लखनऊ: शुक्रवार (25 अक्टूबर 2024) से अगले 10 दिन तक कैब बुक कराकर अपनी मंजिल तक पहुंचने वाले लोगों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं. अगले 10 दिनों तक हो सकता है कि उन्हें बुक करने पर कैब सही समय पर मिल ही न पाए. वजह है कि तमाम कैब ड्राइवर अगले 10 दिन तक हड़ताल पर रहेंगे और जो ड्राइवर कैब संचालित भी करेंगे वह सिर्फ ओला कैब ही चलाएंगे. उबर, इन ड्राइवर और रैपिडो कंपनी की कैब को हाथ नहीं लगाएंगे.
ड्राइवरों का आरोप है कि गाड़ी का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है. कंपनियां मनमानी कर रही हैं. ग्राहकों से तो पूरा पैसा वसूल करती हैं, लेकिन ड्राइवर को कमीशन काटकर इतना कम पैसा देती है कि गाड़ी का मेंटेनेंस कराना तक मुश्किल हो रहा है. कैब ड्राइवर 15 रुपये प्रति किलोमीटर देने की मांग कर रहे हैं, जबकि कंपनियां 8-9 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से ही ड्राइवर को भुगतान करती हैं.
कैब ड्राइवर पिछले काफी सालों से किराए की दर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वर्तमान में आठ से नौ रुपए प्रति किलोमीटर की दर से यात्री से कैब से सफर करने पर किराया वसूल किया जाता है, लेकिन जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, पेट्रोल और सीएनजी के दाम बड़े हैं उस अनुपात में किराया नहीं बढ़ा है, ऐसा ड्राइवर्स का कहना है. कैब चलने वाले ड्राइवर जाहिद प्रधान कहते हैं कि गाड़ी महंगी आने लगी है. मेंटेनेंस महंगा हो गया है. टैक्स समय पर देना ही पड़ता है, लेकिन किराया कम होने की वजह से खर्च निकल ही नहीं पाता है. आलम यह है कि कई गाड़ियां तो रिकवरी एजेंट खींचकर वापस ले गए.
अब घर में दो समय का खाना भी मुश्किल से बन पा रहा है. उनका कहना है कि ओला, उबर, रैपिडो और इन ड्राइवर जैसी कंपनियों के मालिक यात्रियों से किराए के रूप में पूरा पैसा वसूल करते हैं, लेकिन अपना कमीशन काटकर ड्राइवर को सिर्फ 8-9 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से ही भुगतान करते हैं. दो दिन पहले हजरतगंज में कैब ड्राइवर ने किराया बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.
कहा था कि 25 अक्टूबर तक अगर किराया नहीं बढ़ाया, तो कैब ड्राइवर हड़ताल पर चले जाएंगे और इसके लिए कंपनियां ही जिम्मेदार होंगी. गुरुवार को कई कैब ड्राइवर ने कहा है कि ओला कंपनी से बात हुई है तो यह कंपनी 15 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान करने को तैयार है. ऐसे में कल शहर के 2000 कैब चालक सिर्फ ओला की ही कैब चलाएंगे. अन्य कंपनियों के एप्लीकेशन भी डिलीट करने के लिए लोगों को कहेंगे.
इस मामले पर कैब एसोसिएशन के संयोजक आरके पांडेय का कहना है कि किसी भी कंपनी की गाड़ियों को चलाने या ना चलाने का फैसला किसी और कंपनी के कैब ड्राइवर नहीं ले सकते हैं, यह नियमों का उल्लंघन है. अगर सिर्फ ओला कैब चलाने की बात कह रहे हैं अन्य कंपनियों के एप्लीकेशन डिलीट करने के लिए अभियान चला रहे हैं तो यह बिल्कुल सही नहीं है. शहर में कुल 11000 कैब हैं और सभी ड्राइवर एक दूसरी कंपनियों की कैब चलाते हैं. ऐसे में हड़ताल करने पर भी यात्रियों को कोई दिक्कत नहीं होगी. किराया बढ़ाने की मांग जायज है, बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन किसी एक कंपनी की कैब चलाने की बात करना बिल्कुल सही नहीं है.
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