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बिहार में JDU को इन सीटों पर जिताऊ चेहरों की तलाश, जानिए किन किन सीटों पर मचेगा घमासान - बिहार में एनडीए

Lok Sabha Election 2024: बिहार में लोकसभा की 40 सीटों को लेकर एनडीए में पेंच अभी तक फंसा है. बीजेपी ने झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की अधिकांश सीटों पर घोषणा कर दी है लेकिन बिहार में अभी एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा ही नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि जदयू और भाजपा अपने जिताउ उम्मीदवार को लेकर रणनीति बनाने में लगी है.

बिहार में NDA
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 5, 2024, 9:02 AM IST

Updated : Mar 5, 2024, 9:18 AM IST

पटनाः बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में अभी सब कुछ साफ नहीं है. गठबंधन में सीट बंटवारे पर जो देरी हो रही है, उससे साफ लग रहा है कि सहयोगियों के बीच तालमेल बैठाना काफी मुश्किल हो रहा है या यूं कहें कि जदयू और भाजपा अपने जिताउ उम्मीदवार को लेकर रणनीति बनाने में लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है कुछ सीट उन्हें अपने सहयोगियों के लिए छोड़ना भी पड़ सकता है और कुछ सीट बदलनी भी पड़ सकती है.

एनडीए में सीटों का बंटवारा है पेचीदाः 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू ने 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 16 सीटों पर जीत मिली थी. केवल किशनगंज सीट जदयू ने हारी थी, जिस पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी. 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए में जदयू, बीजेपी और लोजपा ही शामिल थे, लेकिन अब लोजपा दो गुटों में बंट चुका है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी आ गए हैं. यानी कुल छह दल एनडीए में अब हो चुके हैं. इस कारण भी एनडीए में बिहार में 40 सीटों का बंटवारा थोड़ा सा पेचीदा हो गया है.

कई सीटों पर बीजेपी का नए चेहरे पर दांव: ऐसे बीजेपी इस बार 17 सीटिंग सीट से अधिक पर चुनाव लड़ना चाहती है तो वहीं जदयू को कुछ सीट छोड़ना पड़ सकता है. ऐसे जदयू और बीजेपी कई सीटों पर नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है. जदयू को सीटिंग सीट में से काराकाट, जहानाबाद और गया सीट छोड़नी पड़ सकती है, तो वही जदयू कुछ सीटों पर चेहरा बदलने की भी तैयारी कर रहा है.

जिन सीटों की चर्चा हो रही है उनमें..

1. सीतामढ़ी सीट पर 2019 में सुनील कुमार पिंटू ने चुनाव लड़ा था लेकिन अब इस सीट पर नीतीश कुमार देवेश चंद्र ठाकुर को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इसको लेकर सीतामढ़ी में पार्टी के अंदर काफी विवाद भी है. खासकर अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं की तरफ से विरोध भी हो रहा है. वैसे नीतीश कुमार के फैसले के विरुद्ध पार्टी का कोई नेता जाएगा इसकी संभावना कम है.

2. सबसे चौंकाने वाला फैसला नालंदा सीट को लेकर भी हो सकता है 2014 में नीतीश कुमार केवल दो सीट पर बिहार में नरेंद्र मोदी की लहर के दौरान जीत पाए थे, जिसमें पूर्णिया के साथ नालंदा सीट भी थी, 2009 से लगातार तीन बार इस सीट से नीतीश कुमार कौशलेंद्र कुमार को चुनाव लड़ा रहे हैं पार्टी के अंदर यह चर्चा है कि इस सीट पर नए चेहरा को इस बार मौका दिया जा सकता है, ऐसे तो कोई भी चुनाव लड़े चेहरा नीतीश कुमार के नाम पर ही लड़ा जाएगा और नालंदा सीट पर भी यदि नीतीश कुमार नया चेहरा उतरते हैं तो इसका विरोध होगा. इसकी संभावना कम ही है.

आरसीपी सिंह के नाम की भी हो रही चर्चा: हालांकि आरसीपी सिंह फिलहाल बीजेपी में है लेकिन पिछले लंबे समय से जब से नीतीश कुमार एनडीए में वापस आए हैं. उनके नाम की भी चर्चा हो रही है, हालांकि पार्टी के नेता अभी कोई पुष्टि नहीं कर रहे हैं. आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा के नाम की भी चर्चा होती रही है. लंबे समय से बीआरएस लेकर मनीष वर्मा बैठे हुए हैं, लेकिन आरपी सिंह को यदि नीतीश कुमार फिर से अपने साथ लाते हैं और नालंदा से चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार के नजदीकी श्रवण कुमार नाराज हो सकते हैं. श्रवण कुमार और आरसीपी सिंह के बीच पहले भी नहीं बनती थी. एक दूसरे के विरोधी रहे हैं.

3. जहानाबाद सीट भी चर्चा में है यहां अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले चंदेश्वर चंद्रवंशी विवादों में रहे हैं. ऐसे तो इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी की दावेदारी कर रहे हैं, तो लोजपा के चिराग पासवान यह सीट चाहते हैं. नीतीश कुमार जहानाबाद की जगह जमुई सीट चाह रहे हैं. चर्चा है कि अशोक चौधरी जमुई से चुनाव लड़ सकते हैं. जमुई सीट से फिलहाल चिराग पासवान सांसद हैं, लेकिन चिराग पासवान इस बार हाजीपुर से लड़ना चाहते हैं और इसलिए जमुई सीट बदलना चाहते हैं. कुल मिलाकर जहानाबाद से वर्तमान सांसद का लड़ना मुश्किल दिख रहा है.

4. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह मुंगेर से सांसद हैं, लेकिन हाल में नीलम देवी ने जिस प्रकार से आरजेडी से पाला बदला है नीलम देवी के नाम की भी चर्चा होने लगी है ऐसे ललन सिंह लगातार मुंगेर से तैयारी कर रहे हैं. 2019 में नीलम देवी कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन ललन सिंह से हार गई थीं. ललन सिंह नीतीश कुमार के नजदीकियों में से एक रहे हैं, इसलिए ललन सिंह का टिकट काटना आसान नहीं होगा. लेकिन नीलम देवी अनंत सिंह की पत्नी है. मुंगेर सीट पर भूमिहारों का दमदवा है और भूमिहारों के बीच आनंद सिंह की छवि रॉबिन हुड की है. इसलिए वर्तमान सांसद के लिए नीलम देवी ने चुनौती बढ़ा दिया है, ऐसे फैसला नीतीश कुमार को लेना है.

5. मधेपुरा सीट जदयू के दिनेश चंद्र यादव सांसद हैं, दिनेश चंद्र यादव का स्वास्थ्य बेहतर नहीं है इस बार चुनाव नहीं भी लड़ सकते हैं हालांकि पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है. अगर दिनेश चंद्र यादव चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार शायद उन्हीं के नाम पर मुहर लगा दें, लेकिन यदि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे तो नया चेहरा इस सीट पर भी देखने को मिल सकता है और इसमें सबसे आगे निखिल मंडल का नाम है. ऐसे निखिल मंडल पर सहमति तभी बनेगी, जब विजेंद्र यादव ओके करेंगे.

6. भागलपुर सीट को लेकर भी काफी चर्चा है भागलपुर सीट जदयू के पास है और अजय मंडल यहां से सांसद हैं, लेकिन गोपाल मंडल दावेदारी कर रहे हैं. 7. सिवान लोकसभा सीट पर जदयू इस बार अगर कोई नया चेहरा दे दे तो आश्चर्य नहीं होगा. कविता सिंह यहां से जदयू की संसद हैं पार्टी के अंदर इस सीट को लेकर भी चर्चा हो रही.

बिहार में कई सीटों पर बदल सकते हैं चेहरेः इसी तरह भाजपा भी बिहार में कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है, जैसा कि अन्य राज्यों में उसने किया है अधिक उम्र वाले उम्मीदवार और एंटी कंबेन्सी का असर ना हो तो ऐसे उम्मीदवार जो लगातार लोकसभा में जाते रहे हैं उन्हें हटाकर नया चेहरा देने की तैयारी हो रही है, जिससे जीत आसान हो जाए. नए चेहरे को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन का कहना है कि यह तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा. वहीं सीट शेयरिंग को लेकर उनका का कहना है कि जल्द ही एनडीए में इस पर फैसला हो जाएगा.

"एनडीए सभी 40 सीट जीतना चाहेगा और इसलिए एनडीए की प्रमुख घटक दल बीजेपी इस बार कोई रिस्क नहीं लेगी. दूसरे राज्यों में कई उम्मीदवार बदली है तो बिहार में भी 50% सीटों पर नया चेहरा देखने को मिल सकता है. दूसरे राज्यों में कई उम्मीदवार बदली है तो बिहार में भी 50% सीटों पर नया चेहरा देखने को मिल सकता है. जदयू में जहानाबाद सीट हो सीतामढ़ी की सीट हो उम्मीदवार का बदलना तय है इस तरह नीलम देवी भी अपनी दावेदारी कर रही हैं जीतने के लिए कुछ सीटों की अदला-बदली भी हो सकती है" -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

शिवहर या वैशाली से लड़ सकती हैं लवली आनंदः बिहार में लोकसभा की सभी 40 सीट जीतने के लिए यदि घटक दलों की जरूरत हुई तो बीजेपी उम्मीदवार भी देगी. 2019 में सीतामढ़ी सीट पर जब जेडीयू को उम्मीदवार नहीं मिला तो बीजेपी ने सुनील कुमार पिंटू को जदयू से टिकट दिलवाया था तो इस बार भी कुछ सीटों पर यह समझौता हो सकता है. इसमें सिवान सीट भी शामिल है. सिवान से मंगल पांडे लगातार तैयारी कर रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद अभी शांत पर गए हैं. यदि उन्हें एमएलसी उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो संभावना है कि उन्हें चुनाव लड़ाया जा सकता है. इसके अलावा आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद के लिए भी जदयू सीट का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा है, शिवहर या वैशाली से लवली आनंद को चुनाव लड़ाया जा सकता है.

400 पार का लक्ष्य पूरा करने में जुटा एनडीएः प्रधानमंत्री ने इस बार एनडीए के लिए 400 पार का लक्ष्य रखा है, ऐसे में बिहार की सभी 39 सीटें तो महत्वपूर्ण हैं ही और उसे किसी कीमत पर एनडीए खोना नहीं चाहेगा. नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के एक साथ आने के कारण बिहार में एक बार फिर से एनडीए उम्मीदवारों के लिए विपक्ष को चुनौती देना आसान हो गया है, लेकिन इसके बावजूद न केवल बीजेपी बल्कि जदयू और घटक दल उन्हीं उम्मीदवारों पर दाव लगाना चाहती है जो 100% जीत दिला सके. इस तरह कई सीटों पर एनडीए में माथा पच्ची हो रही है. नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ उम्मीदवार का जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को भी देखने की कोशिश हो रही है.

ये भी पढे़ंः 2024 में BJP को हराने का फॉर्मूला तय, राहुल-तेजस्वी-अखिलेश मिलकर 120 सीटों पर करेंगे फाइट!

पटनाः बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में अभी सब कुछ साफ नहीं है. गठबंधन में सीट बंटवारे पर जो देरी हो रही है, उससे साफ लग रहा है कि सहयोगियों के बीच तालमेल बैठाना काफी मुश्किल हो रहा है या यूं कहें कि जदयू और भाजपा अपने जिताउ उम्मीदवार को लेकर रणनीति बनाने में लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है कुछ सीट उन्हें अपने सहयोगियों के लिए छोड़ना भी पड़ सकता है और कुछ सीट बदलनी भी पड़ सकती है.

एनडीए में सीटों का बंटवारा है पेचीदाः 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू ने 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 16 सीटों पर जीत मिली थी. केवल किशनगंज सीट जदयू ने हारी थी, जिस पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी. 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए में जदयू, बीजेपी और लोजपा ही शामिल थे, लेकिन अब लोजपा दो गुटों में बंट चुका है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी आ गए हैं. यानी कुल छह दल एनडीए में अब हो चुके हैं. इस कारण भी एनडीए में बिहार में 40 सीटों का बंटवारा थोड़ा सा पेचीदा हो गया है.

कई सीटों पर बीजेपी का नए चेहरे पर दांव: ऐसे बीजेपी इस बार 17 सीटिंग सीट से अधिक पर चुनाव लड़ना चाहती है तो वहीं जदयू को कुछ सीट छोड़ना पड़ सकता है. ऐसे जदयू और बीजेपी कई सीटों पर नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है. जदयू को सीटिंग सीट में से काराकाट, जहानाबाद और गया सीट छोड़नी पड़ सकती है, तो वही जदयू कुछ सीटों पर चेहरा बदलने की भी तैयारी कर रहा है.

जिन सीटों की चर्चा हो रही है उनमें..

1. सीतामढ़ी सीट पर 2019 में सुनील कुमार पिंटू ने चुनाव लड़ा था लेकिन अब इस सीट पर नीतीश कुमार देवेश चंद्र ठाकुर को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इसको लेकर सीतामढ़ी में पार्टी के अंदर काफी विवाद भी है. खासकर अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं की तरफ से विरोध भी हो रहा है. वैसे नीतीश कुमार के फैसले के विरुद्ध पार्टी का कोई नेता जाएगा इसकी संभावना कम है.

2. सबसे चौंकाने वाला फैसला नालंदा सीट को लेकर भी हो सकता है 2014 में नीतीश कुमार केवल दो सीट पर बिहार में नरेंद्र मोदी की लहर के दौरान जीत पाए थे, जिसमें पूर्णिया के साथ नालंदा सीट भी थी, 2009 से लगातार तीन बार इस सीट से नीतीश कुमार कौशलेंद्र कुमार को चुनाव लड़ा रहे हैं पार्टी के अंदर यह चर्चा है कि इस सीट पर नए चेहरा को इस बार मौका दिया जा सकता है, ऐसे तो कोई भी चुनाव लड़े चेहरा नीतीश कुमार के नाम पर ही लड़ा जाएगा और नालंदा सीट पर भी यदि नीतीश कुमार नया चेहरा उतरते हैं तो इसका विरोध होगा. इसकी संभावना कम ही है.

आरसीपी सिंह के नाम की भी हो रही चर्चा: हालांकि आरसीपी सिंह फिलहाल बीजेपी में है लेकिन पिछले लंबे समय से जब से नीतीश कुमार एनडीए में वापस आए हैं. उनके नाम की भी चर्चा हो रही है, हालांकि पार्टी के नेता अभी कोई पुष्टि नहीं कर रहे हैं. आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा के नाम की भी चर्चा होती रही है. लंबे समय से बीआरएस लेकर मनीष वर्मा बैठे हुए हैं, लेकिन आरपी सिंह को यदि नीतीश कुमार फिर से अपने साथ लाते हैं और नालंदा से चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार के नजदीकी श्रवण कुमार नाराज हो सकते हैं. श्रवण कुमार और आरसीपी सिंह के बीच पहले भी नहीं बनती थी. एक दूसरे के विरोधी रहे हैं.

3. जहानाबाद सीट भी चर्चा में है यहां अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले चंदेश्वर चंद्रवंशी विवादों में रहे हैं. ऐसे तो इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी की दावेदारी कर रहे हैं, तो लोजपा के चिराग पासवान यह सीट चाहते हैं. नीतीश कुमार जहानाबाद की जगह जमुई सीट चाह रहे हैं. चर्चा है कि अशोक चौधरी जमुई से चुनाव लड़ सकते हैं. जमुई सीट से फिलहाल चिराग पासवान सांसद हैं, लेकिन चिराग पासवान इस बार हाजीपुर से लड़ना चाहते हैं और इसलिए जमुई सीट बदलना चाहते हैं. कुल मिलाकर जहानाबाद से वर्तमान सांसद का लड़ना मुश्किल दिख रहा है.

4. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह मुंगेर से सांसद हैं, लेकिन हाल में नीलम देवी ने जिस प्रकार से आरजेडी से पाला बदला है नीलम देवी के नाम की भी चर्चा होने लगी है ऐसे ललन सिंह लगातार मुंगेर से तैयारी कर रहे हैं. 2019 में नीलम देवी कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन ललन सिंह से हार गई थीं. ललन सिंह नीतीश कुमार के नजदीकियों में से एक रहे हैं, इसलिए ललन सिंह का टिकट काटना आसान नहीं होगा. लेकिन नीलम देवी अनंत सिंह की पत्नी है. मुंगेर सीट पर भूमिहारों का दमदवा है और भूमिहारों के बीच आनंद सिंह की छवि रॉबिन हुड की है. इसलिए वर्तमान सांसद के लिए नीलम देवी ने चुनौती बढ़ा दिया है, ऐसे फैसला नीतीश कुमार को लेना है.

5. मधेपुरा सीट जदयू के दिनेश चंद्र यादव सांसद हैं, दिनेश चंद्र यादव का स्वास्थ्य बेहतर नहीं है इस बार चुनाव नहीं भी लड़ सकते हैं हालांकि पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है. अगर दिनेश चंद्र यादव चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार शायद उन्हीं के नाम पर मुहर लगा दें, लेकिन यदि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे तो नया चेहरा इस सीट पर भी देखने को मिल सकता है और इसमें सबसे आगे निखिल मंडल का नाम है. ऐसे निखिल मंडल पर सहमति तभी बनेगी, जब विजेंद्र यादव ओके करेंगे.

6. भागलपुर सीट को लेकर भी काफी चर्चा है भागलपुर सीट जदयू के पास है और अजय मंडल यहां से सांसद हैं, लेकिन गोपाल मंडल दावेदारी कर रहे हैं. 7. सिवान लोकसभा सीट पर जदयू इस बार अगर कोई नया चेहरा दे दे तो आश्चर्य नहीं होगा. कविता सिंह यहां से जदयू की संसद हैं पार्टी के अंदर इस सीट को लेकर भी चर्चा हो रही.

बिहार में कई सीटों पर बदल सकते हैं चेहरेः इसी तरह भाजपा भी बिहार में कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है, जैसा कि अन्य राज्यों में उसने किया है अधिक उम्र वाले उम्मीदवार और एंटी कंबेन्सी का असर ना हो तो ऐसे उम्मीदवार जो लगातार लोकसभा में जाते रहे हैं उन्हें हटाकर नया चेहरा देने की तैयारी हो रही है, जिससे जीत आसान हो जाए. नए चेहरे को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन का कहना है कि यह तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा. वहीं सीट शेयरिंग को लेकर उनका का कहना है कि जल्द ही एनडीए में इस पर फैसला हो जाएगा.

"एनडीए सभी 40 सीट जीतना चाहेगा और इसलिए एनडीए की प्रमुख घटक दल बीजेपी इस बार कोई रिस्क नहीं लेगी. दूसरे राज्यों में कई उम्मीदवार बदली है तो बिहार में भी 50% सीटों पर नया चेहरा देखने को मिल सकता है. दूसरे राज्यों में कई उम्मीदवार बदली है तो बिहार में भी 50% सीटों पर नया चेहरा देखने को मिल सकता है. जदयू में जहानाबाद सीट हो सीतामढ़ी की सीट हो उम्मीदवार का बदलना तय है इस तरह नीलम देवी भी अपनी दावेदारी कर रही हैं जीतने के लिए कुछ सीटों की अदला-बदली भी हो सकती है" -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

शिवहर या वैशाली से लड़ सकती हैं लवली आनंदः बिहार में लोकसभा की सभी 40 सीट जीतने के लिए यदि घटक दलों की जरूरत हुई तो बीजेपी उम्मीदवार भी देगी. 2019 में सीतामढ़ी सीट पर जब जेडीयू को उम्मीदवार नहीं मिला तो बीजेपी ने सुनील कुमार पिंटू को जदयू से टिकट दिलवाया था तो इस बार भी कुछ सीटों पर यह समझौता हो सकता है. इसमें सिवान सीट भी शामिल है. सिवान से मंगल पांडे लगातार तैयारी कर रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद अभी शांत पर गए हैं. यदि उन्हें एमएलसी उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो संभावना है कि उन्हें चुनाव लड़ाया जा सकता है. इसके अलावा आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद के लिए भी जदयू सीट का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा है, शिवहर या वैशाली से लवली आनंद को चुनाव लड़ाया जा सकता है.

400 पार का लक्ष्य पूरा करने में जुटा एनडीएः प्रधानमंत्री ने इस बार एनडीए के लिए 400 पार का लक्ष्य रखा है, ऐसे में बिहार की सभी 39 सीटें तो महत्वपूर्ण हैं ही और उसे किसी कीमत पर एनडीए खोना नहीं चाहेगा. नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के एक साथ आने के कारण बिहार में एक बार फिर से एनडीए उम्मीदवारों के लिए विपक्ष को चुनौती देना आसान हो गया है, लेकिन इसके बावजूद न केवल बीजेपी बल्कि जदयू और घटक दल उन्हीं उम्मीदवारों पर दाव लगाना चाहती है जो 100% जीत दिला सके. इस तरह कई सीटों पर एनडीए में माथा पच्ची हो रही है. नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ उम्मीदवार का जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को भी देखने की कोशिश हो रही है.

ये भी पढे़ंः 2024 में BJP को हराने का फॉर्मूला तय, राहुल-तेजस्वी-अखिलेश मिलकर 120 सीटों पर करेंगे फाइट!

Last Updated : Mar 5, 2024, 9:18 AM IST
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