जयपुर : राजस्थान की लाइफ लाइन कहा जाने वाला जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल धीरे-धीरे जर्जर अवस्था में पहुंच रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बारिश के समय अस्पताल में फॉल सीलिंग गिरना एक आम समस्या हो गई है. इसके साथ ही अब अस्पताल को मेंटेन करना काफी मुश्किल होता जा रहा है. देश की आजादी से पहले शुरू होने वाला यह अस्पताल लगभग अपने 8 दशक पूरे कर चुका है. अब तक करोड़ों लोगों का इलाज इस अस्पताल में हुआ है, लेकिन अब इस अस्पताल की बिल्डिंग को ही इलाज की जरूरत महसूस हो रही है. बारिश के समय फॉल सीलिंग गिरने के अलावा अस्पताल में पानी भी भर जाता है. सामान्य वार्ड के साथ-साथ आईसीयू के मरीजों को भी शिफ्ट करना पड़ता है. अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन इस पुरानी जर्जर हो चुकी बिल्डिंग को डिमोलिश करने पर मंथन कर रहा है. इसके लिए एक पत्र भी सरकार को भेजा गया है.
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर दीपक माहेश्वरी का कहना है कि बिल्डिंग लगभग 88 साल पुरानी हो चुकी है. आए दिन अस्पताल की बिल्डिंग में टूट-फूट होती रहती है. ऐसे में हमारी कोशिश है कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. अस्पताल की बिल्डिंग को मेंटेनेंस से जुड़ी कई परेशानियां सामने आ रही हैं. हम उसे सही करने में लगे रहते हैं. हालांकि, यह परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है. ऐसे में इस बिल्डिंग की जगह दूसरी बिल्डिंग खड़ी की जाए, इसे लेकर कई बार मंथन हुआ है. अब एक बार फिर से सरकार को इस बारे में पत्र लिखा गया है.
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क्या वैकल्पिक इंतजाम : यदि एसएमएस अस्पताल की बिल्डिंग को गिराकर नई बिल्डिंग बनाई जाती है, तो सबसे बड़ा सवाल उठता है कि मरीजों को कहा शिफ्ट किया जाएगा. इसे लेकर डॉक्टर दीपक माहेश्वरी का कहना है कि अस्पताल में जल्द ही आईपीडी टावर और कार्डियक सेंटर शुरू होने जा रहा है. आईपीडी टावर की क्षमता लगभग 1100 बेड की है. ऐसे में यदि बिल्डिंग को गिराकर नई बिल्डिंग बनाई जाती है, तो अस्पताल में भर्ती मरीजों को आईपीडी टावर में शिफ्ट किया जा सकता है. इसके अलावा कार्डियक सेंटर में भी मरीज को इलाज मिल सकता है, जबकि एक्सीडेंटल केस के लिए ट्रॉमा सेंटर और यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी के लिए अलग से सुपर स्पेशलिटी सेंटर पहले से ही काम कर रहा है.
SMS अस्पताल की क्षमता और इतिहास : मौजूदा समय में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें तो यह राजस्थान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. यहां लगभग 300 से अधिक चिकित्सक और करीब 700 से अधिक नर्सिंग स्टाफ मौजूद है. इसके अलावा अस्पताल के इलाज की क्षमता 6000 बेड की है. इसमें कुल 43 वार्ड हैं. वहीं, सवाई मानसिंह अस्पताल के इतिहास की बात की जाए तो इस बिल्डिंग का निर्माण 1934 में शुरू हुआ था और मिर्जा स्माइल ने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था. 11 मार्च 1936 को अस्पताल की शुरुआत हुई थी. जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के नाम पर इस अस्पताल का नाम रखा गया और एक अंग्रेज अधिकारी ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया. तब से लेकर अब तक करोड़ों लोग इस अस्पताल में अपना इलाज करवा चुके हैं. राजस्थान से ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों के मरीज भी अपना इलाज करवाने इस अस्पताल में पहुंचते हैं.
एमएनआईटी की टीम ने किया था सर्वे : डॉ दीपक माहेश्वरी का कहना है कि हाल ही में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की ओर से एमएनआईटी की टीम को सर्वे के लिए बुलाया था और एमएनआईटी की टीम ने इस बिल्डिंग को जर्जर करार दिया था. डॉ महेश्वरी का कहना है कि ऐसे में इस बिल्डिंग को नए सिरे से रिनोवेट करना ही पहला उपाय है.