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साल में सिर्फ 4-5 दिन खुलता है बनारस का ये मंदिर, खजाने का सिक्का पाने के लिए उमड़ते हैं लाखों भक्त

VARANASI ANNAPURNA TEMPLE: बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वालीं मां अन्नपूर्णा का दरबार खुलने वाला है, जानिए- धनतेरस पर प्रसाद के क्यों लगती है लाइन

बनारस में मां अन्नपूर्णा मंदिर धनतेरस पर खुलेगा.
बनारस में मां अन्नपूर्णा मंदिर धनतेरस पर खुलेगा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 54 minutes ago

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वालीं मां अन्नपूर्णा का खजाना खुलने में अब चंद दिन ही शेष हैं. 29 अक्टूबर को भक्तों की प्रतीक्षा खत्म होगी. इस दिन भक्तों पर मां की कृपा बरसेगी. मान्यता है कि प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलने वाला सिक्का जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि करता है. यही कारण है भक्तों को इस दिन का इंतजार रहता है और मंदिर के कपाट खुलने से घंटों पहले लोग लाइन में लग जाते हैं. आइए आप भी जानिए बनारस के इस मंदिर की महिमा.

साल में सिर्फ 4 से 5 पांच दिनों तक के लिए खुलता है मंदिर: मां अन्नपूर्णा का मंदिर साल में धनरतेरस से लेकर भाई दूज तक के लिए ही खुलता है. यही कारण है कि भक्तों की कतार दर्शन के लिए यहां लगी रहती है. इस बीच धनतेरस पर ही प्रसाद स्वरूप सिक्के और लावा का वितरण किया जाता है. मान्यता है कि प्रसाद में मिले सिक्के और लावा को तिजोरी व भंडार में रखने से कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती.

मंदिर को लेकर क्या है मान्यता

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि काशी में वास के लिए जब भगवान शंकर पहुंचे थे तब उन्होंने भिक्षा मांगकर माता अन्नपूर्णा से अपना और काशी वासियों का पेट भरा था. मां ने देवाधि देव महादेव को यह आशीर्वाद दिया कि अब काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा. इसी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा को निभाया जा रहा है.

इस बार बहुत ही शुभ योग: धनतरेस पर मंगल बेला में सुबह तीन बजे से पूजन शुरू होगा. पौने पांच तक शविधि पूजन होगा. आम भक्तों क़े लिये पांच बजे मंदिर का पट खुलेगा. 29 नवंबर धनतेरस के दिन निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और पांच दिनों तक श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे.

शुक्रवार को महंत शंकर पुरी ने बांसफाटक स्थित काशी अन्नपूर्णा क्षेत्र के सभागार में प्रेसवार्ता कर जानकारी दी. महंत ने बताया कि धनतेरस पर इस बार बहुत ही शुभ योग निर्मित हो रहा है. देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा. अभिजीत मुहूर्त में भोर में माता का पूजन व आरती के बाद खजाने की पूजा की जाएगी.


इस साल 5 दिन दर्शन: महंत शंकर पुरी ने बताया कि वर्ष में सिर्फ चार दिन भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता था, लेकिन इस दूसरे वर्ष भी पांच दिन स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे. धनतेरस को खजाना वितरण होगा. 2 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओ की झांकी सजेगी. वहीं रात्रि 11.30 बजे माता की महाआरती होगी. इसके पश्चात एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा.

ऐसे मंदिर पहुंचेंगे: बताया कि भक्त बांसफाटक से होते गेट नंबर एक ढुंढिराज से मंदिर पहुंचेंगे. वहां बनी अस्थायी सीढियों से होते हुए स्वर्णमयी माता का दर्शन करके श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकलेंगे. प्रबंधक काशी मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा के लिए कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी की जाएगी. जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे. मंदिर आने वाले सभी दर्शनार्थियों को सुगम दर्शन मिले, इसकी व्यवस्था की गई है.

यह भी पढ़ें : वाराणसी में दीपावली : पांच नहीं इस बार छह दिनों तक मनाया जाएगा प्रकाश पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वालीं मां अन्नपूर्णा का खजाना खुलने में अब चंद दिन ही शेष हैं. 29 अक्टूबर को भक्तों की प्रतीक्षा खत्म होगी. इस दिन भक्तों पर मां की कृपा बरसेगी. मान्यता है कि प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलने वाला सिक्का जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि करता है. यही कारण है भक्तों को इस दिन का इंतजार रहता है और मंदिर के कपाट खुलने से घंटों पहले लोग लाइन में लग जाते हैं. आइए आप भी जानिए बनारस के इस मंदिर की महिमा.

साल में सिर्फ 4 से 5 पांच दिनों तक के लिए खुलता है मंदिर: मां अन्नपूर्णा का मंदिर साल में धनरतेरस से लेकर भाई दूज तक के लिए ही खुलता है. यही कारण है कि भक्तों की कतार दर्शन के लिए यहां लगी रहती है. इस बीच धनतेरस पर ही प्रसाद स्वरूप सिक्के और लावा का वितरण किया जाता है. मान्यता है कि प्रसाद में मिले सिक्के और लावा को तिजोरी व भंडार में रखने से कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती.

मंदिर को लेकर क्या है मान्यता

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि काशी में वास के लिए जब भगवान शंकर पहुंचे थे तब उन्होंने भिक्षा मांगकर माता अन्नपूर्णा से अपना और काशी वासियों का पेट भरा था. मां ने देवाधि देव महादेव को यह आशीर्वाद दिया कि अब काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा. इसी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा को निभाया जा रहा है.

इस बार बहुत ही शुभ योग: धनतरेस पर मंगल बेला में सुबह तीन बजे से पूजन शुरू होगा. पौने पांच तक शविधि पूजन होगा. आम भक्तों क़े लिये पांच बजे मंदिर का पट खुलेगा. 29 नवंबर धनतेरस के दिन निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और पांच दिनों तक श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे.

शुक्रवार को महंत शंकर पुरी ने बांसफाटक स्थित काशी अन्नपूर्णा क्षेत्र के सभागार में प्रेसवार्ता कर जानकारी दी. महंत ने बताया कि धनतेरस पर इस बार बहुत ही शुभ योग निर्मित हो रहा है. देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा. अभिजीत मुहूर्त में भोर में माता का पूजन व आरती के बाद खजाने की पूजा की जाएगी.


इस साल 5 दिन दर्शन: महंत शंकर पुरी ने बताया कि वर्ष में सिर्फ चार दिन भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता था, लेकिन इस दूसरे वर्ष भी पांच दिन स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे. धनतेरस को खजाना वितरण होगा. 2 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओ की झांकी सजेगी. वहीं रात्रि 11.30 बजे माता की महाआरती होगी. इसके पश्चात एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा.

ऐसे मंदिर पहुंचेंगे: बताया कि भक्त बांसफाटक से होते गेट नंबर एक ढुंढिराज से मंदिर पहुंचेंगे. वहां बनी अस्थायी सीढियों से होते हुए स्वर्णमयी माता का दर्शन करके श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकलेंगे. प्रबंधक काशी मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा के लिए कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी की जाएगी. जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे. मंदिर आने वाले सभी दर्शनार्थियों को सुगम दर्शन मिले, इसकी व्यवस्था की गई है.

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