कोटा. देश-विदेश में अलग-अलग फील्ड में सेवाएं दे रहे 400 से ज्यादा डॉक्टरों की दो दिवसीय एल्यूमिनी मीट 'समानयन' कोटा में आयोजित हुई. इसमें साल 1990 से लेकर 2014 तक के निजी कोचिंग के स्टूडेंट रह चुके डॉक्टर्स शामिल हुए. इनमें केवल चिकित्सकीय पेशे में ही नहीं, किसी कंपनी में सीईओ, प्रशासनिक अधिकारी या अन्य सेवाओं में भी शामिल रहे छात्र भी शामिल हैं.
चुनौती और आपदाओं से लड़ाई लड़ें विद्यार्थी : समापन समारोह में स्पीकर बिरला ने कहा कि कोटा देश में एक ऐसा शहर है, जहां शिक्षा व प्रशिक्षण का एक अच्छा वातावरण है. यहां अलग-अलग राज्य का विद्यार्थी बेहतर शिक्षा और संस्कार लेता है. कोटा के लोग उन्हें परिवार की तरह रखते हैं. यहां के हॉस्टल देश में सबसे बेहतर हैं. इसीलिए बच्चे यहां पर आते हैं. कुछ विद्यार्थी चुनौती और आपदा से नहीं लड़ पाते हैं, उनको मैं कहना चाहता हूं कि वे चुनौती और आपदाओं से लड़ाई लड़ें, तभी सफलता मिलेगी. इसके लिए आत्मविश्वास चाहिए. वे संघर्ष करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी. एल्यूमिनी मीट में जो लोग कोटा आए हैं, इन सब ने यहां पढ़ रहे बच्चों को प्रेरणा भी दी है.
जिन्होंने कोटा को ब्रांड बनाया, उन्हें कोटा दिखाना था : निजी कोचिंग के निदेशक राजेश माहेश्वरी ने कहा कि साल 1988 से इंस्टीट्यूट शुरू किया था. आज एल्यूमिनी मीट के लिए इन्हें बुलाया है, यह वही बच्चे हैं, जिनकी वजह से संस्थान और कोटा का नाम हुआ है. इन्हीं ने कोटा को ब्रांड बनाया है. अब सब बड़े प्रसिद्ध डॉक्टर बन गए हैं. कोटा की फैकल्टी और कोचिंग ने उनके साथ मेहनत की. इसके बाद ही कोटा का शिक्षा के क्षेत्र में नाम हुआ है. अब ऐसा ही एक कार्यक्रम कोटा से पढ़कर इंजीनियर बने लोगों के लिए किया जाएगा.
एक असफलता पूरे जीवन को निर्धारित नहीं करती : कोटा से पढ़े और एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में सेवाएं दे रहे डॉ. मुकेश मील ने कहा कि हमारे समय पढ़ाई का इतना दबाव नहीं था. कोटा में अभी पढ़ रहे स्टूडेंट्स के लिए उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि जीवन में जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें सफलता नहीं मिल पाती. जीवन एक ही सफलता पर निर्भर नहीं होती. पेरेंट्स को भी अपने बच्चों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए. इससे पूरे जीवन की असफलता निर्धारित नहीं होती.
एल्यूमिनी मीट के अलग-अलग फंक्शन में संबोधित करते हुए डॉक्टर ने कहा कि कोटा जैसा पढ़ाई का माहौल कहीं भी नहीं है. उनकी सफलता में कोटा का काफी योगदान है. यहां के कोचिंग और फैकल्टी के गाइडेंस ने ही उनको सफलता दिलाई और उनकी दिशा बदली है. फैकल्टीज ने छात्रों पर दिन-रात मेहनत की. उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. आज भी वही डेडिकेशन कोटा के फैकल्टीज में देखने को मिलता है. कुछ डॉक्टर ने तो यह भी कह दिया कि वह अपने बच्चों को भी कोटा ही पढ़ने के लिए भेजेंगे.
कोटा में आज भी पॉजिटिव एनर्जी : दिल्ली के आएं डॉ. देवेंद्र चौधरी ने कहा कि सबसे अच्छा अहसास कोटा में आकर यह हुआ कि यहां आज भी वही ऊर्जा और सकारात्मकता है. वही टीचर्स दिखे, जिन्होंने हमें पढ़ाया था. अपनी परम्पराएं बरकरार रखे हुए हैं. अपने बैचमेट्स के साथ मिलकर उन्होंने यादें ताजा की. उन क्लासों में भी पहुंचे, जहां पर बैठकर कभी उन्होंने पढ़ाई की थी. इसके अलावा जहां पर यह पीजी में रहते थे, उनसे मिलकर भी यादें ताजा की. इसके साथ ही पुराने दोस्तों के साथ ग्रुप में खूब मस्ती भी की.
दो दिन देखा बदला हुआ कोटा : दो दिवसीय कार्यक्रम का आगाज 11 मई से हुआ. इसमें देश विदेश से ये डॉक्टर्स परिवार सहित कोटा पहुंचे. ऐसे में उन्हें बदला हुआ कोटा दिखाया है. सभी डॉक्टरों को कोटा सिटी पार्क और चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट भी दिखाया गया. इसके साथ ही सिटी पार्क के ओपन एम पी थिएटर पर संगीत व गजल संध्या का आयोजन भी किया गया था. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, कृष्णा देवी माहेश्वरी, निजी कोचिंग के निदेशक गोविंद माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, बृजेश माहेश्वरी और नवीन माहेश्वरी मौजूद थे.