भोपाल। राम को सिर्फ उन्होंने ही छू कर देखा है. राम की मूरत नहीं देखी उन्होंने राम को पोर पोर पढ़ा है और शब्द शब्द गढ़ा है. पूरे भारत में जब राम नाम की अलख जगी हुई है. जब राम की अगुवाई में द्वार सज रहे हैं, हर तरफ राम के हुंकारे वो कागज पर ऊंगलियां फिराते हैं. एक एक चौपाई राम की पढ़ते जाते हैं. राम की कथा सुनाते हैं. दिव्यांग जनों ने ब्रेल लिपि से किया अखंड रामायण का पाठ.
वो रोम रोम से बांच रहे हैं राम कथा
सुरेश ने भगवान राम की मूरत देखी नहीं है. मन में वो भगवान को बिठाते हैं. रोम रोम से बांचते हैं रामकथा और रामचरितमानस पढ़ते जाते हैं. ये देश में अपनी तरहकी पहली रामकथा होगी, जहां दिव्यांग जन ब्रेल लिपि से राम को भज रहे हैं. एक साथ 108 दिव्यांग जन रामचरितमानस का पाठ ब्रेल लिपि में कर रहे हैं. कागज पर एक एक 108 दिव्यांग जन एक साथ ब्रेल लिपि में राम की चौपाईयां पढ़कर सुरमयी रामायण सुना रहे हैं. दिव्यांग सुरेश कहते हैं राम को देखा तो नहीं, पर रामचरितमानस को पढ़ने के साथ उनका पूरा चरित्र हमारी आंखों में आ जाता है. कई हिस्से हमें कंठस्थ हैं, लेकिन जहां नहीं है ब्रेल लिपि में रामायण पढ़ते जाते हैं कि अखंड पाठ कहीं टूटे नहीं.
जिसने मन की आंखों से देखा वो सुना रहे रामायण
बीजेपी मुख्यालय में 21 जनवरी से शुरु हुआ अखंड रामायण का ये पाठ 22 जनवरी तक ठीक उस समय तक चलेगा, जब अयोध्या में भगवान राम विराजेंगे. इस आयोजन की परिकल्पना करने वाले बीजेपी के प्रदेश कार्यालय मंत्री राघवेन्द्र सिंह ईटीवी भारत से बातचीत में बताते हैं, हमारी सोच ये थी कि भगवान राम का सुमिरन तो हम सब कर रहे हैं, लेकिन जिन्होंने राम को देखा नहीं, लेकिन असल में जिन्होंने अपनी मन की आंखों से राम का चेहरा उतारा है. वो राम की कथा बांचेंगे तो प्रभु की स्तुति का अर्थ कुछ और होगा आनंद कुछ और होगा. बहुत कुछ विशेष है इस आयोजन में अखंड रामायण का पाठ एक साथ 108 दिव्यांग कर रहे हैं. इसमें पूरे प्रदेश से दिव्यांगजनों को आमंत्रित किया गया है.
यहां पढ़ें... |
देहरादून से आर्डर पर बुलवाई ब्रेल लिप में लिखी रामायण
इस आयोजन के लिए खासतौर पर देहरादून से आर्डर करके ब्रेल लिपि में 108 रामचरितमानस तैयार की गई. बीजेपी के कार्यालय मंत्री राघवेन्द्र सिंह बताते हैं कि सबसे बड़ी मुश्किल ही यही थी कि दिव्यांग जनों को ब्रेल में रामचरितमानस उपलब्ध हो सके. तो केवल इसी आयोजन के लिए हमने 108 रामचरितमानस देहरादून से ब्रेल लिपि मेंतैयार करके बुलवाई.