दुर्ग : छत्तीसगढ़ की दिव्यांग शिक्षिका पांच सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों सम्मानित होंगी. दुर्ग के खेदामारा की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला की दिव्यांग शिक्षिका के. शारदा ने छात्रों के जीवन में बदलाव लाया है.के.शारदा प्रदेश की ऐसी पहली दिव्यांग शिक्षिका बनेंगी जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार देंगी. इसके लिए सेंट्रल मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन की ओर से के.शारदा को आमंत्रण मिला है.
कौन हैं के.शारदा ?: दिव्यांग शिक्षिका के शारदा खेदामारा की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में मूल रूप से गणित की शिक्षिका हैं. उन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनाया. के शारदा ने बताया कि वो अपनी स्कूली शिक्षा में जरूर पीछे रह गई. लेकिन टीचर बनने के बाद अपने विद्यार्थियों को नई तकनीक से पढ़ाने के लिए शुरू से ही नवाचार लाने पर जोर दिया.
शिक्षा के लिए जीवन समर्पित : के शारदा ने ऑडियो,वीडियो बुक्स, ई कंटेंट, PDF का 2 हजार से ज्यादा संग्रह कर खेल खेल में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. इसके कारण स्कूल के बच्चों को आसानी से पाठ्यक्रम समझ में आने लगा. गणित, सोशल,G.K.,ओरल साइंस,नैतिक शिक्षा जैसे 20 अलग-अलग विषयों पर किताब लिखी. नैतिक शिक्षा पर 50 कहानियों को बहुभाषा में पिरोया. जिसमें हिंदी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी हल्बी भाषा शामिल है. आज उन्हें खुशी है कि राष्ट्रपति से उनका सम्मान होने जा रहा है.
राज्य शिक्षक सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं के.शारदा : वर्ष 2023 में शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में 52 शिक्षकों को सम्मानित किया गया. जिसमें के शारदा भी इस शिक्षक सम्मान की हकदार बनीं. जिन्हें तत्कालीन राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने सम्मान दिया. के शारदा बचपन से ही पोलियो से पीड़ित थी.लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.इस दौरान उन्होंने बच्चों को पढ़ाना जारी रखा. के शारदा बैखासी के सहारे चलती हैं. कोरोनाकाल में अपनी खुद की वेबसाइट बनाकर उन्होंने वीडियो अपलोड करके बच्चों को शिक्षा दिया.
परिवार ने हर कदम पर बढ़ाया हौंसला : के. शारदा के दिव्यांग होने पर भी उसके माता पिता,और भाई ने कभी भी उसकी पढ़ाई या उसकी इच्छा पर रोक टोक नही किया. इसके कारण उनका हौंसला बढ़ता गया. के शारदा की मां सावित्री ने बताया कि बेटी के राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिलने पर बहुत खुशी है. के शारदा के भाई ने बताया कि कई बार वो अपनी बहन को कंधों में बिठाकर स्कूल लेकर जाते थे.
हमारे देश में प्राचीन समय से गुरुओं के आदर सत्कार और सम्मान की परंपरा रही है.इसलिए हर साल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शिक्षक दिवस पर प्रतिभावान शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है. ये वो शिक्षक होते हैं जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और परिश्रम से विद्यालयों में ना सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया.बल्कि छात्रों के जीवन को भी बेहतर बनाने के लिए नवाचार किया है. के शारदा भी उन्हीं में से एक है.