बस्तर : भारत में इन दिनों विदेशी फलों की खेती होने लगी है.इन्हीं फलों में से एक फल है ड्रैगन फ्रूट.ड्रैगन फ्रूट की खेती मूलत: मैक्सिको और चाइना में होती है.लेकिन अब भारत में इसका बड़ा बाजार बन चुका है.बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो यहां के बस्तर में ड्रैगन फ्रूट की खेती करके किसान मुनाफा कमा रहे हैं. बस्तर के स्थानीय ग्रामीणों और किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. बस्तर में कम दाम और आसानी से मिलने के साथ इसे दूसरे राज्यों में भी भेजा जा रहा है. औषधीय गुण और एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन फाइबर, विटामिंस और कैल्शियम से भरपूर ड्रैगन फ्रूट पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं.
ड्रैगन फ्रूट उत्पादन के साथ निर्यात : ड्रैगन फ्रूट फल की डिमांड कोरोनाकाल के दौरान अचानक से बढ़ी थी. जिसके बाद कोंडागांव के साथ बस्तर जिले में ड्रैगन फ़्रूट की खेती के प्रयास शुरु हुए.बस्तर का वातावरण ड्रैगन फ्रूट के लिए अनुकूल पाया गया. आखिरकार चार साल बाद किसानों की मेहनत रंग लाई. आदिवासी किसान और कोंडागांव के दंतेश्वरी हर्बल समूह ड्रैगन फ्रूट की पैदावार करने में सफल हुआ. कोंडागांव के साथ साथ बस्तर में भी 6 हजार से ज्यादा पौधों में फल आने शुरु हुए. अब फलों को आंध्रप्रदेश , तेलंगाना, महाराष्ट्र और दिल्ली भी भेजा जा रहा है.उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक सुरेश कुमार ने बताया कि ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए बस्तर के किसान आगे आ रहे हैं. जैसे छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में किया जा रहा है. इससे बस्तर के किसान प्रभावित है.
''बस्तर में राष्ट्रीय बागवानी की योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत किसान इसकी खेती कर सकते हैं. जिसमें अनुदान का प्रावधान है. वर्तमान में बस्तर में 80-100 हेक्टेयर में खेती की जा रही है. फिलहाल अनुदान कम होने के कारण किसान अधिक संख्या में इसके लिए आगे नहीं आ रहे हैं. आगामी दिनों में सरकार से बात करके अनुदान की राशि बढ़ाया जाए. ताकि किसान अधिक संख्या में आगे आएंगे.'' सुरेश कुमार, उपसंचालक उद्यानिकी विभाग
सुरेश कुमार ने बताया कि 1 हेक्टेयर में लगभग 150 क्विंटल फसल निकलती है. 1 फसल को किसान थोक मंडी में 60 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच बेचते हैं. जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है. आपको बता दें कि बस्तर में कई तरह के प्रयोग किए गए हैं.उन्हीं प्रयोगों में से एक ड्रैगन फ्रूट की खेती थी. बस्तर उद्यानिकी विभाग ने क्लाइमेट को ध्यान में रखते हुए कोंडागांव और बस्तर में जगहों का चुनाव किया.जहां आज ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है.