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राजस्थान के इस मंदिर में पूजन-दर्शन के नए नियम, फोटोग्राफी और छोटे कपड़ों पर लगी रोक - BAN ON SHORT DRESSES

उदयपुर के मशहूर एकलिंगनाथ जी मंदिर में अब भक्तों को दर्शन व पूजन के लिए नए नियमों का करना होगा पालन.

Eklingnathji temple new rules
एकलिंगनाथ जी मंदिर में दर्शन के नए नियम (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 6, 2024, 5:53 PM IST

उदयपुर : राजस्थान के मशहूर एकलिंगनाथ जी मंदिर में अब भक्तों को दर्शन व पूजन के लिए नए नियमों का पालन करना होगा. इसको लेकर मंदिर के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है. बोर्ड में पांच नियमों का जिक्र किया गया है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है. इससे पहले भी राज्य के कई मंदिरों में इस तरह के बोर्ड लग चुके हैं और इसका एक मात्र मकसद मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार अब भगवान एकलिंगनाथ जी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उनके वस्त्रों पर विशेष ध्यान देना होगा. कोई भी श्रद्धालु मंदिर में छोटे कपड़े जैसे स्कर्ट या फिर बरमूडा पहनकर नहीं आ सकता है. साथ ही मंदिर परिसर में मोबाइल ले जाने पर भी रोक लगाई गई है.

नए नियमों में इन बातों का जिक्र : मंदिर प्रबंधन के अनुसार शालीन कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. साथ ही श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वो हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट जैसे छोटे कपड़े पहनकर न आएं. दरअसल, यह आदेश एकलिंगनाथजी मंदिर कैलाशपुरी के मुंतजिम की ओर से जारी किया गया है. नियमों में बदलाव मंदिर से जुड़े श्रद्धालुओं की ओर से की जा रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं. नियमों में बदलाव के साथ व्यवस्था लागू कर दी गई है. इसके अलावा मोबाइल फोन ले जाने की भी अनुमति नहीं होगी. साथ ही जूते, मौजे और चमड़े की वस्तु जैसे वॉलेट, बेल्ट और बैग को मंदिर परिसर के बाहर रखना होगा.

Eklingnathji temple new rules
नए नियमों में इन बातों का जिक्र (ETV BHARAT Udaipur)

इसे भी पढ़ें - ठाकुर जी को सर्दी से बचाने के जतन, बांके बिहारी ने धारण किए गर्म वस्त्र

ये भी वर्जित : मंदिर परिसर में धूम्रपान के साथ ही फोटोग्राफी को भी वर्जित किया गया है. इसके अलावा मंदिर में गुटखा, पान मसाला, माचिस, लाइटर ले जाने पर भी रोक लगाई गई है. वहीं, नशे की हालत में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और न ही कोई पालतू जानवर या किसी भी तरह के हथियार ले जा सकेगा.

फोटोग्राफी पर पहले रोक : हालांकि, फोटोग्राफी पर पहले से ही रोक लगी है, लेकिन अब मोबाइल को भी मंदिर परिसर में वर्जित कर दिया गया है. वहीं, कैलाशपुरी के निवासियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन कुछ लोगों की ओर से मोबाइल फोन सुरक्षित रखने के लिए एक लॉकर की मांग की गई है. इस सख्ती के पीछे की असल वजह पिछले कुछ दिनों से लगातार आ रही शिकायतों को बताया जा रहा है. इसके इतर अगर बात करें राज्य और मेवाड़ के अन्य मंदिरों की तो वहां पहले से ही ये नियम लागू हैं. खासकर जगदीश मंदिर और भीलवाड़ा के मंदिरों में इस तरह के बोर्ड लगे हुए हैं.

इसे भी पढ़ें - तिरुपति मंदिर में शुद्ध प्रसाद के लिए 'पथमेड़ा' ने भेजा पत्र, गौशाला सेवा में सहयोग करने को तैयार

एकलिंगनाथ जी मंदिर का इतिहास : एकलिंगनाथ जी मंदिर उदयपुर शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है. कैलाशपुरी नामक स्थान पर भगवान एकलिंगनाथ विराजमान है और यहां भगवान भोलेनाथ का भव्य मंदिर है. एकलिंगनाथ जी मेवाड़ के कुल देवता हैं. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि जब भी कोई राजा युद्ध के लिए जाता था, तो उससे पहले वो भगवान एकलिंगनाथ जी के दरबार में मत्था टेकता था.

मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजे जाते हैं एकलिंगनाथ जी : एकलिंगनाथ महादेव को मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजा जाता है. मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर राज कार्य करते आए हैं. इतिहासकारों की मानें तो ऐसा आज से नहीं, बल्कि 1500 सालों से होता आ रहा है. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि रण क्षेत्र में जब भी राजा विजयी घोषित होते थे, तो एकलिंगनाथ जी के जयकारे गूंजते थे.

उदयपुर : राजस्थान के मशहूर एकलिंगनाथ जी मंदिर में अब भक्तों को दर्शन व पूजन के लिए नए नियमों का पालन करना होगा. इसको लेकर मंदिर के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है. बोर्ड में पांच नियमों का जिक्र किया गया है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है. इससे पहले भी राज्य के कई मंदिरों में इस तरह के बोर्ड लग चुके हैं और इसका एक मात्र मकसद मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार अब भगवान एकलिंगनाथ जी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उनके वस्त्रों पर विशेष ध्यान देना होगा. कोई भी श्रद्धालु मंदिर में छोटे कपड़े जैसे स्कर्ट या फिर बरमूडा पहनकर नहीं आ सकता है. साथ ही मंदिर परिसर में मोबाइल ले जाने पर भी रोक लगाई गई है.

नए नियमों में इन बातों का जिक्र : मंदिर प्रबंधन के अनुसार शालीन कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. साथ ही श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वो हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट जैसे छोटे कपड़े पहनकर न आएं. दरअसल, यह आदेश एकलिंगनाथजी मंदिर कैलाशपुरी के मुंतजिम की ओर से जारी किया गया है. नियमों में बदलाव मंदिर से जुड़े श्रद्धालुओं की ओर से की जा रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं. नियमों में बदलाव के साथ व्यवस्था लागू कर दी गई है. इसके अलावा मोबाइल फोन ले जाने की भी अनुमति नहीं होगी. साथ ही जूते, मौजे और चमड़े की वस्तु जैसे वॉलेट, बेल्ट और बैग को मंदिर परिसर के बाहर रखना होगा.

Eklingnathji temple new rules
नए नियमों में इन बातों का जिक्र (ETV BHARAT Udaipur)

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ये भी वर्जित : मंदिर परिसर में धूम्रपान के साथ ही फोटोग्राफी को भी वर्जित किया गया है. इसके अलावा मंदिर में गुटखा, पान मसाला, माचिस, लाइटर ले जाने पर भी रोक लगाई गई है. वहीं, नशे की हालत में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और न ही कोई पालतू जानवर या किसी भी तरह के हथियार ले जा सकेगा.

फोटोग्राफी पर पहले रोक : हालांकि, फोटोग्राफी पर पहले से ही रोक लगी है, लेकिन अब मोबाइल को भी मंदिर परिसर में वर्जित कर दिया गया है. वहीं, कैलाशपुरी के निवासियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन कुछ लोगों की ओर से मोबाइल फोन सुरक्षित रखने के लिए एक लॉकर की मांग की गई है. इस सख्ती के पीछे की असल वजह पिछले कुछ दिनों से लगातार आ रही शिकायतों को बताया जा रहा है. इसके इतर अगर बात करें राज्य और मेवाड़ के अन्य मंदिरों की तो वहां पहले से ही ये नियम लागू हैं. खासकर जगदीश मंदिर और भीलवाड़ा के मंदिरों में इस तरह के बोर्ड लगे हुए हैं.

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एकलिंगनाथ जी मंदिर का इतिहास : एकलिंगनाथ जी मंदिर उदयपुर शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है. कैलाशपुरी नामक स्थान पर भगवान एकलिंगनाथ विराजमान है और यहां भगवान भोलेनाथ का भव्य मंदिर है. एकलिंगनाथ जी मेवाड़ के कुल देवता हैं. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि जब भी कोई राजा युद्ध के लिए जाता था, तो उससे पहले वो भगवान एकलिंगनाथ जी के दरबार में मत्था टेकता था.

मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजे जाते हैं एकलिंगनाथ जी : एकलिंगनाथ महादेव को मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजा जाता है. मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर राज कार्य करते आए हैं. इतिहासकारों की मानें तो ऐसा आज से नहीं, बल्कि 1500 सालों से होता आ रहा है. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि रण क्षेत्र में जब भी राजा विजयी घोषित होते थे, तो एकलिंगनाथ जी के जयकारे गूंजते थे.

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