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ढाई करोड़ की लागत से तैयार मंदिर में विराजे देव शिकड़ू, दिव्य देवनृत्य देख लोगों ने दबाई दांतों तले अंगुलियां, जानिए क्या है ऊपरी शिमला की ये देव परंपरा - DEV SHIKADU TEMPLE IN ROHRU

शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र के आराध्य देव शिकड़ू ढाई करोड़ की लागत से तैयार मंदिर में विराजे गए हैं.

रोहड़ू क्षेत्र के आराध्य देव शिकड़ू महाराज
रोहड़ू क्षेत्र के आराध्य देव शिकड़ू महाराज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 6, 2024, 10:39 PM IST

Updated : Dec 7, 2024, 11:19 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता. यहां की देव परंपरा की एक से बढ़कर एक अनूठी बातें आश्चर्यचकित करती हैं. इन दिनों ऊपरी शिमला का रोहड़ू क्षेत्र अपने आराध्य देव शिकड़ू महाराज के नवनिर्मित मंदिर की खुशियां मना रहा है. करीब ढाई करोड़ की लागत से तैयार देव शिकड़ू महाराज की कोठी, मंदिर अथवा देउठी में प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया.

मंदिर करीब 58 फीट ऊंचा है. इसमें चार मंजिलें हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह गुरुवार को आरंभ हुआ और शनिवार को संपन्न होगा. इस दौरान शुक्रवार को देव नृत्य का दुर्लभ नजारा देखने को मिला. इलाके के देवताओं का आपस में मिलन देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं. पूरे इलाके में खुशी का माहौल है. स्थानीय लोगों ने मेहमानों के लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए हैं. पारंपरिक व्यंजनों की सुगंध चहुं ओर फैली है. लोग पारंपरिक हथियारों के साथ देव नृत्य में लीन हैं. हजारों कंठ एक साथ देवगीत गा रहे हैं.

नए मंदिर में विराजे देव शिकड़ू (ETV Bharat)

शिखा पूजन संपन्न होने के बाद प्रतिष्ठित हुए देव शिकड़ू

देव आयोजन में शिखा पूजन के बाद देव शिकड़ू महाराज को मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया. ये मंदिर दो साल से बन रहा था. हिमाचल की देव संस्कृति के अनुरूप ये मंदिर काठकुणी शैली में बना है, लेकिन इसमें आधुनिक तकनीकों का प्रयोग भी किया गया है. मंदिर के दरवाजे सेंसर युक्त हैं. साथ ही यदि कोई चोरी या गलत इरादे से मंदिर के दरवाजों को खोलने का प्रयास करेगा तो हूटर बज उठेंगे. इस तरह परंपरा और आधुनिकता का संगम इस मंदिर में देखने को मिलेगा.

आयोजन में दूसरे इलाकों के देवता भी शामिल हुए. सीमा रंटाड़ी क्षेत्र के देवता मोहरीश के देवलू ढोल-नगाड़ों के साथ देवता शिकड़ू महाराज की नई देउठी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे हैं. इसके अलावा चिऊणी गांव के परशुराम, दशालनी गांव के किलाबालू देवता भी पहुंचे हैं. इन सभी देवताओं का मिलन देखते ही बन रहा था.

रोहड़ू के स्थानीय निवासी मोहित शर्मा के अनुसार देवता शिकड़ू महाराज के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम गुरूवार पांच दिसंबर से आरंभ हुए पहले दिन संघेड़ा यानी मेहमान देवताओं का आगमन हुआ. साथ ही देवताओं का खेल बड़छणी हुआ. शुक्रवार को शिखाफेर रस्म के साथ मंदिर की प्रतिष्ठा संपन्न हुई. वहीं, शनिवार को उच्छड़-पाच्छड़ होगा. ये देवताओं व मेहमानों के प्रस्थान का आयोजन है. शिकड़ू महाराज के मंदिर का निर्माण पारसा गांव के देव शिल्पियों ने किया है. मोहित के अनुसार मंदिर में सीसीटीवी के साथ-साथ दरवाजों पर सेंसर लगाए गए हैं. यह दरवाजे सेंसर से ओपन किए जा सकते हैं और इनका कंट्रोल मंदिर कमेटी के चुनिंदा लोगों के पास होगा.

कौन हैं देवता शिकड़ू

स्थानीय निवासी प्रेम सागर के अनुसार देवता शिकड़ू चंद्रनाहन इलाके से रोहड़ू आए थे. मान्यता है कि देवता शिकड़ू महाराज रोड़ू के साथ लगती शिकड़ी खड्ड में प्रकट हुए थे. इसी के नाम पर वे शिकड़ू महाराज कहलाते हैं. अब रोहड़ू शहर के अलावा ये पांच बासों यानी इलाकों में ईष्ट के रूप में पूजनीय हैं. हजारों लोग के ईष्ट देव शिकड़ू महाराज की यहां बहुत मान्यता है. सारे देव कारज इनकी ही आज्ञा से संपन्न होते हैं.

ये भी पढ़ें: सीएम सुक्खू ने की महिला होमगार्ड को मैटरनिटी लीव देने की घोषणा, 700 पदों को भरने का भी किया ऐलान

शिमला: हिमाचल प्रदेश को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता. यहां की देव परंपरा की एक से बढ़कर एक अनूठी बातें आश्चर्यचकित करती हैं. इन दिनों ऊपरी शिमला का रोहड़ू क्षेत्र अपने आराध्य देव शिकड़ू महाराज के नवनिर्मित मंदिर की खुशियां मना रहा है. करीब ढाई करोड़ की लागत से तैयार देव शिकड़ू महाराज की कोठी, मंदिर अथवा देउठी में प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया.

मंदिर करीब 58 फीट ऊंचा है. इसमें चार मंजिलें हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह गुरुवार को आरंभ हुआ और शनिवार को संपन्न होगा. इस दौरान शुक्रवार को देव नृत्य का दुर्लभ नजारा देखने को मिला. इलाके के देवताओं का आपस में मिलन देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं. पूरे इलाके में खुशी का माहौल है. स्थानीय लोगों ने मेहमानों के लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए हैं. पारंपरिक व्यंजनों की सुगंध चहुं ओर फैली है. लोग पारंपरिक हथियारों के साथ देव नृत्य में लीन हैं. हजारों कंठ एक साथ देवगीत गा रहे हैं.

नए मंदिर में विराजे देव शिकड़ू (ETV Bharat)

शिखा पूजन संपन्न होने के बाद प्रतिष्ठित हुए देव शिकड़ू

देव आयोजन में शिखा पूजन के बाद देव शिकड़ू महाराज को मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया. ये मंदिर दो साल से बन रहा था. हिमाचल की देव संस्कृति के अनुरूप ये मंदिर काठकुणी शैली में बना है, लेकिन इसमें आधुनिक तकनीकों का प्रयोग भी किया गया है. मंदिर के दरवाजे सेंसर युक्त हैं. साथ ही यदि कोई चोरी या गलत इरादे से मंदिर के दरवाजों को खोलने का प्रयास करेगा तो हूटर बज उठेंगे. इस तरह परंपरा और आधुनिकता का संगम इस मंदिर में देखने को मिलेगा.

आयोजन में दूसरे इलाकों के देवता भी शामिल हुए. सीमा रंटाड़ी क्षेत्र के देवता मोहरीश के देवलू ढोल-नगाड़ों के साथ देवता शिकड़ू महाराज की नई देउठी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे हैं. इसके अलावा चिऊणी गांव के परशुराम, दशालनी गांव के किलाबालू देवता भी पहुंचे हैं. इन सभी देवताओं का मिलन देखते ही बन रहा था.

रोहड़ू के स्थानीय निवासी मोहित शर्मा के अनुसार देवता शिकड़ू महाराज के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम गुरूवार पांच दिसंबर से आरंभ हुए पहले दिन संघेड़ा यानी मेहमान देवताओं का आगमन हुआ. साथ ही देवताओं का खेल बड़छणी हुआ. शुक्रवार को शिखाफेर रस्म के साथ मंदिर की प्रतिष्ठा संपन्न हुई. वहीं, शनिवार को उच्छड़-पाच्छड़ होगा. ये देवताओं व मेहमानों के प्रस्थान का आयोजन है. शिकड़ू महाराज के मंदिर का निर्माण पारसा गांव के देव शिल्पियों ने किया है. मोहित के अनुसार मंदिर में सीसीटीवी के साथ-साथ दरवाजों पर सेंसर लगाए गए हैं. यह दरवाजे सेंसर से ओपन किए जा सकते हैं और इनका कंट्रोल मंदिर कमेटी के चुनिंदा लोगों के पास होगा.

कौन हैं देवता शिकड़ू

स्थानीय निवासी प्रेम सागर के अनुसार देवता शिकड़ू चंद्रनाहन इलाके से रोहड़ू आए थे. मान्यता है कि देवता शिकड़ू महाराज रोड़ू के साथ लगती शिकड़ी खड्ड में प्रकट हुए थे. इसी के नाम पर वे शिकड़ू महाराज कहलाते हैं. अब रोहड़ू शहर के अलावा ये पांच बासों यानी इलाकों में ईष्ट के रूप में पूजनीय हैं. हजारों लोग के ईष्ट देव शिकड़ू महाराज की यहां बहुत मान्यता है. सारे देव कारज इनकी ही आज्ञा से संपन्न होते हैं.

ये भी पढ़ें: सीएम सुक्खू ने की महिला होमगार्ड को मैटरनिटी लीव देने की घोषणा, 700 पदों को भरने का भी किया ऐलान

Last Updated : Dec 7, 2024, 11:19 AM IST
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