नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में साइबर क्राइम से जुड़े अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर क्राइम से बचने के लिए दिल्ली पुलिस लगातार लोगों को इसका शिकार होने से बचाने के लिए भी अलग-अलग तरह से प्रयास कर रही हैं. बावजूद इसके मामलों में इजाफा हो रहा है. इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) ने इस साल 30 जून तक 175 मामले साइबर क्राइम के दर्ज किए हैं जबकि यह आंकड़ा पिछले साल सिर्फ 125 ही रिकॉर्ड हुआ था.
इन सब मामलों के बीच दिल्ली पुलिस ने लोगों को यह साफ किया है कि पुराने और नई कानूनों में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे कानून का कोई प्रावधान नहीं है. जिसके नाम पर आपसे ठगी होती है. साइबर फ्रॉड से बचना है तो 'फीयर, ग्रीड और इग्नोरेंस' इन तीनों से बचना है.
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर ठगी करने वालों से बचने की दी गई सलाह
दरअसल, साइबर फ्रॉड से किस तरह से बचा जा सके और अगर आपके साथ ऐसा कुछ भी हुआ है तो आपको क्या करना चाहिए, इस सभी को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से एक खास ऑनलाइन संवाद जनसंपर्क अधिकारी डीसीपी सुमन नलवा और आईएफएसओ के डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर आयोजित किया. लोगों की ओर से अलग-अलग तरह के साइबर फ्रॉड पर पूछे गए सवालों का जवाब पुलिस अधिकारियों की ओर से दिया गया. साइबर से जुड़े मामलों को देखने वाले डीसीपी डॉ. तिवारी ने डिजिटल अरेस्ट से लेकर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर ठगी करने वालों से किस तरह से बचा जाए, इसको लेकर विशेष जानकारी दी.
आईएफएसओ के डीसीपी डॉ. तिवारी ने यह भी बताया कि साइबर फ्रॉड के मामले में पिछले साल के मुकाबले इस साल अभी ही बड़ी संख्या में दर्ज किए गए हैं. पिछले पूरे साल में जहां 125 मामले साइबर क्राइम के मामले रिकॉर्ड हुए थे वहीं इस साल 30 जून तक यह आंकड़ा 175 को पार कर गया है. इसका मतलब यह है कि लोग साइबर क्राइम के ज्यादा शिकार बन रहे हैं. इसलिए उनको इससे बचने की बेहद ज्यादा जरूरत है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट आईएफएसओ 50 लाख से ऊपर के साइबर फ्रॉड के मामलों को करती है हैंडल
दरअसल, साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को सुलझाने की दिशा में डेडिकेटेड दिल्ली पुलिस की यह स्पेशल यूनिट आईएफएसओ 50 लाख से ऊपर के साइबर फ्रॉड के मामलों को हैंडल करती है. इससे कम की रकम के साइबर फ्रॉड को जिम्मा दिल्ली पुलिस के जिला अंतर्गत बने साइबर थाने देखते हैं. बात अगर आईएफएसओ की करें तो इस साल 30 जून तक 175 मामले दर्ज होने से साफ हो जाता है लोग साइबर ठगों के चंगुल में लगातार फंसते जा रहे हैं.
30 जून तक दर्ज FIR ने तोड़ा पिछले साल का रिकॉर्ड
डीसीपी हेमंत तिवारी ने बताया कि इन 150 एफआईआर में से सिर्फ 20 से 25 एफआईआर ऐसी हैं जो सिर्फ 'डिजिटल अरेस्ट' से जुड़े मामलों की हैं. वहीं, करीब 125 एफआईआर ऐसी हैं जो 'इन्वेस्टमेंट फ्रॉड' से जुड़ी हैं. पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस साल का अब तक का सबसे बड़ा साइबर 'इन्वेस्टमेंट फ्रॉड' 22 करोड़ का सामने आया था. औसतन फ्रॉड 2 से ढाई करोड़ के हैं. इसका मतलब यह है कि लोग अपनी जमा पूंजी को एक ही झटके में गंवा दे रहे हैं जिसके लिए उनको अलर्ट रहना बहुत जरूरी है.
साइबर ठगी होने पर करें 1930 नंबर पर कॉल
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इस दौरान बताया कि देश के नए और पुराने कानूनों में किसी तरह की डिजिटल अरेस्ट करने के प्रावधान नहीं हैं. इसलिए लोगों को इस तरह के मामलों में बेहद ही सतर्क और चौकन्ना होना जरूरी है. अगर आपको कोई किसी मामले पर 'डिजिटल अरेस्ट' करने की धमकी देकर रकम ट्रांसफर करने को बोलता है तो बिल्कुल मत कीजिए. इस तरह का कोई प्रावधान हमारे कानून में नहीं है. अगर कोई अपराध करता है तो हम उसको खुद पकड़ने के लिए जाएंगे. इसलिए किसी भी तरह के मामले में 'डिजिटल अरेस्ट' किए जाने से घबराए नहीं, यह बहुत बड़ा स्कैम है. स्कैमर आपकी पूरी डिटेल एकत्र करने के बाद झांसे में लेकर रकम ऐंठ लेते हैं. वहीं, अगर आपके साथ किसी तरह का साइबर फ्रॉड होता है तो आप केंद्रीय गृह मंत्रालय की इंटीग्रेटिड लाइन के 1930 नंबर पर कॉल करें जिससे आपको पूरी मदद मिल सकेगी.
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