतीजे दिखाए गए थे. यहां तक कि 1x1” क्षेत्र की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां भी ड्रोन द्वारा स्पष्ट रूप से मैप की गईं. LG ने तब निर्देश दिया था कि सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यालय में अपने मॉनिटर पर ऐसी सटीक इमेजरी तक पहुंच प्राप्त हो. उपराज्यपाल ने रेखांकित किया था कि यह अधिकारियों को हर नाली, सड़क, अतिक्रमण और यहां तक कि जमीन पर कचरे की कल्पना करने और तदनुसार उपचारात्मक उपायों को लागू करने और निगरानी करने में सक्षम करेगा.
कुछ इस तरह होगा कामः ड्रोन से अब किया जाने वाला सर्वेक्षण, पहचाने गए क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले ड्रोन के माध्यम से प्राप्त उच्च स्तर की डेटा सटीकता और उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां जैसे अत्यधिक लाभ प्रदान करेगा. इससे संरचनाओं के सटीक सीमा निर्धारण में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि खसरा परतों की ग्राउंड-ट्रूथिंग अधिक सटीक रूप से की जाती है. इस प्रकार प्राप्त हवाई इमेजरी के विविध उपयोग होंगे, जिसमें अतिक्रमणों की आसान पहचान, मानचित्रण और निगरानी शामिल है. अतिक्रमणों की पहचान करने के लिए डेटा उन्नयन मॉडल का उपयोग किया जाएगा. इससे अतिक्रमण पर वास्तविक समय डेटा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे अधिकारियों को शुरुआती चरण में ही अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी.
इस समझौते का उद्देश्यः तीनों सरकारी एजेंसियों के बीच हुए एमओयू का उद्देश्य सर्वेक्षण और मानचित्रण गतिविधियों द्वारा भू-स्थानिक डेटा उत्पन्न करना है, जो राजस्व विभाग, आवास विभाग, शहरी विकास, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, पर्यावरण विभाग सहित दिल्ली में डीडीए, एमसीडी और विभिन्न अन्य विभागों के डेटा के एकीकरण के लिए आधार के रूप में कार्य करेगा.
कृषि विभाग, वन विभाग, आपदा प्रबंधन, आदि संसाधन उपयोग को अधिकतम करने और अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र के तहत सभी क्षेत्रों की व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, एमओयू में काम के दायरे में डेटा अधिग्रहण, मानचित्रों का जियो-रेफरेंसिंग, मौजूदा कैडस्ट्राल मानचित्रों के जियो-संदर्भित वेक्टर डेटा के साथ लेआउट प्लान (एलओपी) का वेक्टराइजेशन और लिंकिंग, स्थलाकृतिक टेम्पलेट का निर्माण, पुनर्सर्वेक्षण शामिल है. इस एमओयू पर हस्ताक्षर के साथ उम्मीद की जाती है कि डीडीए और एमसीडी दोनों अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमणों, अनधिकृत निर्माणों और परिवर्तन का बेहतर ढंग से पता लगाने में सक्षम होंगे, जिससे समय पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी और त्वरित और तेज कार्रवाई होगी.