कुल्लू: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. कार्तिक मास की पूर्णिमा की भी शास्त्रों में अनंत महिमा लिखी गई है. ऐसे में 15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन यानी आज कार्तिक मास की पूर्णिमा का व्रत है. इसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. आज भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत
आचार्य विजय कुमार ने बताया, "कार्तिक मास की पूर्णिमा 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 20 मिनट से लेकर मध्य रात्रि 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का व्रत आज 15 नवंबर को ही रखा जाएगा."
व्रत की विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें.
- अगर यह ना हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
- इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें.
- संध्या काल में मुख्य द्वार, मंदिर और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं.
- कार्तिक पूर्णिमा पर दीप दान का विशेष महत्व है.
पूजा का मुहूर्त
आचार्य विजय कुमार ने बताया कि इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 58 मिनट से सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. इसके बाद सत्यनारायण पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. वहीं, देव दीपावली का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम 5 बजकर 10 मिनट से रात 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
भगवान शिव ने इस राक्षस का किया था वध
आचार्य विजय कुमार ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर राक्षस के अंत की खुशी में देवताओं ने संपूर्ण स्वर्गलोक को दीयों से प्रकाशित किया था जिसे देव दीपावली का रूप दे दिया गया. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है.