नई दिल्ली: जिस तरह सामान्य बच्चों के सपने होते हैं, उसकी तरह दिव्यांग बच्चों के भी कई सपने होते हैं. इतिहास में पहली बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दिव्यांग बच्चों के सपनों को दर्शाने वाले "अपने सपने" नाटक का मंचन किया गया. नाटक में जिन दिव्यांग बच्चों का चयन किया गया है, वह सभी गाजियाबाद स्थित 'एक कोशिश स्पेशल स्कूल' एनजीओ के थे. इसमें 13 वर्ष से 54 वर्ष तक के कुल 18 दिव्यांगों को शामिल किया गया. नाटक का निर्देशन अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली रिली नगोमले द्वारा किया गया. वह बीते 10 वर्षों के थिएटर कर रही हैं. साथ ही NSD की त्रिपुरा 2014 बैच की छात्रा भी रह चुकी हैं.
रिली नगोमले ने बतचीत के दौरान बताया कि उनको बच्चों से काफी लगाव है. स्पेशल बच्चों के साथ काम करने का उनका पहला अनुभव है. इसमें मेहनत से ज्यादा प्यार लगा है. जहां मेहनत और प्यार का मिश्रण होता है उसका परिणाम काफी अच्छा होता है. "अपने सपने" नाटक का निर्देशन करना काफी अच्छा अनुभव है. जब उनसे पूछा गया कि आप बड़े होकर क्या बनाना चाहते हैं तो उन्होंने ऐसे सपने बताए जो बिलकुल हैरान करने वाले हैं. किसी को इंजीनियर, डॉक्टर तो किसी को टीचर और एक्टर बनाना है.
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रिली आगे बताती हैं जब स्पेशल बच्चों के सपनों को सुना तो उन्होंने निर्णय लिया कि लिखे लिखाए नाटक पर काम करने के बजाए, इन बच्चों के सपनों पर आधारित नाटक तैयार किया जाए. इसी का परिणाम है जो बच्चों ने नाटक में अपने सपनों का जिक्र किया है. थिएटर ने स्पेशल बच्चों को अपने सपनों को जीने का एक मौका दिया है.
नाटक में भाग लेने वाले अभी बच्चे एक-कोशिश स्पेशल स्कूल के विद्यार्थी हैं. एक-कोशिश स्पेशल स्कूल (उमराव सिंह मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी) दिल्ली में स्थित एक नामांकित सरकारी संगठन है, जो कई वर्षों से विकलांगता के क्षेत्र में काम कर रहा है. सोसायटी 2005 से बौद्धिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए एक विशेष स्कूल चलाती है, जो व्यावसायिक चिकित्सा, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करती है. इसमें एक डे स्कूल है, जिसका उद्देश्य विशेष आवश्यकताओं वाले दिव्यांग बच्चों को लाभ पहुंचाना है.
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