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ग्रामीणों के मछली पकड़ने का देसी जुगाड़, ये नहीं देखा तो क्या देखा - Desi fishing

Desi fishing equipment in Kanker कांकेर में इन दिनों मछली पकड़ने का देसी जुगाड़ फेमस हो रहा है.इस परंपरागत तरीके से बिना किसी मेहनत के ग्रामीण मछली पकड़ रहे हैं. अब इस तरीके को देखने के लिए आसपास के लोग गांव में इकट्ठा हो रहे हैं.Fishing Technique Rapa

Desi fishing equipment in Kanker
मछली पकड़ने का देसी जुगाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 7, 2024, 7:04 PM IST

कांकेर : कांकेर में मछली पकड़ने का ग्रामीणों ने एक नया तरीका इजाद किया है.इसमें ज्‍यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती.कांकेर से करीब 50 किमी दूर ऊंचपानी के ग्रामीणों ने मछली पकड़ने का देशी जुगाड़ से बांस से बुना जाल तैयार किया है. ऊंचपानी गांव के नाले में बल्लियों के सहारे एक बांस की चटाई नुमा आकृति बनाई है.

Desi fishing equipment in Kanker
खुद ब खुद आकर फंस जाती हैं मछलियां (ETV Bharat Chhattisgarh)

कैसा है ये अनोखा जाल ?: 10 से 15 फीट लंबे बांस में मच्‍छरदानी को बांध दिया जाता है..मछली पकड़ने का यह तरीका रूरल इनोवेशन का ही एक रूप है.बांस की चटाई नुमा आकृति के ऊपर मच्‍छरदानी बांध दी जाती है. नाले में बहते पानी की लहर के साथ आई मछलियां इस जाल में फंसकर इकट्ठी होती रहती है. इस रूरल इनोवेशन के प्रयोग से ग्रामीण एक दिन में 10 से 20 किलो मछलियां पकड़ लेते हैं.ऊंचपानी गांव के ग्रामीण राजऊ राम नरेटी बताते है.

Desi fishing equipment in Kanker
बांस से तैयार किया गया अनोखा जाल (ETV Bharat Chhattisgarh)

''यह तकनीक हमारे पूर्वजों से चली आ रही है. हमारे बुजुर्ग भी इसी तरह मछली पकड़ने जाल बिछाया करते थे. इसे स्थानीय भाषा में झारा कहते है. इसे हमने दो दिन में बनाया है. बल्ली-बांस और मच्छरदानी का इसमे प्रयोग करते है. यह पकड़ी गई मछली सामूहिक रूप से गांव में बंटता भी है.''- राजऊ राम नरेटी, ग्रामीण

कांकेर में मछली पकड़ने का देसी जुगाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

आस-पास के दर्जनों गांव में अपने खेतों के नाले में भी इस तकनीक का प्रयोग के मछली पकड़ते हैं. आपको बता दें कि बस्तर में मछली पकड़ने का यह परम्परागत तरीका है. ग्रामीणों के बनाए इस जाल को अब जिले के बाकी जगहों से भी लोग देखने को आ रहे हैं.

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Desi fishing equipment in Kanker
खुद ब खुद आकर फंस जाती हैं मछलियां (ETV Bharat Chhattisgarh)

कैसा है ये अनोखा जाल ?: 10 से 15 फीट लंबे बांस में मच्‍छरदानी को बांध दिया जाता है..मछली पकड़ने का यह तरीका रूरल इनोवेशन का ही एक रूप है.बांस की चटाई नुमा आकृति के ऊपर मच्‍छरदानी बांध दी जाती है. नाले में बहते पानी की लहर के साथ आई मछलियां इस जाल में फंसकर इकट्ठी होती रहती है. इस रूरल इनोवेशन के प्रयोग से ग्रामीण एक दिन में 10 से 20 किलो मछलियां पकड़ लेते हैं.ऊंचपानी गांव के ग्रामीण राजऊ राम नरेटी बताते है.

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बांस से तैयार किया गया अनोखा जाल (ETV Bharat Chhattisgarh)

''यह तकनीक हमारे पूर्वजों से चली आ रही है. हमारे बुजुर्ग भी इसी तरह मछली पकड़ने जाल बिछाया करते थे. इसे स्थानीय भाषा में झारा कहते है. इसे हमने दो दिन में बनाया है. बल्ली-बांस और मच्छरदानी का इसमे प्रयोग करते है. यह पकड़ी गई मछली सामूहिक रूप से गांव में बंटता भी है.''- राजऊ राम नरेटी, ग्रामीण

कांकेर में मछली पकड़ने का देसी जुगाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

आस-पास के दर्जनों गांव में अपने खेतों के नाले में भी इस तकनीक का प्रयोग के मछली पकड़ते हैं. आपको बता दें कि बस्तर में मछली पकड़ने का यह परम्परागत तरीका है. ग्रामीणों के बनाए इस जाल को अब जिले के बाकी जगहों से भी लोग देखने को आ रहे हैं.

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