कोरिया : जिले में अब धान के फसल की कटाई शुरू हो चुकी हैं. इसके बाद किसान अपनी खेतों में गेहूं फसल की उपज करने की तैयारी में लग जाएंगे. लेकिन धान की फसल की तरह गेहूं की फसल भगवान के भरोसे नहीं किया जा सकती. गेहूं की फसल के लिए पर्याप्त सिंचाई की जरुरत होती है.कोरिया जिले के बैकुंठपुर क्षेत्र में सिंचाई के सुविधा बनाने के लिए दो बड़े बांध झुमका जलाशय और गेज बांध का निर्माण कराया गया था. जिससे निकलने वाली नहर से किसान गेहूं की फसल की उपज आसानी से कर लेता था. लेकिन जल संसाधन विभाग की वर्षों से हो रही लापरवाही के कारण अब इन दोनों बांधों से निकलने वाली नहरों का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है.
बात करें झुमका जलाशय से निकलने वाली नहर की तो झुमका जलाशय से निकली नहर मझगांव ग्राम से नरकेली ग्राम तक तो सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी पहुंच जाता है. लेकिन जब ये नहर थोड़ी से आगे नरसिंहपुर ग्राम तक सिंचाई का पानी पहुंचाने में कुछ वर्षों से पूरी तरह नाकाम साबित हो रही.इसी तरह नरकेली ग्राम में भी कई जगह इस नहर का अस्तित्व खत्म हो चुका है. नहर क्षेत्र में पक्के भवन का निर्माण हो चुका है. जिसके कारण झुमका जलाशय से निकलने वाली नहर का अस्तित्व धीरे धीरे खत्म होने के कगार पर हैं.वहीं इस बारे में अधिकारियों से पूछने पर उन्होंने नहर की मरम्मत और अतिक्रमण मुक्त करने की बात कही है.
कही जगहों से नहर टूटी : कई जगहों पर नहर अदृश्य हो चुकी है. वहीं कई जगहों पर नहर के ऊपर ही भवन का निर्माण देखने को मिल जाएगा. नहर के बैंक में बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं. ऐसे में नहरों की सफाई की सख्त जरुरत है.
अभी बारिश के मौसम के कारण नहरों में कचरा हो गया है जिसकी सफाई कराई जा रही है. वहीं जिन जगहों पर नहर में अतिक्रमण किया है उन्हें नोटिस दिया जा चुका है- बीके त्रिपाठी, अनुविभागीय अधिकारी, जल संसाधन विभाग
आपको बता दें कि इन नहरों के रखरखाव के लिए बड़ी रकम विभाग ने खर्च किया जाता हैं. साल दर साल इन नहरों का रकबा घटने से इस क्षेत्र में गेहूं की फसल की उपज के रकबे में भी कमी देखने को मिल रही है. कई जगह के किसान नहर से सिंचाई के भरोसे गेहूं की खेती करना लगभग छोड़ ही चुके हैं.