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दिल्ली में आज भी जारी है रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल, स्वास्थ्य मंत्री के साथ बातचीत में नहीं निकला हल - Doctor strike

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 20, 2024, 9:23 AM IST

Doctor's Strike: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप और हत्या मामले में देश भर के डॉक्टर्स लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं. आज इस केस में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई भी होने जा रही है. लेकिन दिल्ली में अभी हड़ताल जारी है. opd सेवाएं बंद हैं और डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक ये हड़ताल ऐसे ही जारी रहेगी.

दिल्ली में आज भी जारी है रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल
दिल्ली में आज भी जारी है रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल (Source: ETV BHARAT)

नई दिल्ली: कोलकाता रेप मर्डर केस में इंसाफ की मांग कर रहे डॉक्टर्स की हड़ताल नौवे दिन भी जारी है. सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) के प्रतिनिधियों की बैठक हुई लेकिन इस बैठक में कोई हल नहीं निकल पाया. डॉक्टर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर सेन्ट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू कराने पर अड़े हैं. जबकि केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया कि ये पूरी तरह से राज्य का विषय है. इस पर केंद्र सरकार के पास करने के लिए ज्यादा अधिकार नहीं हैं. ऐसे मामलों में केंद्र सरकार राज्यों को सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकती है. इसके साथ ही केंद्र ने राज्य सरकारों को सरकारी अस्पतालों में 25 प्रतिशत सुरक्षा कर्मी और बढ़ाने का निर्देश भी जारी कर दिया.

  • सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को अध्यादेश लाकर लागू कराने पर अड़े डॉक्टर
  • सरकार ने कहा स्वास्थ्य पूरी तरह राज्य का विषय, 26 राज्यों में पहले से लागू है सीपीए

हड़ताल खत्म करने पर नहीं बन पाई सहमति

केंद्र सरकार की ओर से डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को ये बताया गया कि 26 राज्यों में पहले से ही सीपीए जैसे कानून लागू हैं. उनमें सख्त सजा का भी प्रावधान है. केंद्र द्वारा सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के बाद भी कोलकाता की घटना उसमें कवर नहीं होगी. रेप और मर्डर का मामला भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत आता है और उसके अंतर्गत मामले में कार्रवाई चल रही है. इन सब बातों के बावजूद डॉक्टरों के प्रतिनिधि केंद्र सरकार से सहमत नहीं हुए और हड़ताल खत्म करने पर सहमति नहीं बन सकी.

आज भी OPD सेवाएं बंद

इसलिए आज एक बार फिर दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहकर ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब की सेवाएं बंद रखेंगे. इससे एक बार फिर मरीज की परेशानियां बढ़ना तय हैं. वहीं, सभी आरडीए के साथ बैठक करके सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट (सीपीए) एक्शन कमेटी ने प्रदर्शन और हड़ताल को मांगें पूरी न होने तक जारी रखने का निर्णय लिया है.

12 अगस्त से हड़ताल पर है रेजिडेंट डॉक्टर

रविवार को भी कनॉट प्लेस में राजीव चौक मेट्रो स्टेशन से डॉक्टरों ने जागरूकता मार्च निकाला था. बता दें कि 12 अगस्त से दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस दौरान अस्पतालों में ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब की सेवाएं बंद चल रही हैं, जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीज अस्पताल पहुंचकर बिना इलाज के घर वापस लौट रहे हैं. हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं अस्पताल में चालू रखी गई हैं. लेकिन इमरजेंसी सेवाएं भी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही हैं. दिल्ली एम्स ने अपने रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर वापस लौटने के लिए मेमोरेंडम भी जारी किया है. ज़ीटीबी अस्पताल ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए मेमोरेंडम जारी किया था. लेकिन इनकी परवाह न करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर लगातार हड़ताल पर डटे हुए हैं. इससे मरीजों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. बता दें कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हर दिन 40 हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन, अस्पतालों में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से चल रही हड़ताल के कारण मरीजों को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. उन्हें सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- कोलकाता रेप और हत्या कांड के विरोध में दिल्ली के डॉक्टरों ने निकाला मार्च

ये भी पढ़ें- झुग्गी में सो रही बच्ची को सांप ने काटा, इलाज के दौरान हुई मौत

नई दिल्ली: कोलकाता रेप मर्डर केस में इंसाफ की मांग कर रहे डॉक्टर्स की हड़ताल नौवे दिन भी जारी है. सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) के प्रतिनिधियों की बैठक हुई लेकिन इस बैठक में कोई हल नहीं निकल पाया. डॉक्टर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर सेन्ट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू कराने पर अड़े हैं. जबकि केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया कि ये पूरी तरह से राज्य का विषय है. इस पर केंद्र सरकार के पास करने के लिए ज्यादा अधिकार नहीं हैं. ऐसे मामलों में केंद्र सरकार राज्यों को सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकती है. इसके साथ ही केंद्र ने राज्य सरकारों को सरकारी अस्पतालों में 25 प्रतिशत सुरक्षा कर्मी और बढ़ाने का निर्देश भी जारी कर दिया.

  • सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को अध्यादेश लाकर लागू कराने पर अड़े डॉक्टर
  • सरकार ने कहा स्वास्थ्य पूरी तरह राज्य का विषय, 26 राज्यों में पहले से लागू है सीपीए

हड़ताल खत्म करने पर नहीं बन पाई सहमति

केंद्र सरकार की ओर से डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को ये बताया गया कि 26 राज्यों में पहले से ही सीपीए जैसे कानून लागू हैं. उनमें सख्त सजा का भी प्रावधान है. केंद्र द्वारा सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के बाद भी कोलकाता की घटना उसमें कवर नहीं होगी. रेप और मर्डर का मामला भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत आता है और उसके अंतर्गत मामले में कार्रवाई चल रही है. इन सब बातों के बावजूद डॉक्टरों के प्रतिनिधि केंद्र सरकार से सहमत नहीं हुए और हड़ताल खत्म करने पर सहमति नहीं बन सकी.

आज भी OPD सेवाएं बंद

इसलिए आज एक बार फिर दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहकर ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब की सेवाएं बंद रखेंगे. इससे एक बार फिर मरीज की परेशानियां बढ़ना तय हैं. वहीं, सभी आरडीए के साथ बैठक करके सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट (सीपीए) एक्शन कमेटी ने प्रदर्शन और हड़ताल को मांगें पूरी न होने तक जारी रखने का निर्णय लिया है.

12 अगस्त से हड़ताल पर है रेजिडेंट डॉक्टर

रविवार को भी कनॉट प्लेस में राजीव चौक मेट्रो स्टेशन से डॉक्टरों ने जागरूकता मार्च निकाला था. बता दें कि 12 अगस्त से दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस दौरान अस्पतालों में ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब की सेवाएं बंद चल रही हैं, जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीज अस्पताल पहुंचकर बिना इलाज के घर वापस लौट रहे हैं. हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं अस्पताल में चालू रखी गई हैं. लेकिन इमरजेंसी सेवाएं भी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही हैं. दिल्ली एम्स ने अपने रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर वापस लौटने के लिए मेमोरेंडम भी जारी किया है. ज़ीटीबी अस्पताल ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए मेमोरेंडम जारी किया था. लेकिन इनकी परवाह न करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर लगातार हड़ताल पर डटे हुए हैं. इससे मरीजों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. बता दें कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हर दिन 40 हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन, अस्पतालों में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से चल रही हड़ताल के कारण मरीजों को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. उन्हें सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज नहीं मिल रहा है.

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