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पीजीआई एक्ट में बदलाव से बढ़ी डॉक्टर्स की नाराजगी; आंदोलन की चेतावनी - PGI ACT CHANGES

पीजीआई एक्ट में बदलाव को लेकर डॉक्टरों की नाराजगी बढ़ गई है. उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है.

एसजीपीजीआई एक्ट 1983 में संशोधन का विरोध.
एसजीपीजीआई एक्ट 1983 में संशोधन का विरोध. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2025, 10:22 AM IST

लखनऊ: एसजीपीजीआई एक्ट 1983 में संशोधन करने के कैबिनेट के निर्णय और मौजूदा निदेशक को तीन साल का विस्तार दिए जाने का विरोध जारी है. पीजीआई फैकल्टी फोरम के पदाधिकारियों समेत करीब 80 सीनियर डॉक्टरों ने हस्ताक्षर करके विरोध पत्र जारी किया है. डॉक्टरों का साफ तौर पर कहना है कि एसजीपीजीआई दिल्ली एम्स की तर्ज पर कार्य करता है. वहां पर निदेशक के रिटायर होने की आयु 65 साल है.

इस तरह एक्ट में बदलाव को संस्थान के डॉक्टर बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्हें मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा. कुछ डॉक्टर संस्थान भी छोड़ सकते हैं. फैकल्टी फोरम के डॉक्टरों का कहना है कि पीजीआई संस्थान के संकाय को किसी भी चर्चा, विचार-विमर्श या सूचना दिए बिना, केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए अधिनियम को बदलने के अचानक निर्णय से संस्थान के संकाय भयभीत हैं.

अधिनियम में बदलाव के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. अधिनियम में बदलाव के किसी भी प्रस्ताव को पहले संस्थान निकाय/शासी निकाय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए. फिर अनुमोदन के लिए भेजा जाना चाहिए. एसजीपीजीआई अधिनियम अत्यंत पवित्र है. संस्थान के संकाय सदस्यों से चर्चा किए बिना या यहां तक कि उन्हें सूचित किए बिना इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता है.

इस संस्थान को देश के शीर्ष रैंकिंग चिकित्सा संस्थानों में से एक बनाने के लिए डॉक्टर दिन रात मेहनत कर रहे हैं। ऐसे नियमों और एक्ट में बदलाव से संकाय सदस्यों का मोहभंग हो जाएगा. युवा संकाय सुपर स्पेशियलिटी विभागों में शामिल नहीं होंगे.

यह भी पढ़ें: KGMU में इलाज तो बढ़िया है लेकिन इमरजेंसी में बेड मिल जाए तो शुक्र मनाना... - LUCKNOW KGMU

लखनऊ: एसजीपीजीआई एक्ट 1983 में संशोधन करने के कैबिनेट के निर्णय और मौजूदा निदेशक को तीन साल का विस्तार दिए जाने का विरोध जारी है. पीजीआई फैकल्टी फोरम के पदाधिकारियों समेत करीब 80 सीनियर डॉक्टरों ने हस्ताक्षर करके विरोध पत्र जारी किया है. डॉक्टरों का साफ तौर पर कहना है कि एसजीपीजीआई दिल्ली एम्स की तर्ज पर कार्य करता है. वहां पर निदेशक के रिटायर होने की आयु 65 साल है.

इस तरह एक्ट में बदलाव को संस्थान के डॉक्टर बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्हें मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा. कुछ डॉक्टर संस्थान भी छोड़ सकते हैं. फैकल्टी फोरम के डॉक्टरों का कहना है कि पीजीआई संस्थान के संकाय को किसी भी चर्चा, विचार-विमर्श या सूचना दिए बिना, केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए अधिनियम को बदलने के अचानक निर्णय से संस्थान के संकाय भयभीत हैं.

अधिनियम में बदलाव के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. अधिनियम में बदलाव के किसी भी प्रस्ताव को पहले संस्थान निकाय/शासी निकाय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए. फिर अनुमोदन के लिए भेजा जाना चाहिए. एसजीपीजीआई अधिनियम अत्यंत पवित्र है. संस्थान के संकाय सदस्यों से चर्चा किए बिना या यहां तक कि उन्हें सूचित किए बिना इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता है.

इस संस्थान को देश के शीर्ष रैंकिंग चिकित्सा संस्थानों में से एक बनाने के लिए डॉक्टर दिन रात मेहनत कर रहे हैं। ऐसे नियमों और एक्ट में बदलाव से संकाय सदस्यों का मोहभंग हो जाएगा. युवा संकाय सुपर स्पेशियलिटी विभागों में शामिल नहीं होंगे.

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