कोटा. कांग्रेस के बीते शासन काल में विधानसभा के जरिए कोटा नगर विकास न्यास (युआईटी) को कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी (केडीए) बना दिया. लोकसभा चुनाव के आचार संहिता के पहले 10 मार्च 2024 को केडीए कमिश्नर के पद पर भी आईएएस अधिकारी अभिषेक खन्ना की नियुक्ति कर दी थी, लेकिन आनन फानन में एक दिन बाद ही उन्हें भी हटा दिया था.
इसके बाद यह पद खाली था, आचार संहिता हटने के बाद सरकार ने जून महीने के पहले सप्ताह में ही आदेश जारी करते हुए कोटा की संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया को केडीए के कि अध्यक्ष का भी अतिरिक्त कार्यभार दे दिया. इसके बाद आज फिर एक आदेश राज्य सरकार ने राज्यपाल की अनुमति के बाद जारी किया है. कार्मिक विभाग की ओर से जारी किए गए इस आदेश के अनुसार कोटा जिला कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी को कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी का कमिश्नर नियुक्त किया है. ऐसे में जिला कलेक्टर डॉ. गोस्वामी दोहरी जिम्मेदारी संभालेंगे.
केडीए में शामिल गांव का हो रहा है विरोध: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के साथ अन्य भाजपा नेताओं और यहां तक की तत्कालीन कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने भी इसका विरोध किया था. कोटा जिले के साथ-साथ बूंदी जिले के भी गांव केडीए में शामिल किए गए हैं. ऐसे में इसका विरोध करने वाले नेताओं का कहना था कि गुपचुप तरीके से इसके पूरे ड्राफ्ट को तैयार किया गया है. इसमें आम लोगों से राय नहीं ली गई.
केडीए बनने के बाद नहीं मिला स्टाफ: कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी को तो बीती सरकार बनाकर चली गई थी, लेकिन अभी तक स्टाफ नहीं मिला है. यूआईटी के कार्मिकों के जरिए ही अभी तक काम चल रहा है. जबकि केडीए के लिए यूआईटी से तीन गुना स्टाफ चाहिए. इसमें कोटा जिले की कैथून नगर पालिका, लाडपुरा पंचायत समिति व तालेड़ा बूंदी जिले की तालेड़ा पंचायत समिति के कई गांव को शामिल किया गया है.