श्रीनगर: ड्रैगन फ्रूट का स्वाद अब लोगों को पसंद आने लगा है. दिन प्रतिदिन ड्रैगन फ्रूट की मांग बढ़ती जा रही है, इसे ध्यान में रखते हुए उद्यान विभाग ने पहाड़ों में ड्रैगन फ्रूट खेती की संभावनाओं को तलाशने के लिए 2021 में 3 नाली भूमि में 219 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए थे, जो वर्तमान में अच्छे फल देने लगे हैं. जिससे भविष्य में गढ़वाल रीजन के किसानों को भी इसके उगाने के प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे किसानों की आय बेहतर होगी.
ड्रैगन फ्रूट के लिए वातावरण अनुकूल: उद्यान विभाग के अपर प्रशिक्षण अधिकारी पुरुषोत्तम बडोनी ने बताया कि पहाड़ों में ड्रैगन फ्रूट (कमलम) की खेती की संभावनाओं को तलाशते हुए 2021 में ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए थे. जिसमें अब फल आने लगे हैं, जो बताता है कि श्रीनगर और उसके आसपास का वातावरण ड्रैगन फ्रूट के लिए उचित है.
नर्सरी में लगाए 219 ड्रैगन फ्रूट: पुरुषोत्तम बडोनी बताते हैं कि उद्यान विभाग की नर्सरी में 219 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए हैं, जिनमें दो प्रजातियों के ड्रैगन फ्रूट शामिल हैं. एक पिंक-टू-पिंक और दूसरा पिंक-टू-व्हाइट. इनमें से कई पौधों पर फल भी निकल आए हैं.यह किसी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं था, बल्कि उन्होंने स्वयं ड्रैगन फ्रूट को श्रीनगर में उगाने के लिए परीक्षण किया था, जो सफल रहा.
ऐसे की ड्रैगन फ्रूट की पैदावार: घाटी क्षेत्र के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट वरदान साबित हो सकता है. 2 से 3 नाली भूमि में भी ड्रैगन फ्रूट की अच्छी खेती की जा सकती है. 700 से 800 मीटर ऊंचाई वाले और रेतीली जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती होती है. ड्रैगन फ्रूट का पौधा आराम से 50 डिग्री तक का तापमान सहन कर सकता है और यह रेतीली भूमि पर अच्छी तरह उगता है. ऐसे में पहाड़ के घाटी वाले क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती की अपार संभावनाएं हैं.
मार्केट में ड्रैगन फ्रूट की मांग: श्रीनगर में रेतीली भूमि पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए थे, जिनका परिणाम अच्छा रहा.ऐसे में अब उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों के लिए भी ड्रैगन फ्रूट की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. क्योंकि ड्रैगन फ्रूट का पौधा 2 से 3 साल में अच्छे फल देने लगता है. इसकी खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है. एक फल की कीमत बाजार में 200 रुपये तक होती है, जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. धीरे-धीरे ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये किसानों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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