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आजादी के 77 साल बाद भी विकास की बाट जोह रहा यह गांव ! गांववाले पूछ रहे - "कब होगा विकास" - Manendragarh Chirmiri Bharatpur

छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले का जनुवा ग्राम पंचायत आजादी के 77 साल बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव में पीने के पानी की भी सुविधा नहीं है. अधिकारियों को इस गांव की समस्या नजर नहीं आ रहा. जबकि गांववाले सभी नेता और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन गांव का विकास नहीं हो सका.

dependent village Jatkhairi of MCB
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस जटखैरी गांव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 6, 2024, 10:55 PM IST

मनेंद्रगढ चिरमिरी भरतपुर : भरतपुर विकासखंड से 16 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जनुवा के आश्रित गांव जटखैरी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. चुनाव को दौरन लोगों को बड़े-बड़े दावे तो किए गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. आश्रित गांव जटखैरी में ना बिजली है ना पानी और ना ही सड़क. प्रधानमंत्री के जल जीवन मिशन की योजना भी यहां पूरी तरह फेल नजर आ रही है.

जटखैरी गांव में मूलभूत सुविधाओं के पड़े लाले : भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत जनुवा के आश्रित गांव जटखैरी मोहल्ले में लगभग 25 घरों है. इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. बच्चों के स्कूल जाने का सपना भी बारिश के मौसम में टूट जाता है, क्योंकि कीचड़ से भरे रास्ते उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देते. गांव में बिजली के खंभे भी नदारद है तो लाइट की तो बात ही क्या करें.

"बिजली के खंभे लगाने की बात तो बहुत की गई, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. हम कीचड़ में चलते हैं, रास्ता तक नहीं है. गुलाब कमरों जी से लेकर रेणुका दीदी तक, सभी ने आश्वासन दिया, लेकिन कुछ नहीं बदला." - संतोष यादव, स्थानीय निवासी

सड़कें खराब, बिजली का इंतजार : जटखैरी गांव के ही गोरेलाल यादव बताते हैं, "हमने विद्युतकरण के लिए आवेदन दिया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. सड़क की हालत ऐसी है कि बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो बीमार को खाट में ढोकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है."

"गांव में ना लाइट है, ना सड़क. सांप-बिच्छू निकलते हैं. पानी के लिए हमें नदी-नालों में जाना पड़ता है. हमारी उम्र अब इन सब चीजों के लिए नहीं रही. बच्चे भी स्कूल तक नहीं जा पाते." - बुटिया, बुजुर्ग महिला

"हर नेता से गुहार लगाई, सभी ने अनदेखी की" : वार्ड पंच रमेश कुमार सिंह ने बताया, "इस गांव में पानी की समस्या सबसे बड़ी है. 75 साल से बिजली का इंतजार कर रहे हैं और अब तक कुछ नहीं हुआ. हमने हर नेता से गुहार लगाई, लेकिन सब ने अनदेखी की."

"मुझे सरपंच बने 4 साल हो गए, लेकिन गांव की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया. मैंने हर स्तर पर प्रयास किया. विधायक से लेकर मंत्रालय तक गया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. यह गांव अब भी अंधेरे में डूबा हुआ है." - भगत सिंह नेटी, सरपंच, आश्रित गांव जटखैरी

अधिकारियों को नहीं दिख रही समस्या : ग्रामीणों की समस्या को लेकर कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सुमत साय पैकरा से सवाल किया गय. उन्होंने कहा "मैं अधिकारी से बात करूंगा और जांच कराकर ग्रामीणों की समस्या का निवारण करूंगा. मैं कल ही जनकपुर के कई गांव गया था, मुझे ऐसी कोई समस्या नजर नहीं आई."

अधिकारियों के जवाब से स्पष्ट है कि अधिकारियों को इस गांव की समस्या नजर नहीं आ रहा. वनांचल के क्षेत्र में ऐसी स्थान पर अधिकारी नहीं पहुंचते, जहां ग्रामीणों को अधिकारियों के बीच अपनी बात रखने का मौका मिले. अब सवाल यह है कि कब तक इस गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभानृव में जीते रहेंगे. सरकार को इनकी समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि विकास के दावे सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीन पर भी दिखने चाहिए.

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जटखैरी गांव में मूलभूत सुविधाओं के पड़े लाले : भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत जनुवा के आश्रित गांव जटखैरी मोहल्ले में लगभग 25 घरों है. इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. बच्चों के स्कूल जाने का सपना भी बारिश के मौसम में टूट जाता है, क्योंकि कीचड़ से भरे रास्ते उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देते. गांव में बिजली के खंभे भी नदारद है तो लाइट की तो बात ही क्या करें.

"बिजली के खंभे लगाने की बात तो बहुत की गई, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. हम कीचड़ में चलते हैं, रास्ता तक नहीं है. गुलाब कमरों जी से लेकर रेणुका दीदी तक, सभी ने आश्वासन दिया, लेकिन कुछ नहीं बदला." - संतोष यादव, स्थानीय निवासी

सड़कें खराब, बिजली का इंतजार : जटखैरी गांव के ही गोरेलाल यादव बताते हैं, "हमने विद्युतकरण के लिए आवेदन दिया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. सड़क की हालत ऐसी है कि बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो बीमार को खाट में ढोकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है."

"गांव में ना लाइट है, ना सड़क. सांप-बिच्छू निकलते हैं. पानी के लिए हमें नदी-नालों में जाना पड़ता है. हमारी उम्र अब इन सब चीजों के लिए नहीं रही. बच्चे भी स्कूल तक नहीं जा पाते." - बुटिया, बुजुर्ग महिला

"हर नेता से गुहार लगाई, सभी ने अनदेखी की" : वार्ड पंच रमेश कुमार सिंह ने बताया, "इस गांव में पानी की समस्या सबसे बड़ी है. 75 साल से बिजली का इंतजार कर रहे हैं और अब तक कुछ नहीं हुआ. हमने हर नेता से गुहार लगाई, लेकिन सब ने अनदेखी की."

"मुझे सरपंच बने 4 साल हो गए, लेकिन गांव की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया. मैंने हर स्तर पर प्रयास किया. विधायक से लेकर मंत्रालय तक गया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. यह गांव अब भी अंधेरे में डूबा हुआ है." - भगत सिंह नेटी, सरपंच, आश्रित गांव जटखैरी

अधिकारियों को नहीं दिख रही समस्या : ग्रामीणों की समस्या को लेकर कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सुमत साय पैकरा से सवाल किया गय. उन्होंने कहा "मैं अधिकारी से बात करूंगा और जांच कराकर ग्रामीणों की समस्या का निवारण करूंगा. मैं कल ही जनकपुर के कई गांव गया था, मुझे ऐसी कोई समस्या नजर नहीं आई."

अधिकारियों के जवाब से स्पष्ट है कि अधिकारियों को इस गांव की समस्या नजर नहीं आ रहा. वनांचल के क्षेत्र में ऐसी स्थान पर अधिकारी नहीं पहुंचते, जहां ग्रामीणों को अधिकारियों के बीच अपनी बात रखने का मौका मिले. अब सवाल यह है कि कब तक इस गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभानृव में जीते रहेंगे. सरकार को इनकी समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि विकास के दावे सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीन पर भी दिखने चाहिए.

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