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विवाहित महिलाएं इस देवी की पूजा भूलकर भी ना करें - Dhumavati Jayanti 2024 - DHUMAVATI JAYANTI 2024

मां धूमावती 10 विद्याओ में सातवीं देवी के रूप में जानी जाती है. धूमावती जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. मान्यता है कि इस तिथि को मां धूमावती की उत्पत्ति हुई थी. जानें धूमावती जयंती इस साल कब मनाई जाएगी और पूजन का शुभ मुहूर्त कब है. पढ़िए पूरी खबर..

DHUMAVATI JAYANTI 2024
मां धूमावती जयंती 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 14, 2024, 4:02 AM IST

Updated : Jun 14, 2024, 6:11 AM IST

रायपुर : मां धूमावती को 10 महाविद्याओं में सातवीं देवी के रूप में जाना जाता है. मां धूमावती देखने में विधवा और वृद्ध महिला के रूप में दिखाई पड़ती है. इस साल धूमावती जयंती पर मासिक दुर्गा अष्टमी और सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है, जो अपने बेहद खास है. इस देवी की पूजा विवाहित महिलाओं को भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस साल 14 जून को शुक्रवार के दिन मां धूमावती की जयंती मनाई जाएगी.

मां धूमावती की पूजा का शुभ मुहूर्त (ETV Bharat)
क्यों खास है मां धूमावती जयंती : रायपुर के महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "मां धूमावती जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है कि मां धूमावती की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी. इस इस साल 14 जून शुक्रवार के दिन मां धूमावती जयंती मनाई जाएगी. मां धूमावती माता पार्वती का ही स्वरूप मानी गई हैं. मां धूमावती की 10 महाविद्याओं में सातवीं देवी के रूप में गणना होती है."धूमावती जयंती का शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जून 2024 की रात 9:35 पर शुरू हो रही है, जो 15 जून को दोपहर 12:03 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर धूमावती जयंती 14 जून शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. 14 जून को ही मासिक दुर्गा अष्टमी भी होगी और इसी दिन सिद्धि योग भी बन रहा है. धूमावती जयंती के दिन सुबह से लेकर शाम 7:08 तक रहेगा. वहीं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रात: काल से लेकर पूर्ण रात्रि तक है. सिद्धि योग को शुभ माना जाता है.मां धूमावती की उत्पत्ति : पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां धूमावती की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि जब देवी सती अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में स्वयं की आहुति देकर शरीर को जला देती है तो उस निकलने वाले धुंए से मां धूमावती की उत्पत्ति मानी गई है. वहीं दूसरी कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी, उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की लेकिन कुछ देर तक प्रतीक्षा करने को कहा लेकिन उनकी भूख और बढ़ गई. जिसके फलस्वरुप देवी पार्वती ने भगवान शिव को निगल लिया. कुछ देर के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि मुझे अपने पेट से बाहर निकालो इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें क्रोधित होकर श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद तुम्हारा स्वरूप एक विधवा के रूप में रहेगा. नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.
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रायपुर : मां धूमावती को 10 महाविद्याओं में सातवीं देवी के रूप में जाना जाता है. मां धूमावती देखने में विधवा और वृद्ध महिला के रूप में दिखाई पड़ती है. इस साल धूमावती जयंती पर मासिक दुर्गा अष्टमी और सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है, जो अपने बेहद खास है. इस देवी की पूजा विवाहित महिलाओं को भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस साल 14 जून को शुक्रवार के दिन मां धूमावती की जयंती मनाई जाएगी.

मां धूमावती की पूजा का शुभ मुहूर्त (ETV Bharat)
क्यों खास है मां धूमावती जयंती : रायपुर के महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "मां धूमावती जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है कि मां धूमावती की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी. इस इस साल 14 जून शुक्रवार के दिन मां धूमावती जयंती मनाई जाएगी. मां धूमावती माता पार्वती का ही स्वरूप मानी गई हैं. मां धूमावती की 10 महाविद्याओं में सातवीं देवी के रूप में गणना होती है."धूमावती जयंती का शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जून 2024 की रात 9:35 पर शुरू हो रही है, जो 15 जून को दोपहर 12:03 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर धूमावती जयंती 14 जून शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. 14 जून को ही मासिक दुर्गा अष्टमी भी होगी और इसी दिन सिद्धि योग भी बन रहा है. धूमावती जयंती के दिन सुबह से लेकर शाम 7:08 तक रहेगा. वहीं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रात: काल से लेकर पूर्ण रात्रि तक है. सिद्धि योग को शुभ माना जाता है.मां धूमावती की उत्पत्ति : पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां धूमावती की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि जब देवी सती अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में स्वयं की आहुति देकर शरीर को जला देती है तो उस निकलने वाले धुंए से मां धूमावती की उत्पत्ति मानी गई है. वहीं दूसरी कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी, उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की लेकिन कुछ देर तक प्रतीक्षा करने को कहा लेकिन उनकी भूख और बढ़ गई. जिसके फलस्वरुप देवी पार्वती ने भगवान शिव को निगल लिया. कुछ देर के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि मुझे अपने पेट से बाहर निकालो इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें क्रोधित होकर श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद तुम्हारा स्वरूप एक विधवा के रूप में रहेगा. नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.
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Last Updated : Jun 14, 2024, 6:11 AM IST
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