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खैबर पास डिमोलिशन: रात में घर खाली करने का अनाउंस किया..., सुबह बुलडोजर चला दिया - KHYBER PASS DEMOLITION

दिल्ली के सिविल लाइंस के खैबर पास इलाके में लैंड एंड डिवेलपमेंट ऑफिस के अतिक्रमण अभियान के चलते मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया. इससे कई लोग बेघर हो गए और उनके रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया. इसके अलावा कुछ लोगों को भविष्य में तोड़फोड़ के नोटिस भी मिले हैं.

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खैबर पास एरिया में चला बुलडोजर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 5, 2024, 10:31 PM IST

खैबर पास एरिया में चला बुलडोजर (ETV Bharat)

नई दिल्ली: राजधानी के सिविल लाइंस स्थित खैबर पास में लैंड एंड डेवलपमेंट विभाग द्वारा खाली कराई गई 32 एकड़ जमीन में बने हुए करीब 50 मकानों को बुलडोजर चला कर तोड़ दिया गया. इस दौरान इन मकानों में रह रहे लोगों ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमें मकान खाली करने का नोटिस तक नहीं दिया गया. सिर्फ रात के 2:00 बजे आकर यहां अनाउंसमेंट किया गया कि कल ये जगह खाली कर दें, यहां बुलडोजर चलेगा.

यहां रहने वाले बिजेंद्र सिंह ने बताया कि मैं अकेला हूं. मेरे परिवार में कोई नहीं है. एक बेटा था वह पहले खत्म हो गया. पत्नी भी नहीं है. जैसे-तैसे यहां मैं मकान में रहकर गुजारा कर रहा था. पास में ही भाई का भी मकान था तो थोड़ी देखभाल करता था. अब एक साथ ही हम सबके मकान तोड़ दिए गए हैं. अब ना भाई का खुद का ठिकाना है ना मेरा खुद का कहीं ठिकाना है. अब भाई को कहीं और कमरा देखना पड़ रहा है. ऐसे में मैं कहां जाऊंगा मैं अभी कहीं कुछ सोच नहीं पा रहा हूं. बुढ़ापे में अकेला भी नहीं रह सकता. ऐसे में अब मैं क्या करूंगा कुछ समझ नहीं आ रहा है.

वहीं, सरकारी नौकरी से सेवानिवृत बुजुर्ग बुजुर्ग महिला निशा वर्मा ने बताया कि मैं अपनी नौकरी के दौरान कृष्णा नगर में रह रही थी और वहां से रिटायर होने के बाद मैंने सोचा कि थोड़ा पैसा मिला है तो यहां के मकान की मरम्मत करा लूंगी और उसमें रहकर अपना गुजारा करूंगी. मेरी एक इकलौती बेटी है, जिसको ससुराल वालों ने मारपीट के घर से बाहर निकाल दिया. मैंने सोचा था कि एक फ्लोर पर बेटी और धेवते के साथ में भी रह लूंगी. दो फ्लोर के किराए से बेटी का खर्च चलता रहेगा. मैं अपनी पेंशन से गुजरा कर लूंगी. अभी कुछ समय पहले ही मकान की मरम्मत शुरू कराई थी. लेकिन अब बुलडोजर चलाकर यहां मकान तोड़ दिया गया. सबसे पहला मकान मेरा ही था. अब मेरे पास अपना गुजारा करने का कोई सहारा नहीं दिखाई दे रहा है.

वहीं, एक अन्य महिला ने बताया कि हमें यहां पर कॉटन मिल में जब नौकरी करते थे तब एक कमरा दिया गया था. इस कमरे में रहकर यहां गुजारा कर रहे थे. 50 साल से ज्यादा का समय हो गया लेकिन, अब अचानक इस तरह से मकान तोड़ दिया गया. खाली करने का समय भी नहीं दिया गया. हमारी कोई यहां सुनवाई हो रही है. वहीं, रात के समय यहां से तीन-तीन हजार रुपये इकट्ठे करके एक वकील ने कोर्ट में केस करने की बात कही. अब वकील भी गायब है. किसी का कुछ पता नहीं है. अचानक मकान तोड़ने से अब इतनी जल्दी तुरंत कहीं घर भी नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के इस इलाके में सैकड़ों घरों पर बुलडोजर चलने का खतरा, विरोध कर रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया

ये भी पढ़ें: दिल्ली के मदनगीर सेंट्रल मार्केट में चला एमसीडी का बुलडोजर, 100 दुकानों को किया ध्वस्त

खैबर पास एरिया में चला बुलडोजर (ETV Bharat)

नई दिल्ली: राजधानी के सिविल लाइंस स्थित खैबर पास में लैंड एंड डेवलपमेंट विभाग द्वारा खाली कराई गई 32 एकड़ जमीन में बने हुए करीब 50 मकानों को बुलडोजर चला कर तोड़ दिया गया. इस दौरान इन मकानों में रह रहे लोगों ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमें मकान खाली करने का नोटिस तक नहीं दिया गया. सिर्फ रात के 2:00 बजे आकर यहां अनाउंसमेंट किया गया कि कल ये जगह खाली कर दें, यहां बुलडोजर चलेगा.

यहां रहने वाले बिजेंद्र सिंह ने बताया कि मैं अकेला हूं. मेरे परिवार में कोई नहीं है. एक बेटा था वह पहले खत्म हो गया. पत्नी भी नहीं है. जैसे-तैसे यहां मैं मकान में रहकर गुजारा कर रहा था. पास में ही भाई का भी मकान था तो थोड़ी देखभाल करता था. अब एक साथ ही हम सबके मकान तोड़ दिए गए हैं. अब ना भाई का खुद का ठिकाना है ना मेरा खुद का कहीं ठिकाना है. अब भाई को कहीं और कमरा देखना पड़ रहा है. ऐसे में मैं कहां जाऊंगा मैं अभी कहीं कुछ सोच नहीं पा रहा हूं. बुढ़ापे में अकेला भी नहीं रह सकता. ऐसे में अब मैं क्या करूंगा कुछ समझ नहीं आ रहा है.

वहीं, सरकारी नौकरी से सेवानिवृत बुजुर्ग बुजुर्ग महिला निशा वर्मा ने बताया कि मैं अपनी नौकरी के दौरान कृष्णा नगर में रह रही थी और वहां से रिटायर होने के बाद मैंने सोचा कि थोड़ा पैसा मिला है तो यहां के मकान की मरम्मत करा लूंगी और उसमें रहकर अपना गुजारा करूंगी. मेरी एक इकलौती बेटी है, जिसको ससुराल वालों ने मारपीट के घर से बाहर निकाल दिया. मैंने सोचा था कि एक फ्लोर पर बेटी और धेवते के साथ में भी रह लूंगी. दो फ्लोर के किराए से बेटी का खर्च चलता रहेगा. मैं अपनी पेंशन से गुजरा कर लूंगी. अभी कुछ समय पहले ही मकान की मरम्मत शुरू कराई थी. लेकिन अब बुलडोजर चलाकर यहां मकान तोड़ दिया गया. सबसे पहला मकान मेरा ही था. अब मेरे पास अपना गुजारा करने का कोई सहारा नहीं दिखाई दे रहा है.

वहीं, एक अन्य महिला ने बताया कि हमें यहां पर कॉटन मिल में जब नौकरी करते थे तब एक कमरा दिया गया था. इस कमरे में रहकर यहां गुजारा कर रहे थे. 50 साल से ज्यादा का समय हो गया लेकिन, अब अचानक इस तरह से मकान तोड़ दिया गया. खाली करने का समय भी नहीं दिया गया. हमारी कोई यहां सुनवाई हो रही है. वहीं, रात के समय यहां से तीन-तीन हजार रुपये इकट्ठे करके एक वकील ने कोर्ट में केस करने की बात कही. अब वकील भी गायब है. किसी का कुछ पता नहीं है. अचानक मकान तोड़ने से अब इतनी जल्दी तुरंत कहीं घर भी नहीं मिल रहा है.

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