देहरादून: उत्तराखंड के चारधामों में दो धाम बदरीनाथ और केदारनाथ किसी न किसी कारण से अक्सर चर्चाओं में रहते हैं. कई बार विवाद के बीच सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है. इस बार मामला बदरीनाथ धाम से जुड़ा है. यहां डिमरी समाज ने अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोला है. हालांकि, इस विवाद पर बीकेटीसी अध्यक्ष का बयान भी आया है. उनका कहना कि विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.
दरअसल, इस बार डिमरी समाज के अंदर नाराजगी दिखाई दे रही है. हालांकि, नाराजगी किस बात को लेकर है ये बताने से पहले हम आपको डिमरी समाज के बारे में बताते हैं, तभी आप इस नए विवाद को सही से समझ पाएंगे.
दक्षिण भारत से डिमरी समाज का कनेक्शन: डिमरी समाज का इतिहास दक्षिण भारत से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान आदि शंकराचार्य जब बदरीनाथ में आए तो वो अपने साथ डिमरी समाज के लोगों को लेकर आए थे. उसके बाद डिमरी समाज के लोग यहीं पर रह गए. बदरीनाथ क्षेत्र में डिमरी समाज के करीब 25 गांव हैं. इतना ही नहीं, बदरीनाथ में भगवान विष्णु के भोग प्रसाद बनाने का कार्य हमेशा से डिमरी समाज ही करता रहा है.
डिमरी समाज के तीर्थ पुरोहितों का बड़ा योगदान: बदरीनाथ के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभी कार्य भी डिमरी समाज के पुजारी ही करते हैं. बदरी-केदार मंदिर समिति में भी डिमरी समाज का प्रतिनिधित्व होता है. यानी बदरीनाथ के रावल साथ पूजा पाठ में डिमरी समाज के तीर्थ पुरोहितों का बड़ा योगदान होता है.
जानें विवाद की असल वजह: अब डिमरी पंचायत के लोग बदरीनाथ धाम के मुख्य मंदिर के बाहर खड़े होकर बीते कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन बदरी-केदार मंदिर समिति के खिलाफ है. दरअसल, डिमरी समाज का कहना कि बदरी-केदार मंदिर समिति की सेवा नियमावली में बदरीनाथ धाम के पुजारी पदों पर सीधी भर्ती का प्रावधान किया जा रहा है. साथ ही आरोप है कि बदरी-केदार मंदिर समिति लगातार नियमावली से छेड़छाड़ कर रही है.
पुजारी के पदों पर सीधी भर्ती का विरोध: इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डिमरी पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि शंकराचार्य जी के समय से ही बदरीनाथ धाम में पूजा-पाठ की कुछ व्यवस्थाएं बनी हुई हैं, जो सनातन धर्म के हिसाब से बनाई गई हैं. अभीतक बदरीनाथ धाम में पुजारी के पदों पर सीधी भर्ती का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन अब इसमें बदलाव किया जा रहा है. नियमों में इस बदलाव का सीधा मतलब डिमरी समाज को दरकिनार करना है. बदरी-केदार मंदिर समिति के दो सदस्य भी डिमरी समाज से ही आते हैं.
डिमरी समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर अपना विरोध जताया है. साथ ही उन्होंने साफ किया है कि परंपराओं में किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाए. इसके अलावा डिमरी समाज का आरोप है कि बीकेटीसी अध्यक्ष ने समिति के सदस्यों को विश्वास में लिए बिना प्रस्ताव पास कर दिए.
वहीं, बदरीनाथ धाम के पूर्व रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने बताया कि रावल और डिमरी समाज को बदरीनाथ समेत सहवर्ती मंदिरों में पूजा करने और भोग बनाने का अधिकार आदि जगद्गुरु शंकराचार्य के समय से ही चला आ रहा है, जिसे नहीं बदला जाना चाहिए.
इसके अलावा पूर्व धर्मधिकारी आचार्य जगदंबा प्रसाद सती, चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी, उत्तरकाशी काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत अजय पुरी और आसपास की तमाम ग्राम पंचायतें भी डिमरी समाज के साथ खड़ी हुई नजर आ रही हैं. सभी इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं.
बीकेटीसी अध्यक्ष का बयान: उधर, डिमरी समाज के विरोध पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने डिमरी समाज के इस विरोध को बेवजह बताया है. अजेंद्र अजय का कहना है कि ये विवाद वो लोग खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं, जिनके खिलाफ पहले से जांच चल रही है. रही बात नियमवाली में परिवर्तन की तो धार्मिक मान्यता और परंपरा के अनुसार नियुक्ति के मामले को बोर्ड बैठक में पास किया है. बैठक में सभी पदाधिकारी मौजूद थे. हाल ही में रावल की नियुक्त हुई है, वो भी पूरी पारदर्शी से हुई है. सभी ने उसका स्वागत किया.
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