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प्रयागराज महाकुंभ 2025; सबसे पहले शाही स्नान करने को लेकर दो अखाड़ों में तनातनी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने की मांग, पंचायती अखाड़ा ने कहा-परंपरा न बदला जाए तो बेहतर होगा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

महंत रवींद्र पुरी और महंत यमुना पुरी.
महंत रवींद्र पुरी और महंत यमुना पुरी. (Etv Bharat)

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में शाही स्नान को लेकर अखाड़ों के बीच मतभेद की स्थिति बन रही है. क्योंकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरि का कहना है कि सबसे पहले स्नान उनके अखाड़े के साधु-संतों को करने दिया जाए. वहीं, दूसरी तरफ श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी का कहना है कि जो परपंरा चली आ रही है, वही चलेगी. उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. अभी तक महाकुम्भ में शाही स्नान का मौका महानिर्वाणी अखाड़े को सबसे पहले मिलता है.


जूना अखाड़ा में संतों की सबसे ज्यादा संख्याः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि जूना अखाड़ा शैव परम्परा के अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा है. इसलिए उसे सबसे आगे स्नान करने का मौका दिया जाना चाहिए. अखाड़ों की रजामंदी से वो इस प्रस्ताव को अगली बैठक में सभी दूसरे अखाड़ों से भी पास करवा लेंगे. महंत रवींद्र पुरी का तर्क है कि जूना अखाड़े में ज्यादा साधु संतों के होने की वजह से अगर वह पीछे रहता है तो आगे रहने वाले साधु संतों पर दबाव होता है, उनको धक्का लगता है. अगर जूना अखाड़ा पहले शाही स्नान कर लेगा तो इससे बाकी बचे हुए अखाड़ों को कोई समस्या नहीं होगी. इसके बाद बाकी सभी अखाड़े अपने क्रम पर आकर शाही स्नान कर लेंगे. जूना अखाड़ा न केवल सबसे बड़ा अखाड़ा है बल्कि उसके साथ किन्नर और कई अन्य अखाड़े भी जुड़े रहते हैं और साथ में स्नान करते हैं.

जूना अखाड़ा और श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में विवाद की स्थिति. (Video Credit; ETV Bharat)

परंपरा में बदलाव न किया जाए तो बेहतरः वहीं, शाही स्नान का क्रम बदले जाने को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने विरोध किया है. उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी के प्रस्ताव के जवाब में दो टूक कहा है कि अखाड़े के शाही स्नान का क्रम संख्या बल से नहीं बल्कि परंपरा के आधार पर तय होता है. प्रयागराज कुंभ और महाकुंभ में सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के शाही स्नान की परंपरा रही है. जबकि हरिद्वार में निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है.उज्जैन और नासिक में जूना अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता रहा है. मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर अखाड़ों का शाही स्नान होता है. इसलिए शाही स्नान के क्रम में किसी तरह के बदलाव को महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी कभी स्वीकार नहीं करेंगे. परंपराओं के साथ छेड़छाड़ नह किया जाए तो ही बेहतर होगा.

अभी शाही स्नान का क्या है क्रम?
बता दें कि 2019 के कुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले शाही स्नान किया था. जबकि श्री पंचायती अटल अखाड़ा भी मौजूद था. दूसरे नंबर पर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा ने शाही स्नान किया था. इसके बाद श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदश नाम आवाहन अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े ने एक साथ शाही स्नान किया था. चौथे नंबर पर बैरागी अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम शुरू हुआ था. जिसमें सबसे पहले अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने स्नान किया था. इसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़े ने स्नान किया था. सबसे अंत में उदासीन अखाड़े ने शाही स्नान किया था. इसमें पहले श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन,उसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने शाही स्नान किया था.

इसे भी पढ़ें-महाकुंभ 2025; शाही स्नान और पेशवाई का नाम बदलेगा, अखाड़ा परिषद ने दी हरी झंडी

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में शाही स्नान को लेकर अखाड़ों के बीच मतभेद की स्थिति बन रही है. क्योंकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरि का कहना है कि सबसे पहले स्नान उनके अखाड़े के साधु-संतों को करने दिया जाए. वहीं, दूसरी तरफ श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी का कहना है कि जो परपंरा चली आ रही है, वही चलेगी. उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. अभी तक महाकुम्भ में शाही स्नान का मौका महानिर्वाणी अखाड़े को सबसे पहले मिलता है.


जूना अखाड़ा में संतों की सबसे ज्यादा संख्याः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि जूना अखाड़ा शैव परम्परा के अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा है. इसलिए उसे सबसे आगे स्नान करने का मौका दिया जाना चाहिए. अखाड़ों की रजामंदी से वो इस प्रस्ताव को अगली बैठक में सभी दूसरे अखाड़ों से भी पास करवा लेंगे. महंत रवींद्र पुरी का तर्क है कि जूना अखाड़े में ज्यादा साधु संतों के होने की वजह से अगर वह पीछे रहता है तो आगे रहने वाले साधु संतों पर दबाव होता है, उनको धक्का लगता है. अगर जूना अखाड़ा पहले शाही स्नान कर लेगा तो इससे बाकी बचे हुए अखाड़ों को कोई समस्या नहीं होगी. इसके बाद बाकी सभी अखाड़े अपने क्रम पर आकर शाही स्नान कर लेंगे. जूना अखाड़ा न केवल सबसे बड़ा अखाड़ा है बल्कि उसके साथ किन्नर और कई अन्य अखाड़े भी जुड़े रहते हैं और साथ में स्नान करते हैं.

जूना अखाड़ा और श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में विवाद की स्थिति. (Video Credit; ETV Bharat)

परंपरा में बदलाव न किया जाए तो बेहतरः वहीं, शाही स्नान का क्रम बदले जाने को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने विरोध किया है. उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी के प्रस्ताव के जवाब में दो टूक कहा है कि अखाड़े के शाही स्नान का क्रम संख्या बल से नहीं बल्कि परंपरा के आधार पर तय होता है. प्रयागराज कुंभ और महाकुंभ में सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के शाही स्नान की परंपरा रही है. जबकि हरिद्वार में निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है.उज्जैन और नासिक में जूना अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता रहा है. मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर अखाड़ों का शाही स्नान होता है. इसलिए शाही स्नान के क्रम में किसी तरह के बदलाव को महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी कभी स्वीकार नहीं करेंगे. परंपराओं के साथ छेड़छाड़ नह किया जाए तो ही बेहतर होगा.

अभी शाही स्नान का क्या है क्रम?
बता दें कि 2019 के कुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले शाही स्नान किया था. जबकि श्री पंचायती अटल अखाड़ा भी मौजूद था. दूसरे नंबर पर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा ने शाही स्नान किया था. इसके बाद श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदश नाम आवाहन अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े ने एक साथ शाही स्नान किया था. चौथे नंबर पर बैरागी अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम शुरू हुआ था. जिसमें सबसे पहले अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने स्नान किया था. इसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़े ने स्नान किया था. सबसे अंत में उदासीन अखाड़े ने शाही स्नान किया था. इसमें पहले श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन,उसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने शाही स्नान किया था.

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