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चंबा में डॉक्टरों का कमाल, ढाई घंटे के ऑपरेशन के बाद महिला के पेट से निकाली इतने किलो की रसौली - CHAMBA MEDICAL COLLEGE

चंबा में डॉक्टरों ने महिला के पेट से 3 किलो की रसौली निकाली है. ये ऑपरेशन ढाई घंटे तक चला.

ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम
ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 6, 2024, 3:56 PM IST

चंबा: पंडित जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज चंबा के सर्जरी विभाग की टीम ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. डॉक्टरों की टीम ने 50 वर्षीय महिला के पेट से करीब 3 किलो हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) को ऑपरेशन के जरिए निकाला. करीब ढाई घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम ने इसे निकालने में कामयाबी हासिल की.

चंबा शहर की रहने वाली एक महिला लंबे समय से पेट में हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) की समस्या से परेशान थी. डॉ. अरविंद और डॉ. रोहित ने बताया कि, 'महिला मरीज को बीते कई वर्षों से पेट दर्द, भूख कम लगना, कब्ज और पेट फूलने की समस्या थी. कुछ दिन पहले महिला उनके पास डॉक्टरी परामर्श के लिए पहुंची थी, जिसके बाद अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन आदि टेस्ट करने के बाद पता चला कि महिला के पेट में हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) है. उन्होंने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. पूरी टीम ने ऑपरेशन करके सिस्ट के करीब 6 टुकड़े सफलतापूर्वक निकाले, जिसका वजन करीब 3 किलोग्राम है. इनमें सबसे बड़े एक टुकड़े का वजन 1 किलो 400 ग्राम था. सिस्ट पेट में होने के कारण इसे फैलने की काफी जगह मिल गई, जिसके कारण इसका आकार समय के साथ बढ़ता रहा. यदि ऑपरेशन के समय या ऑपरेशन से पहले सिस्ट किसी कारण से फट जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है. बहरहाल, ऑपरेशन के बाद महिला चिकित्सकों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रही है.'

जानवरों के मल से फैलती है ये बीमारी

डॉ. अरविंद और डॉ. रोहित ने बताया कि, 'हाइडेटिड सिस्ट अक्सर लंग्स, लिवर, ब्रेन और हड्डियों में पाया जाता है, लेकिन पेट में हाइडेटिड सिस्ट केवल 2 प्रतिशत लोगों में ही देखने को मिलता है. ये बीमारी मूल रूप से कुत्तों और भेड़-बकरियों में पाई जाती है. इंसानों में ऐसे मामले मिलना दुर्लभ है. जानवरों के मल के संपर्क में आने यह बीमारी इंसानों में फैलती है.'

क्या होता है हाईडेडिट सिस्ट
डॉक्टरों ने बताया कि हाइडेटिड सिस्ट एक परजीवी संक्रमण है, जो इचिनोकोकस ग्रैनुलोसस नाम के टेपवर्म की वजह से होता है. यह संक्रमण शरीर के अंगों में सिस्ट बनाता है. यह संक्रमण ग्रामीण और अविकसित इलाकों में आम है, जहां लोग पशुधन पालते हैं. हाइडेटिड सिस्ट ज्यादातर लिवर में होता है. इसके अलावा, यह फेफड़े, प्लीहा, गुर्दे, हृदय, हड्डियों, और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में भी हो सकता है. हाइडेटिड सिस्ट का इलाज, सर्जरी के जरिए किया जाता है.

उपचार के लिए अपनाए जाते हैं ये तरीके

हालांकि, हाल के सालों में चिकित्सा और पर्क्यूटेनियस तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. हाइडेटिड सिस्ट के इलाज के लिए, एल्बेंडाजोल और मेबेंडाजोल का उपयोग होता है. हाइडेटिड सिस्ट के इलाज के लिए, कई तरह के उपचार के विकल्प होते हैं. उपचार का विकल्प कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि, रोगी की स्थिति, सिस्ट की संख्या, सिस्ट का स्थान, सर्जन का अनुभव, और गहन देखभाल इकाई की उपलब्धता.

ये भी पढ़ें: 6 माह के बच्चे से लेकर पुरुषों-महिलाओं को दिन में कितना पीना चाहिए पानी, ज्यादा पीया तो होगा ये नुकसान

चंबा: पंडित जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज चंबा के सर्जरी विभाग की टीम ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. डॉक्टरों की टीम ने 50 वर्षीय महिला के पेट से करीब 3 किलो हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) को ऑपरेशन के जरिए निकाला. करीब ढाई घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम ने इसे निकालने में कामयाबी हासिल की.

चंबा शहर की रहने वाली एक महिला लंबे समय से पेट में हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) की समस्या से परेशान थी. डॉ. अरविंद और डॉ. रोहित ने बताया कि, 'महिला मरीज को बीते कई वर्षों से पेट दर्द, भूख कम लगना, कब्ज और पेट फूलने की समस्या थी. कुछ दिन पहले महिला उनके पास डॉक्टरी परामर्श के लिए पहुंची थी, जिसके बाद अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन आदि टेस्ट करने के बाद पता चला कि महिला के पेट में हाइडेटिड सिस्ट (रसौली) है. उन्होंने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. पूरी टीम ने ऑपरेशन करके सिस्ट के करीब 6 टुकड़े सफलतापूर्वक निकाले, जिसका वजन करीब 3 किलोग्राम है. इनमें सबसे बड़े एक टुकड़े का वजन 1 किलो 400 ग्राम था. सिस्ट पेट में होने के कारण इसे फैलने की काफी जगह मिल गई, जिसके कारण इसका आकार समय के साथ बढ़ता रहा. यदि ऑपरेशन के समय या ऑपरेशन से पहले सिस्ट किसी कारण से फट जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है. बहरहाल, ऑपरेशन के बाद महिला चिकित्सकों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रही है.'

जानवरों के मल से फैलती है ये बीमारी

डॉ. अरविंद और डॉ. रोहित ने बताया कि, 'हाइडेटिड सिस्ट अक्सर लंग्स, लिवर, ब्रेन और हड्डियों में पाया जाता है, लेकिन पेट में हाइडेटिड सिस्ट केवल 2 प्रतिशत लोगों में ही देखने को मिलता है. ये बीमारी मूल रूप से कुत्तों और भेड़-बकरियों में पाई जाती है. इंसानों में ऐसे मामले मिलना दुर्लभ है. जानवरों के मल के संपर्क में आने यह बीमारी इंसानों में फैलती है.'

क्या होता है हाईडेडिट सिस्ट
डॉक्टरों ने बताया कि हाइडेटिड सिस्ट एक परजीवी संक्रमण है, जो इचिनोकोकस ग्रैनुलोसस नाम के टेपवर्म की वजह से होता है. यह संक्रमण शरीर के अंगों में सिस्ट बनाता है. यह संक्रमण ग्रामीण और अविकसित इलाकों में आम है, जहां लोग पशुधन पालते हैं. हाइडेटिड सिस्ट ज्यादातर लिवर में होता है. इसके अलावा, यह फेफड़े, प्लीहा, गुर्दे, हृदय, हड्डियों, और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में भी हो सकता है. हाइडेटिड सिस्ट का इलाज, सर्जरी के जरिए किया जाता है.

उपचार के लिए अपनाए जाते हैं ये तरीके

हालांकि, हाल के सालों में चिकित्सा और पर्क्यूटेनियस तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. हाइडेटिड सिस्ट के इलाज के लिए, एल्बेंडाजोल और मेबेंडाजोल का उपयोग होता है. हाइडेटिड सिस्ट के इलाज के लिए, कई तरह के उपचार के विकल्प होते हैं. उपचार का विकल्प कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि, रोगी की स्थिति, सिस्ट की संख्या, सिस्ट का स्थान, सर्जन का अनुभव, और गहन देखभाल इकाई की उपलब्धता.

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