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जल्द ही एम्स दिल्ली से झज्झर तक दवाइयां पहुंचाएगा ड्रोन, पॉलिसी और रेगूलेशन पर चल रहा काम - Drone corridor to link AIIMS Delhi - DRONE CORRIDOR TO LINK AIIMS DELHI

Drones in HealthCare: दिल्ली एम्स और एम्स झज्झर के बीच जल्द मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा. ऐयर ट्रांसपोर्ट के दौरान हवा में कोई बाधा आ जाय तो उससे कैसे निपटा जाएगा इसपर काम चल रहा है. सफल परिक्षण के बाद दिल्ली एम्स से झज्जर तक कुछ मिनटों में ही जीवन रक्षक दवाइयां पहुंचाई जा सकती है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 17, 2024, 2:28 PM IST

दिल्ली से झज्झर तक दवाइयां पहुंचाएगा ड्रोन

नई दिल्ली: एम्स दिल्ली और एम्स झज्झर के बीच एयर कॉरिडोर पर काम चल रही है. बहुत जल्द ही यह तैयार हो जाएगा. ड्रोन कॉरिडोर के एमडी चिराग शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब दवाइयां, मास्क, पीपीई किट,गलब्स, वैक्सीन जिसे छूना भी मना था, अमेरिका में इनका ट्रांसपोर्ट ड्रोन के माध्यम से किया जा रहा था. जहां तक इसे अपने देश में लागू करने की बात है तो यह तभी सही कदम होगा जब लंबी दूरी तक इसे ले जाया जाय. इसको लेकर पॉलिसी और रेगूलेशन अभी बन ही रहे हैं.

तकनीक के परीक्षण के लिए ट्रायल हो रहा है: चिराग शर्मा ने बताया कि हवा में कितनी ऊंचाई पर अंगों को या वैक्सीन को ले जाया जा सकता है ताकि वे खराब ना हों, जहां से ड्रोन उड़ान भरा हो वहां से लेकर जहां तक उसे जाना है उसकी निरंतर मॉनिटरिंग की क्या व्यवस्था होगी? यदि हवा में कोई बाधा आ जाय तो उससे कैसे निपटा जाएगा ? इन सभी मुद्दों पर काम किया जाना है. शायद इस दिशा में काम चल भी रहा है. इस तकनीक के परीक्षण के लिए कुछ ट्रायल भी हुए हैं. एम्स के अलावा आईसीएमआर ने भी ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कुछ पहल की है. लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब इसको लेकर बाकायदा एक नीति नियामक तैयार हो.

कुछ मिनटों में तय होगी 60 किलोमीटर की दूरी: दिल्ली एम्स और झज्जर के बीच की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है. इस दूरी को सड़क के रास्ते तय करने में डेढ़ घंटे से ज्यादा का समय लगता है, लेकिन इस ड्रोन कॉरिडोर के बनने के बाद ये दूरी कुछ मिनटों में तय हो जाएगी. ड्रोन डेस्टिनेशन के चेयरमैन आलोक शर्मा ने बताया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन या किसी लाइफ सेविंग ड्रग के ट्रांसप्लांट की जरूरत की स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है.

इनका सही समय पर जरूरतमंद तक पहुंचना बहुत जरूरी होता है. इनका सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्ट की स्थिति में ट्रैफिक समेत अनेक तरह की समस्याएं सामने आती हैं. यदि यही काम एयर कॉरिडोर के माध्यम से इन्हें ट्रांसपोर्ट किया जाय तो ना केवल बहुत कम समय में जरूरतमंद लोगों तक अंगों , ब्लड या जीवन रक्षक दवाइयों को पहुंचाया जा सकता है.

दिल्ली से झज्झर तक दवाइयां पहुंचाएगा ड्रोन

नई दिल्ली: एम्स दिल्ली और एम्स झज्झर के बीच एयर कॉरिडोर पर काम चल रही है. बहुत जल्द ही यह तैयार हो जाएगा. ड्रोन कॉरिडोर के एमडी चिराग शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब दवाइयां, मास्क, पीपीई किट,गलब्स, वैक्सीन जिसे छूना भी मना था, अमेरिका में इनका ट्रांसपोर्ट ड्रोन के माध्यम से किया जा रहा था. जहां तक इसे अपने देश में लागू करने की बात है तो यह तभी सही कदम होगा जब लंबी दूरी तक इसे ले जाया जाय. इसको लेकर पॉलिसी और रेगूलेशन अभी बन ही रहे हैं.

तकनीक के परीक्षण के लिए ट्रायल हो रहा है: चिराग शर्मा ने बताया कि हवा में कितनी ऊंचाई पर अंगों को या वैक्सीन को ले जाया जा सकता है ताकि वे खराब ना हों, जहां से ड्रोन उड़ान भरा हो वहां से लेकर जहां तक उसे जाना है उसकी निरंतर मॉनिटरिंग की क्या व्यवस्था होगी? यदि हवा में कोई बाधा आ जाय तो उससे कैसे निपटा जाएगा ? इन सभी मुद्दों पर काम किया जाना है. शायद इस दिशा में काम चल भी रहा है. इस तकनीक के परीक्षण के लिए कुछ ट्रायल भी हुए हैं. एम्स के अलावा आईसीएमआर ने भी ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कुछ पहल की है. लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब इसको लेकर बाकायदा एक नीति नियामक तैयार हो.

कुछ मिनटों में तय होगी 60 किलोमीटर की दूरी: दिल्ली एम्स और झज्जर के बीच की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है. इस दूरी को सड़क के रास्ते तय करने में डेढ़ घंटे से ज्यादा का समय लगता है, लेकिन इस ड्रोन कॉरिडोर के बनने के बाद ये दूरी कुछ मिनटों में तय हो जाएगी. ड्रोन डेस्टिनेशन के चेयरमैन आलोक शर्मा ने बताया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन या किसी लाइफ सेविंग ड्रग के ट्रांसप्लांट की जरूरत की स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है.

इनका सही समय पर जरूरतमंद तक पहुंचना बहुत जरूरी होता है. इनका सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्ट की स्थिति में ट्रैफिक समेत अनेक तरह की समस्याएं सामने आती हैं. यदि यही काम एयर कॉरिडोर के माध्यम से इन्हें ट्रांसपोर्ट किया जाय तो ना केवल बहुत कम समय में जरूरतमंद लोगों तक अंगों , ब्लड या जीवन रक्षक दवाइयों को पहुंचाया जा सकता है.

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