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महाकुंभ 2025 के पहले महंतों में छिड़ी रार; महंत रघुमुनि ने अपने ही अखाड़े के महंतों पर लगाया गंभीर आरोप - Mahakumbh 2025

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 4:42 PM IST

संगम नगरी प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ से पहले ही अखाड़ों में विवाद शुरू हो गया है.पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्री महंत रघुमुनि ने नियम के विपरीत उन्हें अखाड़े से निकालने का आरोप लगाया है.

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श्रीमहंत रघुमुनि जी. (Etv Bharat)

प्रयागराजः जनवरी 2025 में महाकुंभ शुरू होने से पहले ही साधु संतों के बीच आपसी रार शुरू हो गए हैं.गद्दी को लेकर अखाड़े के शीर्ष पदों पर बैठे हुए श्रीमहंत पद पर आसीन महात्मा एक दूसरे पर गबन धोखाधड़ी और फ्रॉड के साथ जान से मारने की धमकी देने साजिश रचने जैसे गम्भीर आरोप लगा रहे हैं. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के पश्चिम पद्धत के श्रीमहंत रघुमुनि जी कहना है कि अखाड़े के नियमों के मुताबिक इस कुम्भ का आयोजन उनकी देखरेख में होना है. जिससे उन्हें रोकने के लिये श्रीमहंत दुर्गादास और अन्य लोगों ने मिलकर साजिश रची है. आरोप है कि श्रीमहंत दुर्गादास और व्यासमुनि व अन्य लोगों ने मिलकर कुम्भ का बजट डेढ़ करोड़ का बनाया है. इसी वजह से उन्हें पद से हटाकर रकम हड़पने की साजिश रची गयी है. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संविधान के मुताबिक पंच परमेश्वर एक संस्था है और महाकुंभ कराने की जिम्मेदारी बारी बारी से अखाड़े के श्री महंत को दिए जाने की परंपरा रही है. इस बार यह जिम्मेदारी उन्हें मिलनी है, जिससे उन्हें रोकने के लिए यह सब साजिश की गयी है. वहीं, दूसरे पक्ष के संतों ने इन सभी आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताते हुए सभी कार्रवाई को सही बताया है.

महाकुम्भ से पहले सतह पर आयी लड़ाई
बता दें कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों का गठन किया गया था. इस वक्त देश में कुल 13 अखाड़े हैं जिनको धार्मिक मान्यता मिली हुई है. इसमें से एक पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन है. इस अखाड़े की व्यवस्था संभालने के लिए चारों दिशाओं के एक एक श्रीमहंत हैं. जिसमें से पश्चिम पद्धत के श्री महंत रघुमुनि जी महाराज हैं. महंत रघुमुनि ने मीडिया के सामने आकर आरोप लगाया है कि उन्हें साजिश के तहत धोखाधड़ी करके 2023 में अन्य संतों के साथ अखाड़े से निकाला दिया गया है. पिछले कुम्भ में भी इन्हीं लोगों ने आर्थिक गड़बड़ियां की थी, जिसको लेकर जांच की मांग की गयी थी. 2025 के कुम्भ मेला का आयोजन उनकी अगुवाई में होना तय था. इसी कारण साजिश के तहत झूठी बैठक बुलाकर उन्हें ,सचिव अग्रदास महाराज और हरिद्वार कनखल के कोषाध्यक्ष मोकामी महंत दामोदर दास को अखाड़े से ही निष्काषित कर दिया गया.

थाने से लेकर कोर्ट तक में चल रही है लड़ाई
श्रीमहंत रघुमुनि ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ सोसायटी ऑफिस के साथ ही न्यायालय में उस फैसले के खिलाफ अपील कर दी. रघुमुनि ने आरोप लगाया कि जालसाजी करके उन्हें नियमों के विपरीत पद और अखाड़े से हटाया गया है. इसी बीच अग्रदास की तरफ से प्रयागराज के कीडगंज थाने में 156 (3) के तहत केस दर्ज करवाया गया है. जिसमें अखाड़े के श्रीमहंत दुर्गादास दक्षिण पद्धत, मुकामी महंत व्यासमुनि, मुकामी महंत गोविंद दास, मुकामी महंत प्रेमदास और अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर कीडगंज थाने की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू कर दी है.


सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया
वहीं, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के सचिव महंत व्यासमुनि महाराज का कहना है कि श्रीमहंत रघुमुनि जी महाराज पर गंभीर आरोप लगे हैं.उनपर जमीन का कारोबार करने का आरोप लगा है. जिस कारण उन्हें अखाड़े के नियमों के विपरीत आचरण व्यवहार करने के आरोप में उन्हें और तीन लोगों को अखाड़े से निकाल दिया गया है. क्योंकि किसी भी अखाड़े से जुड़ने के बाद उस अखाड़े के नियमों का पालन करना पड़ता है. अखाड़े के नियमों को तोड़ने वाले महात्माओं को पंच परमेश्वर और संतों की राय के बाद नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाती है. श्री महंत रहे रघुमुनि जी जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह सभी बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं. उनके आरोपों को लेकर कोर्ट में भी मामला चल रहा है. सारे साक्ष्य कोर्ट में लगाए जा चुके हैं. कोर्ट का फैसला उनके ही पक्ष में आएगा. इसी वजह से बौखलाकर श्रीमहंत अन्य संतो पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं.

प्रयागराजः जनवरी 2025 में महाकुंभ शुरू होने से पहले ही साधु संतों के बीच आपसी रार शुरू हो गए हैं.गद्दी को लेकर अखाड़े के शीर्ष पदों पर बैठे हुए श्रीमहंत पद पर आसीन महात्मा एक दूसरे पर गबन धोखाधड़ी और फ्रॉड के साथ जान से मारने की धमकी देने साजिश रचने जैसे गम्भीर आरोप लगा रहे हैं. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के पश्चिम पद्धत के श्रीमहंत रघुमुनि जी कहना है कि अखाड़े के नियमों के मुताबिक इस कुम्भ का आयोजन उनकी देखरेख में होना है. जिससे उन्हें रोकने के लिये श्रीमहंत दुर्गादास और अन्य लोगों ने मिलकर साजिश रची है. आरोप है कि श्रीमहंत दुर्गादास और व्यासमुनि व अन्य लोगों ने मिलकर कुम्भ का बजट डेढ़ करोड़ का बनाया है. इसी वजह से उन्हें पद से हटाकर रकम हड़पने की साजिश रची गयी है. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संविधान के मुताबिक पंच परमेश्वर एक संस्था है और महाकुंभ कराने की जिम्मेदारी बारी बारी से अखाड़े के श्री महंत को दिए जाने की परंपरा रही है. इस बार यह जिम्मेदारी उन्हें मिलनी है, जिससे उन्हें रोकने के लिए यह सब साजिश की गयी है. वहीं, दूसरे पक्ष के संतों ने इन सभी आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताते हुए सभी कार्रवाई को सही बताया है.

महाकुम्भ से पहले सतह पर आयी लड़ाई
बता दें कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों का गठन किया गया था. इस वक्त देश में कुल 13 अखाड़े हैं जिनको धार्मिक मान्यता मिली हुई है. इसमें से एक पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन है. इस अखाड़े की व्यवस्था संभालने के लिए चारों दिशाओं के एक एक श्रीमहंत हैं. जिसमें से पश्चिम पद्धत के श्री महंत रघुमुनि जी महाराज हैं. महंत रघुमुनि ने मीडिया के सामने आकर आरोप लगाया है कि उन्हें साजिश के तहत धोखाधड़ी करके 2023 में अन्य संतों के साथ अखाड़े से निकाला दिया गया है. पिछले कुम्भ में भी इन्हीं लोगों ने आर्थिक गड़बड़ियां की थी, जिसको लेकर जांच की मांग की गयी थी. 2025 के कुम्भ मेला का आयोजन उनकी अगुवाई में होना तय था. इसी कारण साजिश के तहत झूठी बैठक बुलाकर उन्हें ,सचिव अग्रदास महाराज और हरिद्वार कनखल के कोषाध्यक्ष मोकामी महंत दामोदर दास को अखाड़े से ही निष्काषित कर दिया गया.

थाने से लेकर कोर्ट तक में चल रही है लड़ाई
श्रीमहंत रघुमुनि ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ सोसायटी ऑफिस के साथ ही न्यायालय में उस फैसले के खिलाफ अपील कर दी. रघुमुनि ने आरोप लगाया कि जालसाजी करके उन्हें नियमों के विपरीत पद और अखाड़े से हटाया गया है. इसी बीच अग्रदास की तरफ से प्रयागराज के कीडगंज थाने में 156 (3) के तहत केस दर्ज करवाया गया है. जिसमें अखाड़े के श्रीमहंत दुर्गादास दक्षिण पद्धत, मुकामी महंत व्यासमुनि, मुकामी महंत गोविंद दास, मुकामी महंत प्रेमदास और अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर कीडगंज थाने की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू कर दी है.


सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया
वहीं, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के सचिव महंत व्यासमुनि महाराज का कहना है कि श्रीमहंत रघुमुनि जी महाराज पर गंभीर आरोप लगे हैं.उनपर जमीन का कारोबार करने का आरोप लगा है. जिस कारण उन्हें अखाड़े के नियमों के विपरीत आचरण व्यवहार करने के आरोप में उन्हें और तीन लोगों को अखाड़े से निकाल दिया गया है. क्योंकि किसी भी अखाड़े से जुड़ने के बाद उस अखाड़े के नियमों का पालन करना पड़ता है. अखाड़े के नियमों को तोड़ने वाले महात्माओं को पंच परमेश्वर और संतों की राय के बाद नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाती है. श्री महंत रहे रघुमुनि जी जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह सभी बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं. उनके आरोपों को लेकर कोर्ट में भी मामला चल रहा है. सारे साक्ष्य कोर्ट में लगाए जा चुके हैं. कोर्ट का फैसला उनके ही पक्ष में आएगा. इसी वजह से बौखलाकर श्रीमहंत अन्य संतो पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं.

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