सिवनी। गुलाब जामुन और रबड़ी आमतौर पर सभी लोगों का पसंदीदा होता है. अगर कोई मीठा खाने का दीवाना हो तो गुलाब जामुन का नाम सुनते ही उसके मुंह में पानी आ जाएगा. हम आपको ऐसे ही गुलाब जामुन और रबड़ी की कहानी बता रहे हैं. जिनका 55 सालों से एक सा स्वाद है और बिना दरवाजे की दुकान 24 घंटे चालू रहती है. इतना ही नहीं एमपी के छिंदवाड़ा जिले में मौजूद इस दुकान में हर दिन 4000 गुलाब जामुन लोग चट कर जाते हैं.
हर दिन 4000 गुलाब जामुन की होती है खपत
सिवनी जबलपुर नेशनल हाईवे के लखनादौन तहसील का गांव है धूमा. जहां पर 55 साल पहले 1969 में राजकुमार शिवहरे ने होटल नाम की एक दुकान खोली और गुलाब जामुन बनाने की शुरुआत की. लोगों को राजकुमार शिवहरे की दुकान का स्वाद इतना पसंद आया कि अब हर दिन 4000 गुलाब जामुन की खपत होती है. इस सड़क से गुजरने वाला हर व्यक्ति इन गुलाब जामुन का दीवाना है. यहां खाने के साथ-साथ ही लोग इसे काफी मात्रा में पैक करवाकर भी ले जाते हैं उनके चर्चे देश-विदेश में भी है.
खुद तैयार करते हैं मावा फिर तैयार की जाती है गुलाब जामुन
55 सालों से लोगों को गुलाब जामुन का स्वाद चखा रहे राजकुमार शिवहरे ने बताया कि 'शुद्धता उनकी गुलाब जामुन की पहचान है. आसपास के किसानों से दूध खरीद कर मावा खुद तैयार करते हैं और फिर उसी मावे से गुलाब जामुन बनाते हैं. इसके अलावा गुलाब जामुन में कुछ और नहीं मिलाते और यही शुद्धता उनकी गुलाब जामुन की पहचान है.'
गुलाब जामुन के साथ रबड़ी का मेल यहां की पहचान
आमतौर पर गुलाब जामुन चासनी के साथ परोसी जाती है, लेकिन राजकुमार शिवहरे ने शुद्ध मावे की गुलाब जामुन के साथ शुद्ध देसी गाय के दूध की रबड़ी बनाकर गुलाब जामुन को परोसने का काम शुरू किया था. रबड़ी के साथ गुलाब जामुन का स्वाद यहां की पहचान बन गया है. खास बात यह है कि शुद्ध मावे और देसी गाय के दूध से तैयार की गई रबड़ी यहां की पहचान है. लोग गुलाब जामुन के साथ रबड़ी खाना पसंद करते हैं.
40 साल पुराने बावर्ची बिना दरवाजे की है दुकान
खास बात ये है की दुकान में 40 से 50 साल पुराने बावर्ची हैं. जो अब तक गुलाब जामुन को एक ही स्वाद में बनाते हैं. अब तक आपने हर दुकानों में दरवाजे और शटर देखी होगी, लेकिन शिवहरे होटल में दरवाजे और शटर नहीं है, क्योंकि यह दुकान 24 घंटे चालू रहती है. अब इसका एक आउटलेट नेशनल हाईवे के बाईपास बरबटी में भी संचालित किया जा रहा है.
खास तरीके से की जाती है पैकिंग, बिना फ्रिज कई दिनों तक सुरक्षित
यहां के गुलाब जामुन और रबड़ी खाने के साथ ही लोग अपने साथ ले जाना भी पसंद करते हैं. लोग आसानी से पैकिंग करवाकर इसे कहीं भी ले जा सकते हैं इसके लिए खास तरीके से पैकिंग की जाती है मिट्टी से बने छोटे-छोटे मटकों में पॉलिथीन की मदद से पैक किया जाता है ताकि गुलाब जामुन सुरक्षित भी रहे हो कई दिनों तक खाने के लायक भी बनी रहती है इसकी पैकिंग के सहारे आसानी से लाया ले जाया जा सकता है।